UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 बहता पानी निर्मला (मंजरी)

By | May 26, 2022

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 बहता पानी निर्मला (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 बहता पानी निर्मला (मंजरी)

महत्वपूर्ण गद्याशों की व्याख्या

यात्रा करने के ………………….हुँके श्रीनगर में।
प्रसंग एवं संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी-7’ में संकलित यात्रा-निबंध ‘बहता पानी निर्मला से लिया गया है। लेखक हीरानंद सच्चिदानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ पूर्व सुनिश्चित यात्रा
और अनियोजित यात्रा के बीच का अंतर बताया है।
व्याख्या:
लेखक कहता है- यात्रा करने का एक व्यवस्थित तरीका यह है कि यात्रा से जुड़ी सारी व्यवस्था पहले ही सुनिश्चित कर लिया जाए। जैसे कि जगह, खर्च, छुट्टी, टिकट, सीट/बर्थ, होटल आदि के विषय में पहले ही सोच-विचार कर तय  कर लेना चाहिए और फिर यात्रा पर निकलना चाहिए। लेकिन लेखक यहाँ यह भी कहता है कि ऐसे यात्रा करने में कोई मज़ा नहीं आता। लेखक के अनुसार मजा तो वैसी यात्रा में है जिसे बिना सोचे-समझे किया जाए। योजना और इरादा कहीं और जाने का बनाओ और निकल पड़ो कहीं और के लिए। लोगों को बताओ कि हम मुंबई जा रहे हैं। और पहुँच जाओ कश्मीर।

रात शिव सागर …………………….. उपाय क्या था?
प्रसंग: पूर्ववत्।
संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश में लेखक हीरानंद सच्चिदानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने अपने एक गलत निर्णय के कारण बाढ़ जैसी मुसीबत में फंसे जाने का वर्णन किया है।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि जैसे-तैसे बाढ़ के पानी में डूबी सड़कों पर मोटर साइकिल चलाते हुए वे गाँव से रात को शिवसागर पहुँचते हैं। उन्हें ठहरने के लिए जगह, भोजन, बिस्तर आदि तो मिल जाता है कि लेकिन उनको अब वहाँ तब तक रुकना था जब तक कि बाढ़ का पानी उतर नहीं जाता।। ऐसे में लेखक अपने उस गलत फैसले के लिए खुद को कोसते हैं कि न वह नया दाँत ब्रुश लेने के लिए सोनारी से निकलते, न यह मुसीबत होती।  न तो ब्रुश और न ही मोटर की ढिबरी ठीक कराने की । तात्कालिक जरूरत थी लेकिन फिर भी न जाने वे क्या सोचकर निकल पड़े थे और अब बाद में फैंस गए हैं।

पाठ का सार (सटश)

लेखक को बचपन से नक्शे देखने की शौक है। नक्शों के सहारे वे दर-दनिया की सैर का मजा लेते हैं। लेखक कहते हैं कि यात्रा करने के कई तरीके हैं। एक तो यह कि आप सोच-विचार कर निश्चय कर लें कि कहाँ जाना है, कब जाना है, कहाँ-कहाँ घूमना है, कितना खर्च होगा, फिर उसी के अनुसार सारी तैयारी कीजिए। दूसरा तरीका यह है कि आप योजना तो बनाइए कहीं जाने की और निकल कहीं और पड़िए। अंग्रेजी की एक कहावत के अनुसार एक कील के कारण कभी-कभी पूरे राज्य से हाथ धोना पड़ता है। ऐसा ही कुछ लेखक के साथ हुआ-एक दाँत माँजने के ब्रुश और मोटर की एक मामूली-सी. ढिबरी के लिए एक बार वे बड़ी मुसीबत में पड़ गए। बरसात के दिन थे, रास्ता खराब था। एक दिन लेखक सबेरे घूमने निकले तो देखा कि नदी बढ़ कर सड़क के बराबर आ गयी है। वह सोनारी गाँव के डाकबँगले से दूर आ गए थे और शिवसागर से तीन-चार मील पर थे। टूथब्रश और मोटर की एक छोटी सी ढिबरी के चक्कर में उन्हें दो-तीन घंटे लग गए  और जब वे वापस लौटे तो देखा कि सड़क पर पानी बड़े जोर से एक तरफ से दूसरी तरफ बह रहा था, क्योंकि सड़क के एक तरफ नदी थी, दूसरी तरफ नीची सतह के धान के खेत थे, जिनकी ओर पानी बढ़ रहा था। पानी के धक्के से सड़क कई जगह टूट गयी थी। लेखक पानी होने की वजह से पीछे भी नहीं लौट सकते थे, इसलिए आगे बढ़ता गए। पर थोड़ी देर बाद पानी कुछ और गहरा हो गया।

