UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 21 घायल का स्थानान्तरण

By | May 21, 2022

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 21 घायल का स्थानान्तरण

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 21 घायल का स्थानान्तरण

 

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
घायल के स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? घायल व्यक्ति के स्थानान्तरण की क्यों आवश्यकता होती है? इसके लिए एक अकेले व्यक्ति द्वारा ले जाने की विधि का वर्णन कीजिए
या
घायल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की कितनी विधियाँ हैं? उनका वर्णन कीजिए। [2008]
या
घायल के स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? स्थानान्तरण की विधियाँ बताइये। [2017]
या
घायल के स्थानान्तरण से क्या समझती हैं? [2018]
उत्तर:
घायल का स्थानान्तरण

दुर्घटनास्थल पर प्रायः चिकित्सा-साधनों का अभाव होता है। इसलिए घायल व्यक्ति को किसी सुरक्षित एवं सुविधाजनक स्थान पर ले जाना हितकर रहता है, परन्तु यह कार्य इतना सरल नहीं है, क्योंकि इसके लिए स्थानान्तरण की विशिष्ट विधियों का ज्ञान होना अति आवश्यक है। घायल व्यक्ति के स्थानान्तरण के लिए स्ट्रेचर का प्रयोग सर्वोत्तम रहता है, परन्तु सामान्यतः दुर्घटनास्थल पर इनकी उपलब्धि बहुत कम हो पाती है। अतः इसके लिए अन्य विधियों की जानकारी प्राप्त कर लेना भी आवश्यक हो जाता है। इनमें से एक अकेले व्यक्ति द्वारा घायल के स्थानान्तरण की विधि निम्नवर्णित है

एक व्यक्ति द्वारा घायल का स्थानान्तरण

एक अकेला व्यक्ति घायल की अवस्था के अनुसार उसे स्थानान्तरित करने के लिए निम्नलिखित में से कोई भी एक विधि अपना सकता है

(1) सहारा देकर ले जाना:
दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति यदि होश में हो तथा चल सकता हो, तो उस व्यक्ति को सहारा देकर किसी सुरक्षित स्थान तक ले जाया जा सकता है। इसके लिए घायल की बगल में खड़े होकर उसके एक हाथ को अपने विपरीत कन्धे पर गर्दन के पीछे से रखवा लेना चाहिए। घायल के इस हाथ को अपने उसी ओर के हाथ से पकड़ लेना चाहिए। रोगी की ओर के अपने दूसरे हाथ को रोगी की कमर में पीठ की ओर से घुमाकर बगल से सहारा देना चाहिए। अब रोगी को धीरे-धीरे चलाकर वांछित स्थान तक ले जाया जा सकता है।
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(2) गोद में ले जाना:
मूर्च्छित घायल व्यक्ति को दुर्घटनास्थल पर पीठ के बल सीधा लिटाकर हाथ से उसकी दोनों टाँगों के घुटनों से ऊपर, नीचे र हाथ डालकर तथा दूसरे हाथ से कमर से बैठाकर पीठ की ओर हाथ डालकर चित्रं की भाँति उठाया जाता है। यह विधि बच्चों तथा हल्के भार वाले घायल व्यक्तियों को स्थानान्तरित करने के लिए उपयुक्त रहती है।

(3) पीठ पर लादकर ले जाना:
दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति यदि होश में है और उसे दूर तक ले जाना है, तो उसे पीठ पर लादकर ले जाया जा सकता है। इसके लिए रोगी को अपने दोनों हाथ वाहक की गर्दन के दोनों ओर डालकर सीने पर मजबूती से पकड़ लेना चाहिए। वाहक को अपने दोनों हाथों से, अपने कूल्हे से नीचे से घायल को सँभालना चाहिए। इस अवस्था में घायल के दोनों पैर वाहक की कमर से नीचे आगे की ओर होते हैं।

