UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 25 भारत के महान शिक्षाविद् (महान व्यक्तित्व)

By | May 26, 2022

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 25 भारत के महान शिक्षाविद् (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 25 भारत के महान शिक्षाविद् (महान व्यक्तित्व)

पाठ का सारांश

पंडित मदनमोहन मालवीय:
पण्डित मदनमोहन मालवीय का जन्म 26 दिसम्बर, 1861 ई० को इलाहाबाद में हुआ। इनके पिता ब्रजनाथ मालवीय ने इनकी आरम्भिक शिक्षा धर्म ज्ञानोपदेश पाठशाला में कराई। अपने शिक्षक देवकीनन्दन की प्रेरणा से मालवीय जी कुशल वक्ता बने। इन्होंने स्नातक तक शिक्षा पाने के बाद सरकारी हाईस्कूल में शिक्षक का पद सँभाला। अपनी वक्ता और शिक्षण शैली के कारण ये लोकप्रिय शिक्षक के रूप में विख्यात हुए।

मालवीय जी में बचपन से ही समाजसेवा और देशभक्ति की भावना थी। ये धार्मिक संकीर्णता और साम्प्रदायिकता के घोर विरोधी थे। सन् 1902 ई० में ये उत्तर प्रदेश के एसेंबली चुनाव में सदस्य निर्वाचित हुए। सन् 1910 से 1920 तक सदस्य रहे। 1931 ई० में लन्दने में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए इन्होंने साम्प्रदायिकता का विरोध किया। | मालवीय जी ने निरक्षरता को दूर करने और शिक्षा के प्रसार के लिए अनेक प्रयत्न किए। ये स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए देशवासियों से धन माँगा। काशी नरेश ने इसके लिए पर्याप्त धन और भूमि दी। इनकी ईमानदारी, लगन और परिश्रम के कारण ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 1918 ई० में हुई। इसमें जितने विषयों के अध्ययन की व्यवस्था है, उतनी  एक साथ शायद ही कहीं हो। मालवीय जी राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल समर्थक थे। सन् 1946 ई० में इनका निधन हो गया। उनका यश और कीर्ति भारतीयों के मन में जीवित है।

सर सैयद अहमद खाँ:
सर सैयद अहमद खाँ का जन्म 17 अक्टूबर, 1817 ई० को दिल्ली के एक सम्पन्न परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम मीर मुक्तकी और माता का नाम अजीजुन्निसा बेगम था। इनकी शिक्षा अरबी, फारसी, हिन्दी, अँग्रेजी के अनेक विद्वानों द्वारा हुई। इन्होंने पहले मुगल दरबार में नौकरी की। इसके बाद ये अँग्रेजों की नौकरी करने लगे। अनेक पदों पर कार्य करके सन् 1876 ई० में बनारस के स्माल काजकोर्ट के जज के पद से सेवानिवृत्त हुए। अंग्रेजों ने इन्हें ‘सर’ की। उपाधि दी।
अहमद साहब बहुत मितव्ययी थे। इन्होंने एक पुस्तक ‘असबाबे बगावते हिन्द’  लिखी। इनकी दृष्टि में 1857 के विद्रोह का कारण भारतीयों को कानून बनाने से दूर रखना था। इन्होंने भारतीय मुस्लिम समाज को दिशा-निर्देश दिया। ये मुस्लिमों में बौद्धिक चेतना जाग्रत् करना चाहते थे। इन्होंने ‘तहजीबुल एखलाक’. पत्रिका निकाली। इसके अनुसार धर्म के साथ-साथ आधुनिक विषयों और विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करना भी जरूरी था। इनके अनुसार शिक्षा का उद्देश्य छात्र की बौद्धिक चेतना उजागर करना और उसके व्यक्तित्व का निखार करना है।
शिक्षा के विकास के लिए इन्होंने अनेक संस्थाएँ खोलीं। इनमें मुरादाबाद को फारसी मदरसा और साइंटिफिक सोसाइटी गाजीपुर और अलीगढ़ प्रमुख हैं। इन्होंने मोहम्मडन एजुकेशनल कान्फ्रेंस की स्थापना की। इन्होंने समाज के लोगों से चन्दा  एकत्र करके सन् 1875 ई० में मुहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज, अलीगढ़ की स्थापना की, जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह इनकी अमूल्य देन है।
मुक्त विचारों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और साम्प्रदायिक सौहार्द के कारण सर सैयद अहमद खाँ सर्वत्र : सम्मानित होते थे। 25 मार्च, सन् 1898 को इनका निधन हो गया।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
मालवीय जी की आरम्भिक शिक्षा कहाँ हुई?
उत्तर:
मालवीय जी की आरम्भिक शिक्षा ‘धर्म ज्ञानोपदेश पाठशाला’ प्रयाग में हुई।

प्रश्न 2:
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में मालवीय जी ने किस बात का विरोध किया?
उत्तर:
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में मालवीय जी  ने साम्प्रदायिकता का विरोध किया।

प्रश्न 3:
मालवीय जी ने शिक्षा के प्रसार के लिए क्या किया?
उत्तर:
शिक्षा के प्रसार के लिए इन्होंने अनेक प्रयत्न किए। ये स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। ये शिक्षा को देश की उन्नति के लिए जरूरी समझते थे। लोगों से चन्दा अथवा धन एकत्र करके इन्होंने सन्
1918 ई० में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की।  इसमें अनेक विषयों के अध्ययन की व्य

प्रश्न 4:
सर सैयद अहमद खाँ के अनुसार 1857 ई० के विद्रोह का कारण क्या था?
उत्तर:
सर सैयद अहमद खाँ के अनुसार 1857 ई० के विद्रोह का मुख्य कारण भारतीयों को कानून बनाने से अलग रखना था।

प्रश्न 5:
मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए सर सैयद अहमद खाँ ने कौन-कौन से कार्य किए?
उत्तर:
मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए सर सैयद अहमद खाँ ने  अनेक कार्य किए। उन्होंने मुस्लिमों में बौद्धिक चेतना जाग्रत करने के लिए तहजीबुल एखलाक”पत्रिका निकाली। उनका कहना था कि धर्मशास्त्रीय ज्ञान के साथ आधुनिक विषयों और विज्ञान का ज्ञान भी जरूरी है।

प्रश्न 6:
शिक्षा के उत्थान में सर सैयद अहमद खाँ का क्या योगदान है?
उत्तर:
शिक्षा के उत्थान में सर सैयद अहमद खाँ का बहुत योगदान है। उन्होंने इस कार्य के लिए अनेक संस्थाएँ खोली, जिनमें मुरादाबाद का फारसी का मदरसा और साइंटिफिक सोसाइटी गाजीपुर और अलीगढ़ मुख्य हैं। उन्होंने लोगों से चन्दा अथवा धन माँगकर मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की, जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कहलाया।।

प्रश्न 7:
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)
(क) शिक्षक देवकीनन्दन की मालवीय के व्यक्तित्व को निखारने में प्रमुख भूमिका रही।
ख) मालवीय जी का मानना था कि देशभक्ति धर्म का ही एक अंग है।
(ग) सैयद अहमद खाँ समझते थे कि समाज तब सुधर सकता है, जब शिक्षा के क्षेत्र में नया दृष्टिकोण अपनाया जाए।
(घ) सैयद अहमद खाँ की भारत को सबसे बड़ी देन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय है।

योग्यता विस्तार:
नोट- विद्यार्थी अपने शिक्षक/ शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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