आगे कहीं कुछ दीखता नहीं था। सड़क के दोनों ओर लगे पेड़ों पर साँप लटक रहे थे। लेखक ने लौटने का निश्चय किया, पर सड़क दिखाई नहीं दे रही थी, अन्दाज से ही वे बीच के पक्के हिस्से पर गाड़ी चला रहे थे। लेखक किसी प्रकार शिवसागर पहुँचे। शिवसागर से सोनारी को एक दूसरी सड़क भी जाती थी चाय बागानों में से होकर, यह सड़क अच्छी थी पर इसके बीच एक नदी पड़ती थी जिसे नाव से पार करना होता था। लेखक ने इसी रास्ते से सोनारी जाने की सोची। लेखक इसे सड़क से नदी तक पहुँचे। नदी में नाव पर गाड़ी लाद भी ली और पार चले गए। किंतु यहाँ भी नदी में भीषण बाढ़ आयी थी। उस पार नदी का कगारा ऊँचा था, मोटर के लिए उतारी बना हुआ था। लेकिन नाव से किनारे तक जो तख्ते डाले गये थे वह ठीक नहीं लगे थे। लेखक की गाड़ी नीचे गिरी आधी पानी में, आधी किनारे पर।  लेखक जोर से ब्रेक दबाये बैठे थे। आधे घण्टे तक उस स्वर्गनसैनी पर बैठे रहने के बाद जैसे-तैसे मोटर ऊपर चढ़ायी जा सकी। आगे ऊँची जगह पर एक गाँव था। यहीं सोनारी से आये दो साइकिल-सवारों से मालूम हुआ कि वे कन्धों तक पानी में से निकल कर आये हैं-साइकिलें कन्धों पर उठाकर! और मोटर तो कदापि नहीं जा सकती। इस तरह इधर भी निराशा थी। पानी अभी बढ़ रहा था पर लेखक यहाँ कैद हो जाना नहीं चाहते थे, इसलिए फिर नाव पर मोटर चढ़ा कर उसी रास्ते नदी पार की और रात को किसी तरह शिवसागर पहुँचे। एक सज्जन ने ठहरने को जगह दी, भोजन-बिस्तर का प्रबन्ध भी हो गया पर मन ही मन लेखक ने खुद को कोसा कि न नया दाँत-ब्रुश लेने के लिए सोनारी से निकले होते, न यह मुसीबत होती। लेखक को यहाँ बारह दिन काटना पड़ा और जब डाक बँगले पर वापस पहुँचे तो देखा कि वहाँ पानी भरा हुआ था। सब कुछ भीगकर बरबाद हो गया था। यात्रा में इस तरह की कठिनाइयाँ झेलने पर भी लेखक का मानना है कि घूमते-फिरते रहना चाहिए एक जगह टिकना तो मौत है।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
यदि आपने बस/रेलगाड़ी से कोई यात्रा की हो तो यात्रा में लिये गये टिकट  पर दी गयी जानकारी तथा निर्देश को लिखें।
उत्तर:
संकेत- रेलगाड़ी की टिकट पर दी गई जानकारियाँ मुख्यतः इस प्रकार की होती हैं

प्रश्न 2:
“मैंने लाटन का ……………………………………………………… शिवसागर पहुँचा।” उपर्युक्त अनुच्छेद को पढ़कर अपने सहपाठियों से पूछने के लिए चार प्रश्न बनाइए।
उत्तर:
प्र० (i) लेखक ने लौटने का निश्चय क्यों किया होगा?
प्र० (ii) लेखक को अंदाज से ही बीच के पक्के हिस्से पर गाड़ी क्यों चलानी पड़ रही थी?
प्र० (iii) लेखक ने क्या देखा था?
प्र० (iv) लेखक शिवसागर कैसे पहुँचे?

विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
आपने भी कोई न कोई यात्रा जरूर की होगी। उस यात्रा में कई प्रकार  की समस्याएँ आयी होंगी। उन समस्याओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2:
आठ घण्टा उस स्वर्गनसैनी पर बैठे-बैठे, असमिया, हिन्दी और बंगला की खिचड़ी में लोगों को बताता रहा कि क्या करें? इन परिस्थितियों में लेखक के मन में क्या-क्या भाव उत्पन्न हुए होंगे? स्वयं को उस स्थान पर रखते हुए लिखिए।
उत्तर:
इन परिस्थितियों में लेखक के मन में तरह-तरह के भाव आ रहे होंगे; जैसे-बाढ़ का पानी यदि ज्यादा ऊपर आ गया तो? यदि यह नाव पलट जाएगी तो क्या होगा? क्या मैं अपने घर सुरक्षित लौट पाऊँगा? मोटरसाइकिल यदि आधे रास्ते में खराब हो गई तो? इत्यादि-इत्यादि।