(4) कन्धे पर लादकर ले जाना:
मूर्च्छित व्यक्ति को स्थानान्तरित करने की यह एक उत्तम विधि है। किसी स्थान पर आग लग जाने पर आग बुझाने वाले व्यक्ति, आग में घिरे लोगों को इसी विधि से बाहर निकाल कर लाते हैं। इसलिए इस विधि को फायरमैन लिफ्ट भी कहते हैं। इस कार्य के लिए घायल व्यक्ति को पेट के सहारे लिटाकर, उसके सिर के पास खड़े होकर रोगी को दोनों हाथों से इस प्रकार उठाया जाता है कि रोगी के दोनों हाथ वाहक के दूसरे कन्धे के इधर-उधर रहें, जबकि रोगी का अधिकतर भाग, विशेषकर कमर के स्थान से, उल्टी अवस्था में (पेट के बल) वाहक के दाहिने कन्धे पर चित्रानुसार रहे। इस समय वाहक अपने दाहिने हाथ से रोगी का दाहिना हाथ, कोहनी से नीचे पकड़कर अपने सीने के आर-पार सँभाले रहता है।
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इस प्रकार घायल का सारा भार वाहक के कन्धे पर रहता है। कन्धे पर लादकर घायल को और बाएँ कन्धे पर घायल होने के कारण वाहक सहज ही स्थानान्तरित की विधि ऊँचे-नीचे स्थान पर भी चढ़-उतर सकता है। इस प्रक्रिया में घायल का सिर तथा बायाँ हाथ नीचे की तरफ लटके रहते हैं। यह एक सुविधाजनक विधि है जिसमें एक ही व्यक्ति मूर्च्छित व्यक्ति को सरलतापूर्वक स्थानान्तरित कर सकता है।

प्रश्न 2:
हस्त-आसन द्वारा किसी घायल व्यक्ति को किस प्रकार स्थानान्तरित किया जाता है? [2015, 16]
या
दो व्यक्ति मिलकर हस्त-आसन विधियों द्वारा घायल व्यक्ति का स्थानान्तरण किस प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर:
घायल के स्थानान्तरण के हस्त-आसन

यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति अधिक घायल तथा भारी है, तो एक व्यक्ति वाहक के रूप में उसका स्थानान्तरण ठीक प्रकारे से नहीं कर सकता है। इस प्रकार के घायलों का स्थानान्तरण करने के लिए कम-से-कम दो व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। दो व्यक्ति वाहक के रूप में घायलों का स्थानान्तरण करने के लिए निम्नलिखित प्रकार के हस्त-आसनों का उपयोग कर सकते हैं
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(1) दोहत्थी आसन:
इस विधि में दोनों वाहक व्यक्ति एक-दूसरे के सामने खड़े होते हैं और एक व्यक्ति अपना दायाँ हाथ तथा दूसरा व्यक्ति अपना बायाँ हाथ आपस में पकड़कर बैठकी बनाते हैं। बैठकी बनाने में दोनों व्यक्तियों की उँगलियाँ एक-दूसरे में फंसी रहेंगी जिससे कि दोनों हाथों का जोड़ मजबूत । बन सके। इस आसन को बनाते समय हाथों में दस्ताने पहनना। अथवा उँगलियों के मध्य कोई . कपड़ा या रूमाल रखना सुविधाजनक रहता है। घायल को इस प्रकार के दोहत्थी आसन पर बैठाकर ले जाने के लिए घायल को अपने बीच में खड़ा कर लिया जाता है तथा दोनों हाथों से इस आसन पर धीरे से बैठा लिया जाता है। इस समय वाहकों के खाली हाथ घायल की पीठ पर क्रॉस बनाए रहते हैं। इसमें घायल को अपने दोनों हाथ वाहकों को गर्दन में लिपटाकर रखने चाहिए। इस विधि में वाहक छोटे-छोटे कदम रखते हैं तथा चलते समय दाहिनी ओर वाला वाहक अप दायाँ पैर तथा बाईं ओर वाला वाहक अपना बायाँ पैर बाहर निकालता है तथा इसके बाद इसके विपरीत क्रिया दोहराई जाती है।

