UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 गुरु तेग बहादुर (महान व्यक्तित्व)

By | May 26, 2022

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 गुरु तेग बहादुर (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 गुरु तेग बहादुर (महान व्यक्तित्व)

पाठ का सारांश

गुरु तेग बहादुर का जन्म 18 अप्रैल, 1621 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। ये गुरु हरगोबिंद जी के पाँचवें पुत्र थे। सिक्खों के आठवें गुरु हरिकृष्ण जी के निधन के बाद सिक्खों के नवें गुरु बने। इनके बचपन का नाम ‘त्यागमल’ था। मुगलों के साथ हुए युद्ध में इनकी वीरता देखकर इनके पिता ने इनका नाम तेग बहादुर (तलवार का धनी) रख दिया। मुगलों के साथ युद्ध में हुए भीषण रक्तपात का इनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा और इन्होंने वैराग्य धारण कर लिया। इन्होंने 20 वर्षों तक एकांत में साधना की। इन्होंने आनंदपुर साहिब का निर्माण कराया और वहीं रहने लगे। धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए इन्होंने कई स्थानों का भ्रमण किया। इन्होंने परोपकार के लिए कई कुँओं एवं धर्मशालाओं का निर्माण कराया। गुरु तेग बहादुर ने लोगों का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराने का विरोध किया जिससे नाराज होकर औरंगजेब ने दिल्ली के चाँदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर का शीश काटने का हुक्म दिया। गुरु तेग बहादुर ने हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। गुरु तेग बहादुर की याद में उनके शहीदी स्थल पर गुरुद्वारा बना है, जिसका नाम गुरुद्वारा शीशगंज साहिब है। यह दिल्ली के चाँदनी चौक में है। मानवता के हित में उनका यह त्यागमय बलिदान अतुलनीय व अविस्मरणीय है।

अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिएप्रश्न

प्रश्न 1:
गुरु तेग बहादुर का जन्म कब  और कहाँ हुआ ?
उत्तर:
गुरु तेग बहादुर का जन्म 18 अप्रैल, 1621 को पंजाब प्रांत के अमृतसर में हुआ था।

प्रश्न 2:
सिक्खों के नवें गुरु कौन थे ?
उत्तर:
सिक्खों के नवें गुरु- गुरु तेग बहादुर थे।

प्रश्न 3:
“मानवता के हित में गुरु तेग बहादुर  का बलिदान अतुलनीय व अविस्मरणीय है।” इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
विश्व के इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर जी का स्थान अद्वितीय है। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए था। इनके बलिदान से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।

प्रश्न 4:
गुरु तेग बहादुर को इनके बलिदान के कारण क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
गुरु तेग बहादुर को इनके बलिदान  के लिए इनको ‘हिंद की चादर’ या ‘भारत की ढाल’ कहा जाता है।

प्रश्न 5:
गुरु तेग बहादुर के व्यक्तित्व की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
गुरु तेग बहादुर के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ हैं। गुरु तेग बहादुर अपने जीवन के आरंभ में एक वीर योद्धा थे। मुगलों के साथ हुए युद्ध के बाद इन्हें हिंसा से नफरत हो गई और इन्होंने वैराग्य धारण कर लिया। बाद में  मानव कल्याण में लग गए तथा कुँओं एवं धर्मशालाओं का निर्माण कराया। अपने सिक्ख धर्म के प्रचार के लिए देश के कई स्थानों का भ्रमण किया तथा अंत में धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। अंत में हम यही कह सकते हैं कि ये एक उच्च कोटि के संत तथा महापुरुष थे। इन्हें सदैव ही याद किया जाएगा।

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