यात्रावृत्त से

प्रश्न 1:
लेखक ने यात्रा करने के कितने प्रकार बताए हैं और उन्होंने किस प्रकार की यात्रा की?
उत्तर:
लेखक ने यात्रा करने के दो तरीके बताए हैं-एक तरीका तो यह कि आप पहले  से ही यात्रा संबंधित पूरी योजना बना लें और दूसरी यह कि आप योजना तो कहीं और जाने की बनाइए और निकल कहीं और जाइए।

प्रश्न 2:
लेखक ने किन स्थानों की यात्रा की ?
उत्तर:
लेखक ने सोनारी और शिवसागर की यात्रा की।

प्रश्न 3:
लेखक ने अपनी यात्रा में किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना किया ?
उत्तर:
लेखक जब यात्रा के लिए निकले तो उन्हें बरसात का मौसम होने के कारण कई कठिनाइयों मना करना पड़ा; जैसे-मौसम, खराब था, रास्ता खराब था, पूरी सड़क बाढ़ के पानी में डूबी हुई। थी, न आगे बढ़ने का रास्ता था न पीछे लौटने का।

प्रश्न 4:
‘वास्तव में जितनी यात्राएँ स्थूल पैरों से करता हूँ उससे ज्यादा कल्पना के चरणों से करता हूँ’ इस वाक्य से लेखक का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लेखक देश-विदेश भ्रमण के शौकीन और यात्रा-प्रेमी जान पड़ते हैं। स्थूल पैरों से यात्रा करने का उनका तात्पर्य उन स्थानों से हैं जहाँ वे स्वयं शरीर पहुँच सके, लेकिन जिन स्थानों की यात्रा उन्होंने अपनी कल्पनाओं में की, उन स्थानों के विषय में उन्होंने कल्पना के चरणों शब्द का प्रयोग किया है।

प्रश्न 5:
‘एक कील की वजह से राज्य खो जाता है’ कहावत को लेखक ने किस सन्दर्भ में कहा ?
उत्तर:
एक कील की वजह से राज्य खो जाती है यदि इस अंग्रेजी कहावत की व्याख्या की जाए। तो इस प्रकार राज्य खोने की बात साबित हो पाएंगी कि-“एक कील की वजह से नाल, नाल की वजह से घोड़ा, घोड़े के कारण लड़ाई और लड़ाई के कारण राज्य से हाथ धोना पड़ता है।  लेखक ने यह बात इस संदर्भ में कही है कि एक दाँत माँजने के ब्रुश और मोटर की एक मामूली सी ढिबरी लेने के लिए गए और उन्हें लौटने में 3 घंटे की देर हो गई तो वे बाढ़ जैसी मुसीबत में पड़ गए।

प्रश्न 6:
यात्रा करने में हमें नक्शा किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर:
नक्शे से यात्रा करने में काफी सहूलियत मिलती है। नक्शा हमें सही रास्ता, दूरी, नियत स्थान आदि के बारे में पूरी जानकारी देता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1:
पाठ में आये अंग्रेजी के शब्दों को छाँटिए और उनके हिन्दी अर्थ ढूँढकर लिखिए?
उत्तर:
टिकट                –         अधिकार-पत्र
होटल                –          भोजनालय या विश्रामालय
सीजन               –           मौसम
ब्रुश                   –           दातुन
रिजर्व                –           आरक्षित
मोटर                –            यंत्र
सीट                  –           बैठने का स्थान
बर्थ                   –           सोने का स्थान

प्रश्न 2:
‘एक कील की वजह से राज्य खो जाता है’ यह एक कहावत है। ऐसी ही कहावतों को खोजिए और उनका अर्थ लिखिए ?
उत्तर:
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – अकेला व्यक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।
आसमान से गिरा खजूर में अटका – एक मुसीबत से निकले तो दूसरी आ पड़ी।
सूरदास की काली कमरी चढ़े न दूजो रंग – आदतें पक्की होती है बदलती नहीं।
सौ सुना की एक लोहार की – काम को फैलाने की अपेक्षा एकदम कर डालना अच्छा होता है।

प्रश्न 3:
उचित संबंधबोधक शब्दों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित वाक्यों को पूरा कीजिए
(क) उसी के अनुसार छुट्टी लीजिए और टिकट करवाइए।
(ख) लड़ाई के कारण राज्य से हाथ धोना पड़ता है।
(ग) एक मामूली सी ढिबरी के चलते हम कैसी मुसीबत में पड़े।
(घ) नदी बढ़कर सड़क के ऊपर आ गई।
(ङ) सड़क पर से हटकर किनारे की ओर जाने लगे।

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