UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi पद्य-साहित्य का विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi पद्य-साहित्य का विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
सामान्य प्रश्न
प्रश्न 1:
हिन्दी-काव्य-साहित्य के विविध कालों का समय बताइट।
या
हिन्दी काव्य के इतिहास को कितने काल-खण्डों में विभाजित किया जाता है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
- आदिकाल (वीरगाथाकाल) – सन् 993 ई० से सन् 1318 ई० तक।
- पूर्व-मध्यकाल (भक्तिकाल) – सन् 1318 ई० से सन् 1643 ई० तक।
- उत्तर-मध्यकाल (रीतिकाल) – सन् 1643 ई० से सन् 1843 ई० तक।
- आधुनिककाल (गद्यकाल) – सन् 1843 ई० से अब तक।
प्रश्न 2:
कविता के बाह्य तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- लय,
- तुक,
- छन्द,
- शब्द-योजना,
- चित्रात्मक भाषा तथा
- अलंकार।
प्रश्न 3:
कविता के आन्तरिक तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- अनुभूति की व्यापकता,
- कल्पना की उड़ान,
- रसात्मकता और सौन्दर्य बोध तथा
- भावों का उदात्तीकरण।
प्रश्न 4:
प्रबन्ध काव्य और मुक्तक काव्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रबन्ध काव्य में ऐसी धारावाहिक कथा होती है, जिसमें किसी घटना या कार्य का काव्यात्मक वर्णन होता है, किन्तु मुक्तक काव्य में प्रत्येक पद स्वतन्त्र होता है, उनका कथा रूप में सूत्रबद्ध होना अनिवार्य नहीं।
प्रश्न 5:
हिन्दी पद्य-साहित्य के इतिहास के विभिन्न कालों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- वीरगाथाकाल ( आदिकाल),
- भक्तिकाल (पूर्व-मध्यकाल),
- रीतिकाल (उत्तरमध्यकाल) एवं
- आधुनिककाल।
प्रश्न 6:
काव्य के कितने भेद होते हैं?
उत्तर:
काव्य के दो भेद होते हैं
- श्रव्य काव्य और
- दृश्य काव्य।
प्रश्न 7:
प्रबन्ध काव्य के कितने भेद होते हैं?
उत्तर:
प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं
- महाकाव्य और
- खण्डकाव्य।
प्रश्न 8:
महाकाव्य और खण्डकाव्य में अन्तर बताइट।
उत्तर:
महाकाव्य की कथा में जीवन की सर्वांगीण झाँकी होती है, जब कि खण्डकाव्य में जीवन के एक पक्ष का चित्रण होता है। महाकाव्य की विस्तृत कथावस्तु पर अनेक खण्डकाव्य लिखे जा सकते हैं।
प्रश्न 9:
दो महाकाव्यों के नाम लिखिए ।
उत्तर:
दो महाकाव्यों के नाम हैं
- श्रीरामचरितमानस और
- कामायनी।
प्रश्न 10:
दो खण्डकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दो खण्डकाव्यों के नाम हैं
- जयद्रथ-वध और
- हल्दीघाटी।
प्रश्न 11:
हिन्दी का प्रथम महाकाव्य किसे माना जाता है? उसका रचनाकार कौन है?
उत्तर:
श्रीरामचरितमानस – तुलसीदास।
आदिकाल (वीरगाथाकाल)
प्रश्न 12:
हिन्दी-साहित्य का आदिकाल किस साम्राज्य की समाप्ति के समय से प्रारम्भ होता है?
उत्तर:
वर्द्धन साम्राज्य की समाप्ति के समय से हिन्दी साहित्य का आदिकाल प्रारम्भ होता है।
प्रश्न 13:
हिन्दी के आदिकाल का समय निर्देश कीजिए और हिन्दी के प्रथम कवि का नाम बताइट।
उत्तर:
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार आदिकाल का समय 993 ई० से 1318 ई० तक माना जाता है। सरहपा को हिन्दी का प्रथम कवि माना जाता है।
प्रश्न 14:
हिन्दी का प्रथम कवि किसे माना जाता है? उनका रचना-काल कब से प्रारम्भ हुआ?
उत्तर:
सरहपा को हिन्दी का प्रथम कवि माना जाता है। उनका रचना-काल 769 ई० से प्रारम्भ हुआ।
प्रश्न 15:
आदिकाल (वीरगाथाकाल) की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
या
आदिकालीन हिन्दी-साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
या
आदिकाल (वीरगाथाकाल) की किन्हीं दो प्रमुख काव्य-प्रवृत्तियाँ लिखिए।
या
आदिकाल के योगदान की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विशेषताएँ – (1) आदिकाल में अधिकांश रासो ग्रन्थ लिखे गये; जैसे–पृथ्वीराज रासो, परमाल रासो आदि। इनमें आश्रयदाताओं की अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसा है। (2) वीर और श्रृंगार रस की प्रधानता है। (3) युद्धों का सुन्दर और सजीव वर्णन किया गया है। (4) काव्यभाषा के रूप में डिंगल और पिंगल का प्रयोग हुआ है। (5) काव्य-शैलियों में प्रबन्ध और गीति शैलियों का प्रयोग मिलता है। (6) सामूहिक राष्ट्रीयता की भावना को अभाव रहा है।
प्रश्न 16:
आदिकाल (वीरगाथाकाल) के प्रमुख कवियों और उनकी कृतियों के नाम बताइए।
या
वीरगाथाकाल के किन्हीं दो प्रमुख काव्यों (रचनाओं) के नाम लिखिए।
उत्तर:
आदिकाल (वीरगाथाकाल) के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं – चन्दबरदायी (पृथ्वीराज रासो), नरपति-नाल्ह (बीसलदेव रासो), दलपति विजय (खुमान रासो), जगनिक (परमाल रासो या आल्हखण्ड), विद्यापति (पदावली), अब्दुल रहमान (सन्देश रासक), स्वयंभू (पउमचरिउ), धनपाल (भविसयत्तकहा), जोइन्दु (परमात्मप्रकाश), पुष्पदन्त (उत्तरपुराण) एवं अमीर खुसरो की फुटकर रचनाएँ।
प्रश्न 17:
वीरगाथाकाल (आदिकाल) में साहित्य रचना की प्रमुख धाराओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
इस काल की तीन प्रमुख काव्यधाराएँ निम्नलिखित हैं
- संस्कृत काव्यधारा,
- प्राकृत एवं अपभ्रंश काव्यधारा तथा
- हिन्दी काव्यधारा।
प्रश्न 18:
आदिकाल के विभिन्न नाम बताइए।
या
‘वीरगाथाकाल के लिए प्रयुक्त दो अतिरिक्त नामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वीरगाथाकाल, अपभ्रंशकाल, सन्धिकाल, आविर्भावकाल, चारणकाल, बीजवपनकाल एवं सिद्ध-सामन्त युग आदि।
प्रश्न 19:
वीरगाथाकाल के चार प्रमुख कवियों के नाम बताइए।
या
आदिकाल के किन्हीं दो कवियों (रचनाकारों) के नाम लिखिए।
उत्तर:
चन्दबरदायी, नरपति नाल्ह, दलपति विजय एवं जगनिक।
प्रश्न 20:
आदिकाल की चार प्रमुख कृतियों के नाम बताइए।
या
दो रासो काव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वीराज रासो, बीसलदेव रासो, परमाल रासो (आल्हखण्ड) एवं विद्यापति पदावली।
प्रश्न 21:
वीरगाथाकाल में रचनाएँ कौन-कौन-से काव्य रूपों में लिखी गयीं?
उत्तर:
प्रबन्धकाव्य और वीर गीतों के रूप में।
प्रश्न 22:
वीरगाथाकाल की रचनाओं में कौन-सी भाषा प्रयुक्त हुई है?
या
रासो ग्रन्थों में किन दो भाषाओं का प्रयोग किया गया है?