(2) तिहत्थी आसन:
इस प्रकार के आसन का प्रयोग भी घायल व्यक्ति के मूर्च्छित न होने की अवस्था में किया जाता है। दोनों वाहक घायल के पीछे आमने-सामने मुँह करके खड़े हो जाते हैं। दाहिनी ओर वाला व्यक्ति अपने दाएँ हाथ से अपने बाएँ हाथ की कलाई पकड़ता है तथा दूसरे वाहक को इसो कलाई को पहला वाहक अपने बाएँ हाथ से पकड़ लेता है। इस प्रकार से तिहत्थी आसन बन जाता है। अब बाईं ओर वाला सहायक अपने बाएँ खाली हाथ से घायल के पैरों को सहारा देता है और आसन पर बैठा लेता है। इस प्रकार के आसन पर कपड़े की गद्दी रखकर घायल व्यक्ति को सुविधाजनक स्थिति में बैठाया जा सकता है। इस विधि में घायल व्यक्ति को अपने दोनों हाथों को दोनों वाहकों की गर्दन में घुमाकर डालना चाहिए, ताकि वह तिहत्थी आसन पर ठीक प्रकार से सँभल कर बैठ सके। इस विधि में दाहिने वाहक को दाहिना पैर तथा बाएँ वाहक को बायाँ पैर एक साथ आगे निकालना चाहिए तथा दोनों को धीरे-धीरे चलना चाहिए।
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(3) चौहत्थी आसन:
इस विधि में भी दोनों वाहक एक-दूसरे की कलाइयाँ पकड़ते हैं। दोनों वाहक आमने-सामने मुँह करके खड़े हो जाते हैं। प्रत्येक वाहक अपने दाहिने हाथ से अपनी बाईं कलाई को पकड़ता है। अब दोनों वाहक अपनेअपने खाली बाएँ हाथ से एक-दूसरे की दाहिनी कलाई को । पकड़ लेते हैं। इस प्रकार चौहत्थी आसन बन जाता है। इस पर कपड़े की गद्दी डालकर घायल को आराम से बैठाया जाता है। घायल व्यक्ति अपने दोनों हाथ वाहकों के गले में डालकर रखता है।
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
स्ट्रेचर न मिलने पर रोगी को उठाकर सुविधापूर्वक कैसे ले जा सकते हैं?
या
रोगियों को ले जाने के लिए किन-किन विधियों का प्रयोग किया जाता है? किसी एक का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
या
घायल के स्थानान्तरण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? किसी एक विधि का वर्णन कीजिए। [2014, 15, 16]
उत्तर:
रोगी को अभीष्ट स्थान पर ले जाने का सर्वोत्तम साधन स्ट्रे
उपलब्ध न होने पर रोगी को स्थानान्तरित करने की विधियाँ निम्नलिखित हैं

(1) अकेले व्यक्ति द्वारा: इसकी निम्नलिखित उपविधियाँ हैं

  1. सहारा देकर ले जाना,
  2.  गोद में ले जाना,
  3. पीठ पर लादकर ले जाना,
  4.  कन्धे पर लादकर ले जाना।

(2) दो व्यक्तियों द्वारा: इसकी उपविधियाँ निम्नलिखित हैं

(क) हस्त-आसन विधि:
इस विधि में घायल के स्थानान्तरण के लिए दोहत्थी, तिहत्थी व चौहत्थी आसन प्रयोग में लाए जाते हैं।

(ख) अग्र-पृष्ठ विधि:
यह कूल्हे पर चोट लगे व्यक्ति के स्थानान्तरण में प्रयोग में लाई जाती है।

प्रश्न 2:
घायल व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्यों? [2007]
या
घायल व्यक्ति को स्थानान्तरित करते समय किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए।
उत्तर:
रोगी के स्थानान्तरण में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1.  ऊँचे-नीचे स्थानों से ले जाने पर घायल व्यक्ति को कष्ट होता है; अत: उसे सदैव सुगम मार्ग से ले जाने का प्रयास करना चाहिए।
  2. दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के घायल अंगों का विशेष ध्यान रखकर ही उसका स्थानान्तरण करना चाहिए।
  3. स्थानान्तरण करते समय घायल की अवस्था देखनी चाहिए। होश में होने पर अथवा मूच्छित होने पर घायल के स्थानान्तरण के लिए उपयुक्त विधि का चयन करना चाहिए।
  4. स्ट्रेचर पर घायल को ले जाते समय गड्ढे या नालों को सावधानीपूर्वक पार करना चाहिए।

प्रश्न 3:
रोगी के स्थानान्तरण की अग्र-पृष्ठ विधि क्या है?
उत्तर:
स्थानान्तरण की अग्र-पृष्ठ विधि–यह विधि ऐसे घायल व्यक्तियों के स्थानान्तरण के लिए प्रयोग में लाई जाती है जिनके कूल्हे पर चोट लगी हो। एक वाहक घायल व्यक्ति के दोनों पैरों के बीच में उसके पैरों की ओर मुंह करके खड़ा हो जाता है तथा घायल के दोनों घुटने पकड़ लेता है। दूसरा वाहक घायल व्यक्ति के पीछे खड़ा होता है तथा अपने दोनों हाथों को घायल व्यक्ति की दोनों बाँहों के नीचे से निकालकर अपनी कलाई पकड़ लेता है। इस प्रकार घायल को ऊँचा उठा लिया जाता है और दोनों वाहक अपने-अपने कदमों को मिलाकर चलते हैं।

