up board class 9th hindi | हिन्दी पद्य-साहित्य का संक्षिप्त इतिहास

By | May 5, 2021

up board class 9th hindi | हिन्दी पद्य-साहित्य का संक्षिप्त इतिहास

 
विशेष―पाठ्यक्रम के नवीनतम प्रारूप के अनुसार “हिन्दी पद्य-साहित्य के संक्षिप्त इतिहास”.
के अन्तर्गत ‘आदिकाल’ से ‘भक्तिकाल’ तक का इतिहास सम्मिलित है। इस प्रकरण से अतिलघु उत्तरीय
अथवा लघु उत्तरीय तीन या दो प्रश्न पूछे जा सकते हैं। कवियों और उनकी रचनाओं से सम्बन्धित प्रश्न
भी पूछे जा सकते हैं।
ध्यातव्य―अध्ययन की दृष्टि से सभी कालों के विकास से सम्बन्धित प्रश्नों को संक्षेप में दिया जा
रहा है; क्योंकि एक-दूसरे से सम्बद्धता के कारण कभी-कभी निर्धारित काल से अलग काल के भी प्रश्न
पूछ लिये जाते हैं।
 
प्रश्न हिन्दी-साहित्य के इतिहास को कितने कालों में बाँटा गया है ? विभाजन का आधार भी बताइए।
उत्तर―हिन्दी-साहित्य का आविर्भाव सर्वप्रथम पद्य से हुआ था। विद्वानों ने हिन्दी पद्य के इतिहास को
प्रत्येक युग की विशेष प्रवृत्तियों के आधार पर निम्नलिखित चार कालों में विभाजित किया है―
(1) आदिकाल (वीरगाथाकाल)         ―    सन् 743 ई० से 1343 ई० तक।
(2) पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)         ―    सन् 1343 ई० से 1643 ई० तक।
(3) उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल)         ―   सन् 1643 ई० से 1843 ई० तक।
(4) आधुनिककाल                           ―    सन् 1843 ई० से आज तक।
 
                                     आदिकाल (वीरगाथाकाल)
 
प्रश्न 1 आदिकाल का समय कब-से-कब तक माना जाता है? इस काल के अन्य और कौन-से नाम
दिये गये हैं ?
उत्तर― आदिकाल का समय सन् 743 ई० से सन् 1343 ई० तक माना जाता है। इस काल के
उत्थानकाल, वीरगाथाकाल तथा चारणकाल अन्य नाम हैं।
 
प्रश्न 2  हिन्दी-साहित्य के आदिकाल को वीरगाथाकाल क्यों कहते हैं? इस काल की किसी एक
प्रमुख रचना का नाम लिखिए।
उत्तर― वीर रस से परिपूर्ण रचनाओं की अधिकता के कारण हिन्दी-साहित्य के आदिकाल को
‘वीरगाथाकाल’ नाम दिया गया है, जो सर्वथा उपयुक्त है। इस काल की प्रमुख रचना है-पृथ्वीराज
रासो, जिसके रचयिता चन्दबरदाई हैं।
 
प्रश्न 3 आदिकाल की भाषा का क्या नाम है ?
या रासो ग्रन्थों में किस भाषा का प्रयोग किया गया है?
उत्तर― आदिकाल की भाषा का नाम डिंगल है। रासो ग्रन्थ इसी भाषा में लिखे गये हैं।
 
प्रश्न 4 आदिकाल की रचनाएँ किन-किन रूपों में मिलती हैं ?
उत्तर― आदिकाल की रचनाएँ दो रूपों में मिलती हैं― (1) प्रबन्धकाव्यों के रूप में तथा (2) वीर
गीतों के रूप में। चन्दबरदायी का ‘पृथ्वीराज रासो’ प्रबन्धकाव्य है और जगनिक का ‘परमाल रासो’ वीर
गीत काव्य।
 
प्रश्न 5 वीर गीत के दो रासो ग्रन्थों तथा उनके कवियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर― (1) परमाल रासो-जगनिक तथा (2) बीसलदेव रासो-नरपति नाल्ह।
 
प्रश्न 6 वीरगाथाकाल की रचनाओं में प्रयुक्त छन्दों के नाम बताइए।
उत्तर― वीरगाथाकाल में (1) छप्पय, (2) दूहा (दोहा),(3) सोरठा,(4) त्रोटक, (5) तोमर, (6) चौपाई,
(7) गाथा, (8) आर्या, (9) सट्टक, (10) रोला, (11) कुण्डलिया आदि छन्दों का प्रयोग किया गया।
 
प्रश्न 7 वीर गीत काव्यों में सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थ कौन-सा है ? संक्षेप में उसका परिचय दीजिए।
या वीर गीतकाव्यों में सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना का परिचय दीजिए।
उत्तर― वीर गीत काव्य-ग्रन्थों में सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थ कवि जगनिक का ‘परमाल रासो’ या
‘आल्हा खण्ड’ है। इसमें महोबे के दो प्रसिद्ध वीरों आल्हा तथा ऊदल (उदयसिंह) के वीरोचित चरित्र का
सुन्दर वर्णन हुआ है।
 
प्रश्न 8 वीरगाथाकाल के प्रमुख कवियों तथा उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर―वीरगाथाकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं―
(1) दलपति विजय― खुमान रासो, (2) चन्दबरदाई―पृथ्वीराज रासो, (3) शारंगधर―हमीर
रासो, (4) नल्ल सिंह―विजयपाल रासो, (5) जगनिक―परमाल रासो या आल्हा खण्ड, (6) नरपति
नाल्ह―बीसलदेव रासो, (7) केदार भट्ट―जयचन्द्र प्रकाश, (8) मधुकर―जयमयंक जसचन्द्रिका।
 
प्रश्न 9 आदिकाल (वीरगाथाकाल) के साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
या       आदिकाल की किन्हीं दो प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर― आदिकाल या वीरगाथाकाल की कविता की सामान्य विशेषताएँ या प्रमुख प्रवृत्तियाँ
निम्नलिखित हैं―
(1) आश्रयदाताओं की प्रशंसा, (2) युद्धों का सुन्दर और सजीव वर्णन, (3) सामूहिक
राष्ट्रीयता की भावना का अभाव, (4) वीर रस के साथ-साथ शृंगार पुट, (5) ऐतिहासिक तथ्यों के
प्रस्तुतीकरण में कल्पना की अधिकता तथा (6) जनसम्पर्क का अभाव।
 
प्रश्न 10 मुक्तक काव्य किसे कहते हैं ? किसी एक मुक्तक काव्य का नाम लिखिए।
या        खण्डकाव्य की परिभाषा तथा एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर― [संकेत-पृष्ठ 13 ‘काव्य से सम्बन्धित जानने योग्य बातें’ शीर्षक के अन्तर्गत देखें।]

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