उत्तर:
डिंगल और पिंगल।
प्रश्न 23:
वीरगाथाकाल (आदिकाल) की दो प्रमुख रचनाओं एवं उनके कवियों के नाम लिखिए।
या
‘पृथ्वीराज रासो’ की रचना किस काल में हुई और उसके रचयिता कौन हैं?
उत्तर:
पृथ्वीराज रासो (चन्दबरदायी), परमाल रासो या आल्हखण्ड (जगनिक) ये वीरगाथाकाल (आदिकाल) की दो प्रमुख रचनाएँ हैं।
प्रश्न 24:
आदिकाल के साहित्य को कितने वर्गों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:
पाँच वर्गों में – (1) सिद्ध साहित्य, (2) जैन साहित्य, (3) नाथ साहित्य, (4) रासो साहित्य, (5) लौकिक साहित्य,
प्रश्न 25:
जैन साहित्य का सबसे अधिक लोकप्रिय रूप किन ग्रन्थों में मिलता है?
उत्तर:
जैन साहित्य को सर्वाधिक लोकप्रिय रूप ‘रास ग्रन्थों में मिलता है।
प्रश्न 26:
नाथ साहित्य के प्रणेता कौन थे? नाथ साहित्य के दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नाथ साहित्य के प्रणेता मत्स्येन्द्र नाथ थे। इस साहित्य के दो प्रमुख कवियों के नाम हैं – गोरखनाथ, तथा जलन्धर।।
प्रश्न 27:
रासो साहित्य से सम्बन्धित किन्हीं दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वीराज रासो-चन्दबरदायी। बीसलदेव रासो-नरपति नाल्ह।
प्रश्न 28:
आदिकाल के सिद्ध साहित्य और जैन साहित्य के एक-एक प्रमुख कवि का नाम लिखिए।
उत्तर:
सिद्ध साहित्य के प्रमुख कवि हैं – सरहपा, शबरपा, लुइपा, डोम्भिपा, कण्हपा आदि जैन साहित्य के प्रमुख कवि हैं-आचार्य देवसेन, मुनिंशमलिभद्र सूरि, विजयसेन सूरि, जिनधर्म सूरि आदि।
प्रश्न 29:
गोरखनाथ के गुरु का क्या नाम था?
उत्तर:
गोरखनाथ के गुरु का नाम मत्स्येन्द्रनाथ (मछन्दरनाथ) था।
भक्तिकाल
प्रश्न 30:
भक्तिकाल की सभी प्रमुख काव्यधाराओं का परिचय दीजिए।
उत्तर:
भक्तिकाल में हिन्दी कविता दो’ धाराओं में प्रवाहित हुई – निर्गुण भक्ति-धारा और सगुण भक्ति-धारा निर्गुणवादियों में भी जिन्होंने ज्ञान को अपनाया, वे ज्ञानमार्गी और जिन्होंने प्रेम को अपनाया, वे मार्गी कहलाये। सगुणवादी जिन कवियों ने भगवान् के दुष्टदलनकारी-लोकरक्षक रूप को सामने रखा, वे शभक्ति शाखा से सम्बद्ध माने गये और जिन्होंने भगवान् के लोकरंजक रूप को सामने रखा, वे कृष्णभक्ति शाखा के कवि कहलाये।
प्रश्न 31:
भक्तिकाल की विभिन्न धाराओं के नाम बताइए।
या
निर्गुण भक्ति की दो शाखाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
भक्तिकाल में दो प्रकार की काव्य-रचना हुई –
(1) निर्गुणमार्गीय तथा
(2) सगुणमार्गीय।
- निर्गुण काव्य की दो धाराएँ हैं – (क) ज्ञानाश्रयीं-काव्यधारा तथा (ख) प्रेमाश्रयी काव्यधारा।
- सगुण काव्य की भी दो धाराएँ हैं – (क) कृष्णभक्ति-काव्यधारा तथा (ख) रामभक्ति-काव्यधारा।
प्रश्न 32:
सन्तकाव्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इस धारा के प्रमुख कवि का नाम भी लिखिए।
उत्तर:
सन्तकाव्य से आशय निर्गुण ज्ञानाश्रयी-शाखा से है। ये भक्त निर्गुण-निराकार की उपासना करते हैं। और ज्ञान को उसकी प्राप्ति का साधन मानते हैं। इस धारा के प्रमुख कवि हैं—कबीर, रैदास, नानक, दादू , मलूकदास आदि।
प्रश्न 33:
भक्तिकाल की निर्गुण तथा सगुण भक्ति-धारा का परिचय दीजिए।
या
भक्तिकाल की एक प्रमुख काव्यधारा का परिचय लिखिए।
उत्तर:
जिस धारा में भगवान् के निर्गुण-निराकार रूप की आराधना पर बल दिया गया, वह निर्गुण धारा कहलायी और जिसमें सगुण-साकार रूप की आराधना पर बल दिया गया, वह सगुण धारा कहलायी। निर्गुणवादियों में जिन्होंने भगवत्-प्राप्ति के साधन-रूप में ज्ञान को अपनाया, वे ज्ञानमार्गी और जिन्होंने प्रेम को अपनाया, वे प्रेममार्गी कहलाये। ज्ञानमार्गी शाखा के सबसे प्रमुख कवि कबीर और प्रेममार्गी (सूफी) शाखा के मलिक मुहम्मद जायसी हुए।
प्रश्न 34:
भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताओं (प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
या
ज्ञानाश्रयी भक्ति-शाखा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। या भक्तिकाल की किन्हीं दो प्रमुख विशेषताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- सद्गुरु का महत्त्व सर्वाधिक; सत्संग पर भी बल।
- निर्गुण की उपासना एवं अवतारवाद का खण्डन।
- भगवान् के नाम-स्मरण तथा भजन पर बल।
- धर्म के क्षेत्र में रूढ़िवाद, बाह्याचार एवं आडम्बर का विरोध तथा सामाजिक क्षेत्र में विषमता, ऊँच-नीच एवं छुआछूत का खण्डन।
- आन्तरिक शुद्धि एवं प्रेम साधना पर बल।
- ईश्वर की एकता पर बल; अर्थात् राम-रहीम अभिन्न हैं।
प्रश्न 35:
ज्ञानाश्रयी शाखा के किसी एक कवि द्वारा रचित दो ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कवि-कबीर; रचित ग्रन्थ-बीजक, साखी।
प्रश्न 36:
प्रेमाश्रयी भक्ति-शाखा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ (विशेषताएँ) लिखिए।
या
निर्गुण-पन्थ की प्रेमाश्रयी-शाखा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
या
निर्गुण भक्ति की प्रेमाश्रयी-शाखा का संक्षेप में परिचय दीजिए।
उत्तर:
- मुसलमान होकर भी हिन्दू प्रेमगाथाओं का वर्णन, जिनमें हिन्दू संस्कृति का चित्रण मिलता है।
- सूफी सिद्धान्तों का निरूपण।
- रहस्यवाद की चरम अभिव्यक्ति।
- लौकिक वर्णनों के माध्यम से अलौकिकता की व्यंजना।
- मसनवी शैली का प्रयोग।
- पूर्वी अवधीभाषा तथा दोहा-चौपाई छन्दों का प्रयोग।
प्रश्न 37:
प्रेमाश्रयी शाखा की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- पद्मावत् तथा
- मृगावती।
प्रश्न 38:
कृष्ण-काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- श्रीमद्भागवत का आधार लेकर कृष्णलीला-गान।
- सख्य, वात्सल्य एवं माधुर्य भाव की उपासना एवं लोकपक्ष की उपेक्षा।
- काव्य में श्रृंगार एवं वात्सल्य रसों की प्रधानता; मूल आधार कृष्ण के बाल और किशोर रूप का लीला वर्णन।
- ब्रज भाषा में मुक्तक काव्य-शैली की प्रधानता, जिसमें अद्भुत संगीतात्मकता का गुण विद्यमान है।
प्रश्न 39:
कृष्णभक्ति-काव्य में वर्णित प्रमुख रसों का नामोल्लेख करते हुए उस रचना का नाम भी बताइए, जिसमें उन सभी रसों का सर्वश्रेष्ठ चित्रण हुआ है।
उत्तर:
कृष्णभक्ति-काव्य में श्रृंगार रस का सांगोपांग एवं वात्सल्य और भक्ति रसों का प्रयोग प्रमुखता से हुआ है। सूरदास के ‘सूरसागर’ में इन सभी रसों का सर्वश्रेष्ठ चित्रण है।
प्रश्न 40:
कृष्ण-काव्यधारा के दो प्रमुख कवियों के नाम बताइट।
या
अष्टछाप के किन्हीं दो कवियों का नाम लिखिए।
या
वल्लभाचार्य के किन्हीं दो शिष्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अष्टछाप के कवि ही कृष्ण-काव्यधारा के प्रमुख कवि थे। महाप्रभु वल्लभाचार्य जी के चार शिष्यों एवं अपने चार शिष्यों को मिलाकर महाप्रभु के सुपुत्र गोसाईं विट्ठलनाथ जी ने अष्टछाप की स्थापना की, जिसके आठ कवि थे – सूरदास, कुम्भनदास, परमानन्ददास, कृष्णदास, छीतस्वामी, गोविन्ददास, चतुर्भुजदास, नन्ददास। इनके अतिरिक्त अन्य प्रमुख कवि हैं-मीरा, रसखान, हितहरिवंश और नरोत्तमदास।
प्रश्न 41:
राम-काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ बताइट।
उत्तर:
- लोकसंग्रह (लोकहित) की भावना के कारण मर्यादा की प्रबल भावना।
- राम का परब्रह्मत्व
- दास्य भाव की उपासना।
- समन्वय की विराट् चेष्टा।
- स्वान्त:सुखाय काव्य-रचना
- अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं, प्रबन्ध और मुक्तक दोनों काव्य-शैलियों एवं विविध छन्दों का प्रयोग।
प्रश्न 42:
रामाश्रयी शाखा के दो प्रमुख कवियों का नाम दीजिए।
या
राम को नायक मानकर रचना करने वाले दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
गोस्वामी तुलसीदास और आचार्य केशवदास रामाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि हैं। इन दोनों ने राम को नायक मानकर अपने काव्यों की रचना की है।
प्रश्न 43:
भक्तिकालीन काव्य को ‘हिन्दी कविता का स्वर्णयुग’ क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भावों की उदात्तता, महती प्रेरकता, अनुभूति-प्रवणता, लोकहित का मुखरित स्वर, भारतीय संस्कृति का मूर्तिमान रूप, समन्वय की विराट् चेष्टा तथा कलापक्ष की समृद्धि इस काल की ऐसी विशेषताएँ हैं, जो किसी अन्य काल के काव्य में इतनी उच्चकोटि की नहीं मिलतीं। इसीलिए भक्तिकाल को हिन्दी काव्य का स्वर्णयुग कहा जाता है।
प्रश्न 44:
निम्नलिखित वाक्यों में से भक्ति-काल की दो सही प्रवृत्तियों को लिखिए
(क) श्रृंगार रस की प्रधानता
(ख) स्वान्तः सुखाय की भावना
(ग) राजप्रशस्ति की अभिव्यक्ति
(घ) भाव-पक्ष एवं कला-पक्ष का समन्वय तर
उत्तर:
(ख) स्वान्तः सुखाय की भावना तथा
(घ ) भाव-पक्ष एवं कला पक्ष को समन्वय
प्रश्न 45:
भक्तिकाव्य की दो प्रमुख शाखाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- निर्गुण – भक्तिशाखा और
- सगुण – भक्तिशाखा।।
प्रश्न 46:
भक्तिकाल के चार प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कबीरदास, मलिक मुहम्मद जायसी, सूरदास और तुलसीदास।
प्रश्न 47:
भक्तिकालीन विभिन्न काव्यधाराओं में किस धारा का काव्य सर्वश्रेष्ठ है और उसका सर्वश्रेष्ठ कवि कौन है?
उत्तर:
सर्वश्रेष्ठ काव्यधारा-रामाश्रयी काव्यधारा तथा सर्वश्रेष्ठ कवि–गोस्वामी तुलसीदास।
प्रश्न 48:
भक्तिकाल की चार प्रमुख काव्यकृतियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बीजके, पद्मावत, सूरसागर तथा श्रीरामचरितमानस।
प्रश्न 49:
तुलसीदास एवं कबीरदास किस भक्तिधारा के कवि हैं?
उत्तर:
तुलसीदास भक्तिकाल क़ी सगुण भक्तिधारा की रामभक्ति-शाखा के कवि हैं तथा कबीरदास भक्तिकाल की निर्गुण भक्तिधारा के ज्ञानमार्गी शाखा के कवि हैं।
प्रश्न 50:
निर्गुण-काव्यधारा की कोई एक प्रमुख विशेषता बताइए और उसके प्रमुख कवि का नामोल्लेख कीजिए।
या
निर्गुण भक्ति-काव्यधारा के दो प्रसिद्ध कवियों के नाम बताइट।
उत्तर:
निर्गुण काव्य में परम ब्रह्म के निराकार स्वरूप की उपासना हुई तथा ज्ञान एवं प्रेम तत्त्व की प्रधानता रही। कबीर एवं मलिक मुहम्मद जायसी इस धारा के प्रमुख कवि हैं।
प्रश्न 51:
सन्त काव्यधारा के चार प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कबीरदास, रैदास, दादू तथा नानक।
प्रश्न 52:
प्रेममार्गी निर्गुण (सूफी) काव्यधारा के प्रमुख कवि का नाम तथा उनकी प्रमुख रचना की उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कवि-मलिक मुहम्मद जायसी। रचना–पद्मावत (महाकाव्य)।
प्रश्न 53:
सूफी काव्यधारा की कुछ प्रमुख कृतियों के नाम लिखिए।
या
सूफी काव्य के दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पद्मावत, मृगावती (कुतुबन), मधुमालती (मंझन), चित्रावली (उसमान) आदि।
प्रश्न 54:
“महिका सेसि कि कोहरंहिँ” कहने वाले कवि का नाम क्या था?
उत्तर:
प्रश्न में उल्लिखित पंक्ति कहने वाले कवि का नाम मलिक मुहम्मद जायसी था।
प्रश्न 55:
सगुण कृष्णभक्ति-शाखा के चार प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सूरदास, मीरा, रसखान, कुम्भनदास, गोविन्ददास, नरोत्तमदास एव परमानन्ददास।
प्रश्न 56:
कृष्णाश्रयी शाखा के दो प्रमुख कवियों के नाम तथा उनकी एक-एक कृति का उल्लेख कीजिए।
या
महाकवि सूरदास की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
या
कृष्ण को नायक मानकर रचना करने वाले दो प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- सूरदास-सूरसागर व साहित्यलहरी तथा
- मीराबाई- नरसीजी का मायरा।
प्रश्न 57:
निम्नलिखित में से कौन-सी दो रचनाएँ भक्तिकाल की नहीं हैं?
(क) सूरसागर
(ख) बिहारी सतसई
(ग) बीजक
(घ) आँस
उत्तर:
‘बिहारी सतसई’ (रीतिकाल) और ‘आँसू (छायावाद) भक्तिकाल की रचनाएँ नहीं हैं।
प्रश्न 58:
राम-काव्यधारा के दो प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
तुलसीदास राम-काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि हैं। अन्य प्रमुख कवि हैं – केशवदास, नाभादास एवं सेनापति।
प्रश्न 59:
राम-काव्यधारा की रचना किन भाषाओं में हुई है?
