UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi काव्यांजलि Chapter 3 गोस्वामी तुलसीदास
UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi काव्यांजलि Chapter 3 गोस्वामी तुलसीदास
कति का साहित्यिक परिचय और कृतियाँ
प्रश्न 1.
गोस्वामी तुलसीदास का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं (साहित्यिक प्रदेय) का उल्लेख कीजिए।
या
गोस्वामी तुलसीदास का साहित्यिक परिचय दीजिए और उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
साहित्यिक सेवाएँ–तुलसीदास जिस काल में उत्पन्न हुए, उस समय हिन्दू-जाति धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक अधोगति को पहुँच चुकी थी। हिन्दुओं का धर्म और आत्म-सम्मान यवनों के अत्याचारों से कुचला जा रहा था। सभी ओर निराशा का वातावरण व्याप्त था। ऐसे समय में अवतरित होकर गोस्वामी जी ने जनता के सामने भगवान् राम का लोकरक्षक रूप प्रस्तुत किया, जिन्होंने यवन शासकों से कहीं अधिक शक्तिशाली रावण को केवल वानर-भालुओं के सहारे ही कुलसहित नष्ट कर दिया था। गोस्वामी जी का अकेला यही कार्य इतना महान् था कि इसके बल पर वे सदा भारतीय जनता के हृदय-सम्राट् बने रहेंगे।
काव्य के उद्देश्य के सम्बन्ध में तुलसी का दृष्टिकोण सर्वथा सामाजिक था। इनके मत में वही कीर्ति, कविता और सम्पत्ति उत्तम है जो गंगा के समान सबका हित करने वाली हो–“कीरति भनिति भूति भलि सोई। सुरसरि सम सबकर हित होई।।” जनमानस के समक्ष सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन का उच्चतम आदर्श रखना ही इनका काव्यादर्श था। जीवन के मार्मिक स्थलों की इनको अद्भुत पहचान थी। तुलसीदास ने राम के शक्ति, शील, सौन्दर्य समन्वित रूप की अवतारणा की है। इनका सम्पूर्ण काव्य समन्वय-भाव की विराट चेष्टा है। ज्ञान की अपेक्षा भक्ति का राजपथ ही इन्हें अधिक रुचिकर लगा है।
साहित्य में स्थान-इस प्रकार रस, भाषा, छन्द, अलंकार, नाटकीयता, संवाद-कौशल आदि सभी दृष्टियों से तुलसी की काव्य अद्वितीय है। कविता-कामिनी उनको पाकर धन्य हो गयी। हरिऔध जी की निम्नलिखित उक्ति उनके विषय में बिल्कुल सत्य है—
“कविता करके तुलसी न लसे। कविता लसी पा तुलसी की कला ।”
पद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर
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