प्रश्न 4:
घायल के स्थानान्तरण की स्ट्रेचर विधि की विशेषताएँ बताइए।
या
स्ट्रेचर की क्या उपयोगिता है? आपातकालीन स्ट्रेचर कैसे बनाएँगे?
उत्तर:
स्ट्रेचर विधि:

घायलों के स्थानान्तरण की यह सर्वोत्तम विधि है। इसके द्वारा घायल व्यक्ति को स्थानान्तरित करना सरल भी होता है तथा सुविधाजनक भी। इस विधि द्वारा घायल को स्थानान्तरित करने की स्थिति में उसे किसी प्रकार का कष्ट भी नहीं होता। स्ट्रेचर लकड़ी अथवा लोहे का, एक विशेष प्रकार का फ्रेम होता है जिसके दोनों ओर दो-दो हत्थे लगे होते हैं। फ्रेम के मध्य में दरी, कैनवैस या अन्य किसी मजबूत कपड़े का आधार होता है। घायल को इस आधार पर लिटाकर दोनों वाहक फ्रेम के दोनों ओर खड़े होकर अपने हाथों से फ्रेम के हत्थे को पकड़कर सुरक्षित स्थान तक ले जाते हैं। स्ट्रेचर उपलब्ध न होने पर किसी कुर्सी अथवा चारपाई के दोनों ओर हत्थियों के समान लकड़ी अथवा लाठियों को बाँधकर कामचलाऊ स्ट्रेचर बनाया जा सकता है। अस्पतालों में ट्रॉलीनुमा स्ट्रेचर भी प्रयोग में लाये जाते हैं। इन्हें ढकेलना सरल होता है। स्ट्रेचर विधि का प्रयोग करने पर वाहकों को अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता तथा रोगी सुविधाजनक स्थिति में रहता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
घायल व्यक्ति को कहाँ स्थानान्तरित किया जाता है?
उत्तर:
घायल व्यक्ति को सुरक्षित तथा आरामदायक स्थान पर स्थानान्तरित किया जाता है।

प्रश्न 2:
किसी दुर्घटना का शिकार हुए व्यक्ति को दुर्घटनास्थल से स्थानान्तरित करना क्यों आवश्यक होता है?
उत्तर:
किसी दुर्घटना का शिकार हुए व्यक्ति को धूप, गर्मी तथा पुनः दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने के लिए तथा सुरक्षा एवं आराम प्रदान करने के लिए दुर्घटनास्थल से स्थानान्तरित करना आवश्यक होता है।

प्रश्न 3:
अस्पतालों में घायलों के स्थानान्तरण के लिए कौन- नी विधि प्रयोग में लायी जाती है?
या
स्ट्रेचर की क्या उपयोगिता है? [2008]
उत्तर:
अस्पतालों में घायलों के स्थानान्तरण के लिए प्राय: स्ट्रेचर विधि प्रयोग में लायी जाती है। यह भारत के स्थानान्तरण की सर्वोत्तम विधि है। इस विधि द्वारा घायल व्यक्ति को स्थानान्तरित करना सरल एवं सुविधाजनक होता है।

प्रश्न 4:
हस्त-आसन विधि कब प्रयुक्त की जाती है?
उत्तर:
दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के पैर घुटनों अथवा जाँघ में यदि चोट लगी हो, तो प्रायः हस्त आसन विधि का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 5:
हस्त-आसन विधि में कितने वाहकों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
हस्त-आसन विधि में प्राय: दो वाहकों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6:
हस्त-आसन से क्या अभिप्राय है?
या
हैण्ड स्ट्रेचर क्या है ? [2009, 12, 13, 18]
उत्तर:
हाथों द्वारा बनाई गई बैठक को हस्त-आसन कहते हैं।

प्रश्न 7:
घायल का स्थानान्तरण हस्त-आसन द्वारा कैसे किया जाता है?
या
रोगी को हस्त-आसन द्वारा स्थानान्तरित करने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं?
उत्तर:
हाथों से बनी बैठक द्वारा घायल व्यक्ति के स्थानान्तरण की विधि हस्त-आसन विधि कहलाती है। हस्त-आसन प्राय: तीन प्रकार का होता है