उत्तर:
राम-काव्यधारा की रचना प्रमुख रूप से अवधी तथा ब्रजभाषा में हुई है।
प्रश्न 60:
ब्रजभाषा तथा अवधी भाषा के मध्यकालीन एक-एक प्रसिद्ध महाकाव्य का नाम लिखिए।
उत्तर:
- ब्रजभाषा – सूरसागर तथा
- अवधी भाषा – श्रीरामचरितमानस।
प्रश्न 61:
रामाश्रयी एवं कृष्णाश्रयी शाखा के एक-एक प्रमुख काव्य का नाम लिखिए
उत्तर:
रामाश्रयी शाखा का प्रमुख महाकाव्य ‘श्रीरामचरितमानस तथा कृष्णाश्रयी शाखा का प्रमुख महाकाव्य ‘सूरसागर’ है।
प्रश्न 62:
सगुण भक्ति काव्यधारा के दो प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सगुण भक्ति काव्य-धारा के दो प्रमुख कवियों के नाम हैं – (1) सूरदास (कृष्णाश्रयी काव्यधारा) तथा (2) गोस्वामी तुलसीदास (रेरामाश्रयी काव्यधारा)।
प्रश्न 63:
रामभक्ति-शाखा के किसी एक कवि तथा उसके द्वारा रचित ग्रन्थों के नाम लिखिए।
या
सगुण भक्तिधारा की रामाश्रयी शाखा के किसी एक कवि द्वारा रचित दो ग्रन्थों के नाम लिखिए।
या
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित दो ग्रन्थों के नाम लिखिए।
या
‘गीतावली’ और ‘दोहावली भक्तिकाल के किस कवि की रचनाएँ हैं?
उत्तर:
तुलसीदास जी के चार ग्रन्थों के नाम हैं – (1) श्रीरामचरितमानस, (2) विनयपत्रिका, (3) कवितावली, (4) गीतावली, (5) दोहावली, (6) बरवै रामायण आदि।
प्रश्न 64:
भक्तिकाल की प्रेमाश्रयी शाखा के एक कवि और उनकी एक रचना का नाम लिखिए।
या
निर्गुण भक्ति-शाखा की दो प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
या
मलिक मुहम्मद जायसी प्रणीत दो ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कवि – मलिक मुहम्मद जायसी और उनकी रचना का नाम है – पद्मावत और अखरावट।
प्रश्न 65:
भक्तिकाल की तीन सामान्य प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- जीव की नश्वरता का समान रूप से वर्णन है।
- प्रभु के नाम-स्मरण तथा गुरु की महत्ता का वर्णन सभी कवियों ने किया है।
- कवियों के नामोल्लेख की प्रवृत्ति रही है।
प्रश्न 66:
हिन्दी-साहित्य के विकास में भक्तिकाल के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भक्त कवियों ने हृदय सागर का मन्थन कर मनोरम भावों का नवनीत प्रदान किया है। भाव, भाषा । और शैली की समृद्धि के कारण ही भक्तिकाल को हिन्दी-साहित्य का स्वर्णयुग कहा जाता है।
प्रश्न 67:
तुलसीदास के रचना काल का युग बताते हुए उनके द्वारा विरचित दो प्रसिद्ध काव्यकृतियों के नाम लिखिए जिनमें एक अवधी तथा दूसरी ब्रजभाषा की हो।
या
तुलसीदास किस काल के कवि हैं। उनकी एक प्रमुख रचना का नाम लिखिए।
उत्तर:
तुलसीदास का रचना काल पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल) में पड़ता है। इनकी कृतियाँ
- श्रीरामचरितमानस-अवधी भाषा तथा
- विनय-पत्रिका–ब्रजभाषा।।
प्रश्न 68:
अवधी भाषा में लिखे गये दो प्रमुख महाकाव्यों और उनके रचनाकारों का नाम लिखिए।
उत्तर:
अवधी भाषा में लिखे गये दो प्रमुख महाकाव्यों के नाम हैं
- ‘पद्मावत’ (मलिक मुहम्मद जायसी) तथा
- श्रीरामचरितमानस (गोस्वामी तुलसीदास)।
प्रश्न 69:
द्वैतवाद के प्रवर्तक का नाम लिखिए।
उत्तर:
द्वैतवाद के प्रवर्तक श्री मध्वाचार्य हैं।
रीतिकाल
प्रश्न 70:
रीतिकाल का यह नाम क्यों पड़ा?
उत्तर:
संस्कृत काव्य – शास्त्र में रीति शब्द काव्यांश विशेष का सूचक रहा है। हिन्दी आचार्यों ने रीति का प्रयोग कवित्त – रीति, कवि – रीति, काव्य – रीति, अलंकार-रीति, रस – रीति, मुक्तक-रीति आदि के लिए किया है। सामान्यतया रीति शब्द काव्य – रचना की पद्धति के लिए प्रयुक्त होता है। रीति – निरूपण के निमित्त रचना में प्रवृत्त होने के कारण इसे ‘रीतिकाल’ की संज्ञा दी गयी।
प्रश्न 71:
रीतिकाल की प्रमुख साहित्यिक विशेषताएँ बताइए।
या
रीतिकालीन काव्य की प्रमुख विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) लिखिए।
उत्तर:
- राज्याश्रित कवियों द्वारा लक्षण-लक्ष्य पद्धति पर काव्य-रचना की गयी (इस प्रकार की रचना करने वाले कवि रीतिबद्ध कहलाए)।
- कुछ कवियों ने उपर्युक्त पद्धति; अर्थात् रीति पद्धति का तिरस्कार क़र स्वतन्त्र काव्य-रचना की (ऐसे कवि रीतिमुक्त कहलाए)।
- श्रृंगार रस की प्रधानता, परन्तु वीर रस का भी ओजस्वी वर्णन।
- मुख्यत: मुक्तक शैली एवं ब्रज भाषा का प्रयोग।
- भाव पक्ष की अपेक्षा कला पक्ष पर बल।
प्रश्न 72:
रीतिबद्ध काव्य के अभिप्राय को स्पष्ट करते हुए इस प्रवृत्ति की किन्हीं दो रचनाओं और उसके रचयिताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
जिस काव्य में काव्य-तत्त्वों का लक्षण देकर उदाहरण रूप में काव्य-रचनो प्रस्तुत की जाती है,
उसे रीतिबद्ध काव्य’ कहते हैं। इस प्रवृत्ति की रचनाओं और उनके रचयिताओं के नाम हैं
- रस-विलास – आचार्य चिन्तामणि तथा
- कविप्रिया-आचार्य केशवदास।
प्रश्न 73:
हिन्दी में रीतिबद्ध और रीतिमुक्त कविता का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
या
रीतिकाव्य कितनी धाराओं में विभाजित है? किन्हीं दो काव्यधाराओं के एक-एक प्रमुख कवि का नाम लिखिए।
या
रीतिकालीन साहित्य को किन दो वर्गों में विभाजित किया गया है?
उत्तर:
रीतिकाव्य मुख्य रूप से दो धाराओं – रीतिबद्ध और रीतिमुक्त – में विभाजित है। एक अन्य गौण विभाजन रीतिसिद्ध भी है। रीतिबद्ध काव्य के अन्तर्गत वे ग्रन्थ आते हैं, जिनमें काव्य-तत्त्वों के लक्षण देकर उदाहरण के रूप में काव्य – रचनाएँ की जाती हैं, जब कि रीतिमुक्त काव्यधारा की रचनाओं में रीति-परम्परा के साहित्यिक बन्धनों एवं रूढ़ियों से मुक्त; स्वच्छन्द रचनाएँ। रीतिमुक्त काव्यधारा के कवियों में घनानन्द का और रीतिबद्ध काव्यकारों में आचार्य चिन्तामणि को प्रमुख स्थान है।
प्रश्न 74:
रीतिकाल के चार प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
या
रीतिकाल के दो महत्त्वपूर्ण कवियों के नाम बताइए।
उत्तर:
केशवदास, बिहारीलाल, देव एवं घनानन्द।
प्रश्न 75:
रीतिकाल में वीर रस का प्रमुख कवि कौन था? उसकी एक रचना का नाम लिखिए।
या
रीतिकाल के किस कवि ने वीर रस की रचना लिखी है? यी भूषण किस रस के कवि थे?
उत्तर:
रीतिकाल में वीर रस में रचना करने वाले प्रमुख कवि ‘भूषण’ थे। उनकी प्रमुख रचना का नाम है-‘शिवराज भूषण’।।
प्रश्न 76:
केशवदास की दो प्रमुख काव्य-रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- रामचन्द्रिका तथा
- कविप्रिया।।
प्रश्न 77:
रीतिकाल की दो काव्यकृतियों और उनके रचनाकारों के नाम लिखिए।
या
रीतिकाल के किन्हीं दो कवियों के नाम लिखिए और उनकी एक-एक रचना भी लिखिए।
या
रीतिकाल के एक प्रमुख कवि तथा उसकी रचना का नाम लिखिए।
उत्तर:
- सतसई-बिहारी तथा
- रामचन्द्रिका केशवदास।
प्रश्न 78:
रीतिकाल के चार रीतिबद्ध कवियों के नाम लिखिए।
या
रीतिकाल की रीतिबद्ध काव्यधारा के किन्हीं दो कवियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- चिन्तामणि,
- मतिराम,
- भूषण तथा,
- देवा ।
प्रश्न 79:
रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- घनानन्द,
- ठाकुर,
- बोधा,
- आलम।
प्रश्न 80:
रीतिमुक्त काव्यधारा की किन्हीं दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रीतिमुक्तरीतिमुक्त काव्य की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- रीतिमुक्त काव्यों में हृदय की शुचिता और पावनता की ही अभिव्यक्ति हुई है।
- रीतिमुक्त काव्यों में भावपक्ष की प्रधानता है, अलंकारादि की बाह्य अतिरंजक प्रवृत्ति नहीं हुई है।
प्रश्न 81:
रीतिकाव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- आश्रयदाताओं की अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसा।
- श्रृंगार और वीर रस की प्रधानता।
- रीतिकाल की कविता का प्रमुख स्वर श्रृंगार का था।
- रीतिकाल के कवियों ने नारी को भोग्या रूप में प्रस्तुत किया।
प्रश्न 82:
रीतिकाल के किन्हीं दो आचार्य कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- आचार्य केशव-रामचन्द्रिका तथा
- आचार्य चिन्तामणि-रस-विलास।।
प्रश्न 83:
रीतिकाल में काव्य-रचना जिन छन्दों में की गयी है उनमें से दो प्रमुख छन्दों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- कवित्त तथा
- सवैया।।
प्रश्न 84:
बिहारी तथा घनानन्द्र ‘रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं?
उत्तर:
बिहारी रीतिबद्ध काव्यधारा के तथा घनानन्द रीतिमुक्त काव्यधारा के कवि हैं।
प्रश्न 85:
निम्नलिखित कृतियों में कौन-सी दो रीतिकाल की रचनाएँ नहीं हैं
(क) उद्धवशतक,
(ख) शिवराजभूषण,
(ग) ललित ललाम,
(घ) गीतिका।
उत्तर:
उद्धवशतक तथा गीतिको।
प्रश्न 86:
‘कठिन काव्य का प्रेत’ किस कवि को कहा जाता है? उस कवि द्वारा रचित महाकाव्यात्मक कृति का नाम लिखिए
उत्तर:
कठिन काव्य का प्रेत ‘रीतिकालीन कवि आचार्य केशवदास को कहा जाता है। इनकी महाकाव्यात्मक कृति का नाम ‘रामचन्द्रिका’ है।
प्रश्न 87:
“सिवा को सराह, के सराह छत्रसाल को” उक्ति किसने कही थी?
उत्तर:
प्रश्न में उल्लिखित उक्ति महाकवि भूषण ने कही थी।
प्रश्न 88:
किस काल को गद्यकाल की संज्ञा दी गयी हैं।
उत्तर:
कविता के आधुनिककाल को गद्यकाल की संज्ञा दी गयी है।
आधुनिककाल
प्रश्न 89:
कविता के आधुनिककाल के प्रथम युग का नाम लिखिए तथा उस युग के एक प्रमुख कवि (प्रवर्तक कवि) का नाम बताइट।
उत्तर:
कविता के आधुनिककाल का प्रथम युग – भारतेन्दु युग। प्रमुख कवि – भारतेन्दु हरिश्चन्द्र।
प्रश्न 90:
‘नवजागरण का अग्रदूत’ किस कवि को कहा जाता है? उसके द्वारा सम्पादित किसी एक पत्रिका का नाम लिखिए।
उत्तर:
नवजागरण का अग्रदूत आधुनिक युग के प्रवर्तक कवि-भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को कहा जाता है। इनके द्वारा सम्पादित पत्रिका ‘कवि वचन सुधा’ है।
प्रश्न 91:
पुनर्जागरण काल (भारतेन्दु युग) का समय लिखिए।
उत्तर:
सन् 1857 से 1900 ई० तक।
प्रश्न 92:
हिन्दी काव्य में आधुनिक युग कब से माना जाता है?
उत्तर:
हिन्दी काव्य में आधुनिक युग सन् 1843 से माना जाता है।
प्रश्न 93:
भारतेन्दु युग के दो कवियों के नाम उनकी एक-एक रचना सहित लिखिए।
या
पुनर्जागरण काल की एक काव्यकृति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ – प्रेमघन सर्वस्व तथा
- प्रतापनारायण मिश्र – प्रताप लहरी।
प्रश्न 94:
निम्नलिखित में से किन्हीं दो की एक-एक प्रसिद्ध काव्य-रचना का नाम लिखिए
(1) महादेवी वर्मा,
(2) सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’,
(3) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,
(4) केशवदास।
उत्तर:
- महादेवी वर्मा – ‘दीपशिखा’।
- सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ – ‘परिमल’।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र – ‘प्रेम-फुलवारी’।
- केशवदास – ‘रामचन्द्रिका’।
प्रश्न 95:
द्विवेदी युग के दो प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
या
आधुनिककाल के दो महाकाव्यों और उनके रचयिताओं के नाम बताइए।
या
द्विवेदी युग के किसी एक महाकाव्य का नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) साकेत – मैथिलीशरण गुप्त।
(2) प्रियप्रवास – अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’।
प्रश्न 96:
द्विवेदीयुगीन कविता की दो प्रमुख विशेषताओं (प्रवृत्तियों) का वर्णन कीजिए।
या
द्विवेदी युग के काव्य की दो विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) लिखिए।
उत्तर:
द्विवेदी युग के काव्य की दो विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) निम्नलिखित हैं
- काव्य में ब्रजभाषा के स्थान पर खड़ी बोली की प्रतिष्ठा हुई।
- स्वदेश प्रेम तथा स्वदेशी गौरव पर काव्य-रचनाएँ की गयीं।
प्रश्न 97:
कविता के आधुनिकंकाल के द्वितीय युग का नाम तथा उस युग के एक प्रमुख कवि तथा एक रचनों का नाम लिखिए।
उत्तर:
आधुनिककाल के द्वितीय’ युग का नाम ‘द्विवेदी युग’ है। कवि-मैथिलीशरण गुप्त; रचना–साकेत।
प्रश्न 98:
द्विवेदी युग की समयसीमा बताइए।
उत्तर:
द्विवेदी युग की समय-सीमा 1900 ई० से 1918 ई० तक है।।
प्रश्न 99:
छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताओं (प्रवृत्तियों) का उल्लेख करते हुए किन्हीं दो छायावादी कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- मूलतः सौन्दर्य और प्रेम का काव्य,