  1. दोहत्थी,
  2. तिहत्थी तथा
  3.  चौहत्थी।

प्रश्न 8:
तिहत्थी बैठकी में क्या मुख्य सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:
तिहत्थी बैठकी. में रोगी की दोनों भुजाएँ वाहकों के गले में पड़ी होनी चाहिए तथा एक वाहक को, जिसका एक हाथ खाली है, रोगी के पैरों को सहारा देना चाहिए।

प्रश्न 9:
यदि रोगी को ले जाने के लिए स्ट्रेचर न हो, तो क्या करना चाहिए?
उत्तर:
सावधानीपूर्वक हाथ की बैठकी पर रोगी का स्थानान्तरण किया जाना चाहिए।

प्रश्न 10:
मूर्च्छित व्यक्ति के स्थानान्तरण की दो विधियाँ लिखिए।
उत्तर:
मूर्च्छित व्यक्ति को कन्धे पर लादकर या स्ट्रेचर द्वारा स्थानान्तरित किया जा सकता है। यदि बच्चा हो, तो उसे गोद में उठाकर भी स्थानान्तरित किया जा सकता है।

प्रश्न 11:
आपातकालीन स्ट्रेचर कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर:
आपातकालीन स्टेचर बनाने के लिए दो बॉस लेकर उनके बीच किसी दरी, टाट या कोट आदि को कसकर बाँध लिया जाता है।

प्रश्न 12:
छोटे बच्चे को दुर्घटनास्थल से कैसे स्थानान्तरित किया जाता है?
उत्तर:
छोटे बच्चे को गोद में उठाकर घटनास्थल से स्थानान्तरित किया जा सकता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न:
निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

1. दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के स्थानान्तरण का उद्देश्य है
(क) धूप से बचाना
(ख) सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना
(ग) पुन: दुर्घटना से बचाना
(घ) ये सभी

2. आग लग जाने पर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों का स्थानान्तरण किया जाता है
(क) कन्धे पर लादकर
(ख) गोद में उठाकर
(ग) सहारा देकर
(घ) दोहत्थी आसन द्वारा

3. घायल को दुर्घटनास्थल से स्थानान्तरित करने की आवश्यकता कब होती है?
(क) आग में घिर जाने पर
(ख) किसी वाहन से टकराने पर
(ग) किसी इमारत से गिरने पर
(घ) तीनों अवस्थाओं में

4. मूर्च्छित अवस्था में घायल को स्थानान्तरित करने की विधि है
(क) हस्त-आसन विधि
(ख) कन्धे पर लादकर ले जाना
(ग) सहारा देकर ले जाना
(घ) ये सभी

5. घायल बच्चों के स्थानान्तरण की सुविधाजनक विधि है
(क) हस्त-आसन विधि
(ख) सहारा देकर ले जाना
(ग) गोद में उठाकर ले जाना
(घ) पीठ-पृष्ठ विधि

6. घायल व्यक्ति के स्थानान्तरण की सर्वोत्तम विधि है
(क) हस्त-आसन द्वारा
(ख) गोद में उठाकर
(ग) कन्धे पर लादकर
(घ) स्ट्रेचर द्वारा

7. स्ट्रेचर का प्रयोग कब किया जाता है? [ 2017]
(क) खेलने के लिए
(ख) बाजार जाने के लिए
(ग) रोगी को ले जाने के लिए
(घ) घूमने के लिए

8. गाँव में दुर्घटनाग्रस्त हुए व्यक्ति को चिकित्सा केन्द्र तक पहुँचाने के लिए आप कौन-सी विधि अफ्नाएँगी?
(क) चारपाई पर लिटाकर
(ख) तिहत्थी आसन द्वारा
(ग) गोद में उठाकर
(घ) पीठ पर लादकर

उत्तर:
1. (घ) ये सभी,
2. (क) कन्धे पर लादकर,
3. (घ) तीनों अवस्थाओं में;
4. (ख) कन्धे पर लादकर ले जाना,
5. (ग) गोद में उठाकर ले जाना,
6. (घ) स्ट्रेचर द्वारा,
7. (ग) रोगी को ले जाने के लिए,
8. (क) चारपाई पर लिटाकर।

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