- प्रकृति का मानवीकरण,
- अज्ञात के प्रति जिज्ञासा (रहस्यवादी प्रवृत्ति),
- नारी की महिमा का वर्णन,
- राष्ट्रीयता की भावना,
- वैराग्य, वेदना और पलायनवादिता,
- प्रतीकात्मकता और लाक्षणिकता,
- चित्रात्मकता,
- प्रगतिमयता तथा
- खड़ी बोली का अतिशय परिमार्जन।।
दो छायावादी कवियों के नाम – (1) जयशंकर प्रसाद तथा (2) सुमित्रानन्दन पन्त।
प्रश्न 100:
छायावादी कविता के हास के कारण लिखिए।
उत्तर:
विदेशी शासन के दमन के कारण जनसाधारण की निरन्तर बढ़ती पीड़ा छायावाद के ह्रासं का मुख्य कारण बनी। इस दमन को देखकर कविगण कल्पना लोक से उबरकर यथार्थ के कठोर धरातल पर आ गये। संक्षेप में, छायावादी कविता के ह्रास के कारण इस प्रकार हैं
- (1) छायावादी कविता में सूक्ष्म और वायवीय कल्पनाओं की अधिकता थी।
- (2) स्थूल जगत् की कठोर वास्तविकता से उसका कोई सम्बन्ध नहीं रह गया था।
- (3) समाज में पूँजी के विरुद्ध आवाज उठ रही थी, इसलिए अतिशय कल्पना को छोड़ रोटी, कपड़ा और मकान कविता का विषय बनने लगे थे।
प्रश्न 101:
छायावाद काल की समय-सीमा बताइए।
उत्तर:
सन् 1918 से 1938 ई० तक का समय, छायावाद के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 102:
छायावाद के चार कवि और उनकी दो-दो रचनाएँ लिखिए।
या
छायावाद युग के दो प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
या
छायावाद के दो कवियों के नाम बताइए और उनकी एक-एक रचना का उल्लेख कीजिए।
या
जयशंकर प्रसाद की दो काव्य-कृतियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- जयशंकर प्रसाद कामायनी; आँसू,
- सुमित्रानन्दन पन्ते – पल्लव; ग्राम्या,
- सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ – परिमल; गीतिका,
- महादेवी वर्मा – दीपशिखा; सान्ध्य – गीत।
प्रश्न 103:
गुसाईंदत्त को कवि के रूप में किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
गुसाईंदत्त को कवि के रूप में “सुमित्रानन्दन पन्त” के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 104:
दो रहस्यवादी कवि और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- सुमित्रानन्दन पन्त कृत ‘पल्लव’ तथा
- महादेवी वर्मा कृत ‘दीपशिखा’।
प्रश्न 105:
निम्नलिखित कवियों की एक-एक प्रमुख रचना का नाम लिखिए-जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’, सुमित्रानन्दन पन्त।
उत्तर:
- जगन्नाथदास रत्नाकर’, रचना – गंगावतरण।
- सुमित्रानन्दन पन्त, रचना – चिदम्बरा।
प्रश्न 106:
निम्नलिखित कवियों में से किन्हीं दो द्वारा रचित एक-एक प्रमुख काव्यग्रन्थ का नाम लिखिए –
(1) सुमित्रानन्दन पन्त,
(2) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’,
(3) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,
(4) रामधारी सिंह “दिनकर।
उत्तर:
- चिदम्बरा,
- कितनी नावों में कितनी बार,
- प्रियप्रवास तथा
- कुरुक्षेत्र।
प्रश्न 107:
आधुनिक युग के किसी एक महाकाव्य और उसके रचनाकार का नाम लिखिए।
या
‘कामायनी’ महाकाव्य के रचयिता का नाम लिखिए।
उत्तर:
महाकाव्य-कामायनी; रचनाकार – जयशंकर प्रसाद।
प्रश्न 108:
प्रगतिवादी कविता की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
या
प्रगतिवादी काव्य की दो प्रमूख प्रवृत्तियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- साम्यवाद का काव्यात्मक रूपान्तर (अर्थात् मार्क्स और रूस को गुणगान, पूँजीवाद का विरोध एवं कृषक-मज़दूर-राज्य की स्थापना का स्वप्न),
- यथार्थवाद,
- परम्पराओं और रूढ़ियों का विरोध,
- धर्म और ईश्वर में अविश्वास,
- श्रम की महत्ता की स्थापना,
- शोषितों के प्रति सहानुभूति,
- वेदना और निराशा,
- नारी के प्रति आधुनिक यथार्थवादी दृष्टिकोण,
- जन-भाषा का आग्रह तथा
- छन्दों और अलंकारों का बहिष्कार।
प्रश्न 109:
प्रगतिवाद के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
नागार्जुन (युगधारा), केदारनाथ अग्रवाल (युग की गंगा), शिवमंगल सिंह ‘सुमन (प्रलय-सृजन), त्रिलोचन शास्त्री (धरती)।
प्रश्न 110:
‘प्रगतिशील लेखक संघ के अधिवेशन की अध्यक्षता मुंशी प्रेमचन्द ने कहाँ और कब की थी?
उत्तर:
सन् 1936 ईसवी में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन’ के समय प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हुई। मुंशी प्रेमचन्द ने इस संस्था के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
प्रश्न 111:
प्रगतिवादी युग के दो कवियों तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
या
छायावादोत्तर काल के किसी एक कवि तथा उनकी रचना का नाम-निर्देश कीजिए।
उत्तर:
- रामधारी सिंह ‘दिनकर’-उर्वशी तथा
- शिवमंगल सिंह ‘सुमन’–विन्ध्य हिमालय से।
प्रश्न 112:
छायावादोत्तर काल की कविता का काल-विभाजन लिखिए।
उत्तर:
- प्रगतिवाद, प्रयोगवाद (1938 – 1959 ई०);
- नयी कविता का काल (1959 ई० से वर्तमान तक)।
प्रश्न 113:
प्रयोगवादी कविता की दो मुख्य विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) बताइए।
या।
छायावादोत्तर काल की काव्य-प्रवृत्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
- अति वैयक्तिकता,
- निराशा, कुण्ठा और घुटन,
- फ्रायड के प्रभाववश नग्न यौन-चित्रण,
- अतियथार्थवाद (नग्न यथार्थ),
- पराजय, पलायन और वेदना,
- बौद्धिकता,
- क्षण का महत्त्व,
- अवचेतन के यथावत् प्रकाशन का आग्रह,
- अनगढ़ भाषा का प्रयोग एवं
- नया शिल्पविधान (नये उपमानों, बिम्बों, प्रतीकों का प्रयोग तथा छन्दहीनता का आग्रह)।
प्रश्न 114:
प्रयोगवाद से आप क्या समझते हैं? ‘नयी कविता’ क्या है?
उत्तर:
सन् 1943 में प्रकाशित ‘तारसप्तक’ की कविताओं में नये बिम्ब-विधानों, नये अलंकारों और नयी भावाभिव्यक्ति को अपनाया गया। काव्य की इसी नयी विधा को ‘प्रयोगवादी काव्य’ के नाम से अभिहित किया गया। नयी कविता इस प्रयोगवादी कविता का ही विकसित रूप है।
प्रश्न 115:
प्रयोगवादी काव्यधारा का नेतृत्व करने वाले कवि का नामोल्लेख कीजिए और उनके एक प्रमुख प्रकाशन का नाम लिखिए।
या
अज्ञेय का पूरा नाम लिखिए। उन्हें किस काव्य-कृति पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था?
उत्तर:
प्रयोगवादी काव्यधारा का नेतृत्व करने वाले कवि सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ हैं। इन्होंने ‘तारसप्तक’ नामक एक काव्य-संकलन सन् 1943 ई० में प्रकाशित किया। ‘कितनी नावों में कितनी बार इनकी एक प्रमुख रचना है, जिस पर इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार की प्राप्ति हुई है।
प्रश्न 116:
तारसप्तक के कवियों के नाम लिखिए।
या
हिन्दी में प्रयोगवादी काव्यधारा के किन्हीं चार कवियों के नाम लिखिए।
या
किन्हीं दो प्रयोगवादी कवियों के नाम लिखिए।
या
सप्तक परम्परा के दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, गजानन माधव मुक्तिबोध’, गिरिजाकुमार माथुर, प्रभाकर माचवे, नेमिचन्द्र जैन, भारत भूषण और रामविलास शर्मा। सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने। इन सात कवियों की रचनाएँ ‘तारसप्तक’ के नाम से सन् 1943 ई० में प्रकाशित कीं।
प्रश्न 117:
‘तारसप्तक’ का प्रकाशन किसने और किस समय किया? इसके सम्पादक कौन थे?
या
‘तारसप्तक का सम्पादन प्रथम बार कब और किसने किया?
उत्तर:
श्री सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने सन् 1943 ई० में अपनी पीढ़ी के अन्य छह कवियों के सहयोग से ‘तारसप्तक’ का प्रकाशन किया। इसके सम्पादक श्री सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ स्वयं थे।
प्रश्न 118:
‘तारसप्तक’ की कविताएँ किस काव्यधारा से सम्बन्धित हैं?
उत्तर:
‘तारसप्तक’ की कविताएँ प्रयोगवादी काव्यधारा से सम्बन्धित हैं।
प्रश्न 119:
दूसरा सप्तक में संकलित कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दूसरा सप्तक सन् 1951 ई० में प्रकाशित हुआ। इसमें संकलित कवियों के नाम हैं-भवानी प्रसाद मिश्र, शकुन्त माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेर बहादुर सिंह, नरेश मेहता, रघुवीर सहाय तथा धर्मवीर भारती।
प्रश्न 120:
तीसरा सप्तक कब प्रकाशित हुआ? संकलित कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
तीसरा सप्तक सन् 1959 ई० में प्रकाशित हुआ। इसमें संकलित कवियों के नाम हैंप्रयागनारायण त्रिपाठी, कीर्ति चौधरी, मदन वात्स्यायन, केदारनाथ सिंह, कुंवर नारायण, विजय देवनारायण साही तथा सर्वेश्वरदयाल सक्सेना।
प्रश्न 121:
चौथा सप्तक कब प्रकाशित हुआ? इसमें संकलित कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सन् 1979 में चौथा सप्तक प्रकाशित हुआ। इसमें संकलित कवियों के नाम हैं-अवधेश कुमार, राजकुमार कुम्भज, स्वदेश भारती, नन्दकिशोर आचार्य, सुमन राजे, श्रीराम वर्मा तथा राजेन्द्र किशोर।
प्रश्न 122:
गजानन माधव मुक्तिबोध’ किस सप्तक में संकलित हैं?
उत्तर:
गजानन माधव मुक्तिबोध’ सन् 1943 में प्रकाशित ‘तारसप्तक’ में संकलित हैं।
प्रश्न 123:
प्रयोगवादी काव्य की पाँच रचनाओं और रचयिताओं के नाम लिखिए।
या
प्रयोगवादी काव्यधारा के किन्हीं दो कवियों की एक-एक रचना का उल्लेख कीजिए।
या
गजानन माधव मुक्तिबोध की किसी एक काव्य-कृति का नाम लिखिए।
उत्तर:
भग्नदूत (सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय’), चाँद का मुंह टेढा (गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’); ओ अप्रस्तुत मन (भारतभूषण अग्रवाल), धूप के धान (गिरिजाकुमार माथुर), गीतफरोश (भवानीप्रसाद मिश्र)।
प्रश्न 124:
आधुनिक युग की कविता की चार मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- यथार्थ का उन्मुक्त चित्रण,
- नारी-मुक्ति का आह्वान,
- लघुता के प्रति सजगता और
- गेय तत्त्व की अवहेलना।।
प्रश्न 125:
आधुनिक कविता के प्रमुख वादों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, हालावाद, स्वच्छन्दतावाद आदि आधुनिक कविता के प्रमुख वाद हैं।
प्रश्न 126:
नयी कविता से आप क्या समझते हैं?
या
‘नयी कविता’ पत्रिका के सम्पादक का नाम लिखिए तथा इस पत्रिका का सर्वप्रथम प्रकाशन वर्ष लिखिए।
उत्तर:
नयी कविता का आरम्भ सन् 1954 ई० में जगदीश गुप्त और डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी के सम्पादन में नयी कविता के प्रकाशन से हुआ। यह कविता किसी वाद से बँधकर नहीं चलती।
प्रश्न 127:
नयी कविता को अकविता क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
नयी कविता परम्परागत कविता के स्वरूप से नितान्त भिन्न हो गयी है। यह किसी वाद या दर्शन से जुड़ी नहीं है, इसलिए इसे अकविता कहा जाता है।
प्रश्न 128:
नयी कविता की किन्हीं दो प्रमुख रचनाओं का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- युग की गंगा-केदारनाथ अग्रवाल तथा
- बूंद एक टपकी-भवानीप्रसाद मिश्र।
प्रश्न 129:
‘नयी कविता’ से सम्बन्धित किन्हीं दो पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- कल्पना’ तथा
- ज्ञानोदय’।
प्रश्न 130:
नयी कविता के पाँच प्रमुख कवियों के नाम बताइए।
उत्तर:
जगदीश गुप्त, धर्मवीर भारती, नरेश मेहता, लक्ष्मीकान्त वर्मा तथा सर्वेश्वरदयाल सक्सेना।
प्रश्न 131:
नयी कविता की विंडोषताओं (प्रवृत्तियों) का उल्लेख करते हुए किन्हीं दो प्रतिनिधि कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर;
नयी कविता की प्रमुख विशेषताएँ हैं
- यथार्थता,
- वर्जनाओं से मुक्ति (अर्थात् सामाजिक मर्यादाओं एवं बन्धनों का तिरस्कार करके नि:संकोच अश्लील चित्रण),
- हृदयपक्ष की अपेक्षा बुद्धिपक्ष की प्रधानता,
- निराशा तथा अवसाद (खिन्नता), की प्रबलता,
- खिचड़ी भाषा, जिसमें हिन्दी की विभिन्न बोलियों, प्रादेशिक भाषाओं एवं अंग्रेजी आदि के शब्दों का घालमेल,
- प्रतीकों, बिम्बों एवं मुक्त छन्द पर बल। नयी कविता के दो प्रतिनिधि कवि हैं – जगदीश गुप्त और सर्वेश्वरदयाल सक्सेना।
प्रश्न 132:
नवगीत’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
नवगीत’ छायावादी एवं प्रगतिवादी दोनों ही काव्यों की कई विशेषताओं से युक्त ऐसा काव्य है, जिसमें आधारभूत चेतना, जीवन-दृष्टि, भाव-भूमि एवं अभिव्यंजना शैली की व्यापकता, सूक्ष्मता, विविधता, यथार्थता एवं लौकिकता का एकान्तिक संयोग हैं।
प्रश्न 133:
‘नवगीत’ की किन्हीं दो आधारभूत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नवगीत की दो आधारभूत विशेषताएँ हैं
- सर्वत्र भावानुकूल भाषा का प्रयोग तथा
- स्वस्थ बिम्ब एवं प्रतीक विधान।
प्रश्न 134:
‘नवगीत’ के दो महत्त्वपूर्ण गीतकारों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
नवगीत के दो महत्त्वपूर्ण गीतकार और उनकी रचनाएँ हैं
- शम्भूनाथ सिंह (‘उदयाचल’, ‘दिवालोक’, ‘समय की शिला पर’, ‘जहाँ दर्द नील हैं’ आदि।) तथा
- वीरेन्द्र मिश्र (‘गीतम’, ‘लेखनी बेला’, ‘अविराम चल मधुवन्ति’ आदि।)
प्रश्न 135:
नवगीतधारा के प्रमुख कवियों के नाम बताइए।
उत्तर:
रमानाथ अवस्थी, डॉ० शम्भूनाथ सिंह, श्रीपाल सिंह ‘क्षेम’, गुलाब खण्डेलवाल, सुमित्राकुमारी सिन्हा, शान्ति मेहरोत्रा, हंसकुमार तिवारी, सोम ठाकुर, गोपालदास नीरज’, वीरेन्द्र मिश्र तथा डॉ० कुँवर बेचैन।
प्रश्न 136:
साठोत्तरी कविता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
साठोत्तरी कविता मोह-भंग, आक्रोश, अस्वीकार, तनाव और विद्रोह की कविता है। इसका मुहावरा नया है, शैली बेपर्द है और इसमें जिजीविषा का गहरा रंग है।
प्रश्न 137:
साठोत्तरी कविता की किन्हीं दो आधारभूत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
साठोत्तरी कविता की दो आधारभूत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- अन्याय के विरुद्ध और शासन द्वारा कही जाने वाली चिकनी-चुपड़ी बातों की आक्रोशयुक्त स्वर में अभिव्यक्ति तथा
- व्यक्ति और उसके परिवेश की हर परत की बेपर्द अभिव्यक्ति।
प्रश्न 138:
साठोत्तरी कविता के किन्हीं दो प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
साठ्येत्तरी कविता के दो महत्त्वपूर्ण कवि और उनकी रचनाएँ हैं
- धूमिल (‘संसद से सड़क तक’, ‘कल सुनना मुझे’, ‘सुदामा पाण्डे का प्रजातन्त्र आदि) तथा
- रामदरश मिश्र (‘पथ के गीत’, बैरंग बेनाम चिट्ठियाँ’, ‘पक गयी है धूप’, ‘कन्धे पर सूरज’ आदि)।
प्रश्न 139:
‘नया दोहा’ के प्रमुख संकलनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नया दोहा’ के प्रमुख संकलनों के नाम हैं
- अमलतास की छाँव (पाल भसीन),
- आँखों खिले पलाश (पं० देवेन्द्र शर्मा इन्द्र’),
- बटुक सतसई (विश्वप्रकाश दीक्षित ‘बटुक’),
- कालाय तस्मै नमः (भारतेन्दु मिश्र) आदि।
प्रश्न 140:
वर्तमान युग के पाँच जीवित कवियों के नाम लिखिए।
या
वर्तमान युग के किन्हीं दो जीवित कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वर्तमान युग के पाँच जीवित कवियों के नाम हैं-पं० देवेन्द्र शर्मा इन्द्र’, पाल भसीन, विश्वप्रकाश दीक्षित ‘बटुक’, भारतेन्दु मिश्र और दिवाकर आदित्य शर्मा।।
प्रश्न 141:
रीतिकाल के किसी एक भक्त कवि का नामोल्लेख करते हुए उसके द्वारा प्रयुक्त भाषा का नाम लिखिए।
उत्तर:
बिहारी-परिमार्जितः ब्रजभाषा।
प्रश्न 142:
हिन्दी साहित्य के आधुनिक काव्य की दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- यथार्थपरक तथा मानक्तावादी दृष्टि तथा
- जीवन के नए प्रतिमानों की स्थापना।
प्रश्न 143:
अवधी भाषा के किन्हीं दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
तुलसीदास तथा मलिक मुहम्मद जायसी।
प्रश्न 144:
‘पद्मावत’ में जायसी द्वारा प्रयुक्त भाषा और शैली का नामोल्लेख कीजिए।
या
जायसी का ‘पद्मावत’ किस भाषा में लिखा गया है?
उत्तर:
भाषा-अवधी, शैली – प्रबन्ध शैली।
प्रश्न 145:
दो प्रमुख प्रयोगवादी कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।
- गजानन माधव मुक्तिबोध’।
प्रश्न 146:
छायावादोत्तर काल के किसी एक कवि तथा उनकी एक रचना का नाम निर्देश कीजिए।
उत्तर:
सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ -गीतिका।
प्रश्न 147:
‘कवितावर्धिनी सभा’ के संस्थापक तथा उसके मुखपत्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
कवितावर्धिनी’ सभा के संस्थापक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र थे। इस सभा के मुखपत्र का नाम ‘कविवचन सुधा’ था।
प्रश्न 148:
जनवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जनवाद कला, साहित्य और जीवन के प्रति विशिष्ट दृष्टिकोण है, जो जनसामान्य को महत्त्व देता है। जनवाद मोटे तौर पर मार्क्सवाद से प्रेरित साहित्य है जिसका मूलाधार भौतिक दर्शन पर टिका हुआ है। कार्ल मार्स ने जो समाज और उसके विविध रूपों और विचारों की ऐतिहासिक व्याख्याएँ कीं, वे कला और साहित्य पर भी लागू होती हैं। ऐसे साहित्य की जो मार्क्सवादी विवेचना हुई, उसी से जनवाद का प्रादुर्भाव हुआ।
प्रश्न 149:
जनवादी कविता से आप क्या समझते हैं? इसकी आधारभूत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जनवादी कविता में मानव के सामूहिक भावों की अभिव्यक्ति होती है। व्यक्ति-वैचित्र्य के लिए उसमें स्थान नहीं होता। रचनाकार में शक्ति जनता से आती है, जनता के साथ उसको सम्बन्ध जितना घनिष्ठ होता है, उसमें उतनी ही अधिक रचना-शक्ति आती है और उसकी रचना में उतना ही अधिक सौन्दर्य बढ़ता है। जिस कवि की दृष्टि मात्र अन्तर्मुखी न हो, जिस कवि की विषय-वस्तु में सिर्फ व्यक्ति-निष्ठ भावनाओं का चित्रण न हो। और जिस कवि के काव्य को सम्पर्क जनता के व्यापक जीवन से हो वही कवि जनवादी कवि होता है।
प्रश्न 150:
प्रमुख जनवादी कवियों और उनकी कतिपय रचनाओं का नामोल्लेख कीजिए।
या
जनवादी कविता की वृहत्-त्रयी के लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जनवादी कविता के लेखकों की वृहतत्रयी नहीं है। वृहत्-त्रयी छायावादी रचनाकारों की मानी जाती है। प्रमुख जनवादी कवि और उनकी कतिपय रचनाएँ निम्नलिखित हैं
- नागार्जुन – ‘युगधारा’, ‘सतरंगे पंखों वाली’, ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘भस्मांकुर’, ‘खिचड़ी विप्लव देखा हमने’, ‘पुरानी जूतियों का कोरस’ आदि।
- केदारनाथ अग्रवाल – ‘नींद के बादल’, ‘युग की गंगा’, ‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’, ‘गुल मेंहदी’, ‘कहै केदार खरी-खरी’, ‘आत्म-गंध’ आदि।
- धूमिल – ‘संसद से सड़क तक’, ‘कल सुनना मुझे’, ‘मोचीराम’ आदि।
- त्रिलोचन – ‘मिट्टी की बारात’, ‘ताप के ताए हुए दिन’, उस जनपद का कवि हूँ’, ‘अरधान’, ‘धरती’, ‘तुम्हें सौपता हूँ’, ‘अनकहनी भी कुछ कहनी है’ आदि। इनके अतिरिक्त आलोक धन्वा, विनोद कुमार शुक्ल, कुमार विकल आदि भी जनवादी कवि हैं।
प्रश्न 151:
जायसी की दो काव्यकृतियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- पद्मावत तथा
- आखरी कलाम।
प्रश्न 152:
‘रसवन्ती के रचनाकार को नाम लिखिए।
उत्तर:
रामधारीसिंह ‘दिनकर’।
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