UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 11 आत्मनिर्भरता (मंजरी)

By | May 24, 2022

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 11 आत्मनिर्भरता (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 11 आत्मनिर्भरता (मंजरी)

 

महत्वपूर्ण गद्यांशों की व्याख्या

नम्रता से मेरा ……………………………………….. निकालती है।

संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘आत्मनिर्भरता’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं।

प्रसंग – लेखक के अनुसार नम्रता से स्वतन्त्रता प्राप्त होती है। मनुष्य को अहंकार रहित होकर बड़ों का सम्मान और छोटों से कोमलता का व्यवहार करना चाहिए। हमें आत्मा को नम्र रखना चाहिए।

व्याख्या – नम्रता से लेखक का आशय दूसरों के दबाब में रहना नहीं है। दब्बू प्रकृति के आदमी : दूसरों पर आश्रित रहते हैं, उनकी संकल्प शक्ति क्षीण हो जाती है और बुद्धि मन्द हो जाती है। जब कभी… कोई विशेष अवसर आता है, तो दब्बू व्यक्ति उचित निर्णय नहीं कर पाते और उन्नति न करके स्वयं को पीछे की ओर ही धकेलते हैं।  इस प्रकार मनुष्य स्वयं ही अपना हित-अनहित करता है। जो मनुष्य अपना रास्ता स्वयं ही समर्थता से ढूँढ लेते हैं, वही सच्ची आत्मा वाले कहे जाते हैं।

यही चित्त-वृत्ति ……………………………………….. बनाता है।

संदर्भ – पूर्ववत्।

प्रसंग – लेखक आत्मनिर्भरता के महत्त्व को निम्न प्रकार वर्णित करता है।

व्याख्या – आत्मनिर्भरता के कारण व्यक्ति अन्य साधारण लोगों से उच्च होता है। उसका जीवन सार्थक और किसी उद्देश्य विशेष की प्राप्ति में सक्षम होता है। उसकी बुद्धि और चातुर्य उसके अपने हृदय के अनुसार होते हैं और वह उत्तम संस्कार प्राप्त करता है। वह अपने कार्य में श्रेष्ठ रहता है।
और जीवन में प्रगति करता है। अपने अच्छे आचरण से दूसरों का भी मार्गदर्शन करके उन्हें उन्नतिशील बनाता है।

पाठ का सार (सारण)

मनुष्य को नम्रता और स्वतन्त्रतापूर्वक, बिना अहंकार के मर्यादापूर्ण जीवन बिताना चाहिए। इससे आत्म निर्भरता आती है। आत्म-मर्यादा के लिए बड़ों को सम्मान और छोटे और बराबर वालों के प्रति कोमलता का व्यवहार करना चाहिए। अपने व्यवहार में नम्र रहकर उद्देश्यों को उच्च रखना ही ऊँचा तीर चलाना है। महाराणा प्रताप ने  जंगलों की खाक छानी परन्तु अधीनता न मानी क्येकि अपनी मर्यादा की चिन्ता ज़ितनी स्वयं को होती है, दूसरे को नहीं। दूसरों की उचित बात समझते हुए अन्धभक्त नहीं होना चाहिए। तुलसीदास जी की सर्वप्रियता और कीर्ति उनकी आत्मनिर्भरता और मानसिक स्वतन्त्रता के कारण थी।

उनके समकालीन केशवदास विलासी राजाओं की कठपुतली बने रहे। अन्त में उनकी बुरी गति हुई। एक इतिहासकार के कथनानुसार, “प्रत्येक आदमी का भाग्य उसके हाथ में है। वह अपना जीवन-निर्वाह श्रेष्ठ रीति से कर सकता है। यह भाव चाहे इस स्वतन्त्रता, स्वावलम्बन आदि कुछ कहो, मनुष्य और दास में अन्तर कराता है। हनुमान ने अकेले सीता जी की खोज कर डाली और कोलम्बस ने अमेरिका को ढूंढ निकाला। शिवाजी ने थोड़े सैनिकों से औरंगजेब की नींद हराम कर दी और एकलव्य ने बिना गुरु के जंगल में निशाने पर निशाने लगाकर तीरन्दाजी में सिद्धि पाई।”

यही चित्त-वृत्ति है जो मनुष्य को औरों से उच्च बनाती है। जिस मनुष्य की -बुद्धि और चतुराई उसके हृदय में स्थित है, वह जीवन और कर्म-क्षेत्र में श्रेष्ठ रहता है और दूसरों को भी मार्गदर्शन करता है।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को – नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1.
आदर्श व्यक्ति के चरित्र में कौन-कौन से गुण आवश्यक हैं?
उत्तर :
आदर्श व्यक्ति के चरित्र में नम्रता, स्वतन्त्रता, कोमलता, उच्च लक्ष्यता, दृढ़ निश्चय, स्वावलम्बन, साहस और परिश्रमशीलता आदि गुण होने चाहिए।

प्रश्न 2.
नम्रता और दब्बूपन में क्या अन्तर होता है?
उत्तर :
नम्रता से आशय बड़ों को सम्मान करना और छोटे तथा बराबर वालों से अहंकार रहित होकर कोमलता के व्यवहार से है। देब्बूपन से आशय दूसरों पर आश्रित होकर उनके पीछे चलना है। ऐसी करने  से संकल्प शक्ति क्षीण और बुद्धि मन्द हो जाती है, जिससे मनुष्य अवनति को प्राप्त होता है।

प्रश्न 3.
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

निबन्ध से
प्रश्न 1.
इंस पाठ का उद्देश्य क्या है? सही विकल्प का चिह्न (✓) लगाइए।
(क) युवाओं में नई स्फूर्ति भरना।
(ख) युवाओं को कर्म में लगाना।
(ग) युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देना। (✓)
(घ) युवाओं को महापुरुषों के जीवन के प्रेरक-प्रसंगों की जानकारी देना।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों को आशय स्पष्ट कीजिए

(क)
 नम्रता ही स्वतन्त्रता की धात्री या माता है।
अर्थ – नम्रता से ही व्यक्ति स्वतन्त्रता के गुण को प्राप्त करता है। अहंकार करने वाला स्वतन्त्र नहीं रह सकता। स्वतन्त्रता के गुण के लिए बड़ों का सम्मान और छोटों और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करना चाहिए।

(ख)
 युवाओं को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं।
अर्थ – मनुष्य की इच्छाएँ उसके साधन और क्षमता से ज्यादा हैं।

(ग)
 मनुष्य का बेड़ा उसके हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर लगाये।
अर्थ – मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है। वह चाहे तो उन्नति कर सकता है और चाहे अपने को गर्त में गिरा सकता है।

(घ)
 अध्यवसायी लोगों ने अपनी समृद्धि का मार्ग निकाला है।
अर्थ – पुरुषार्थी लोगों ने अपने प्रयत्नों से उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया है।

प्रश्न 3.
उपन्यासकार स्टॉक ने अपना ऋण किस तरह उतारा?
उत्तर :
उपन्यासकार स्टॉक ने स्वयं अपनी प्रतिभा का सहारा लेकर अनेक उपन्यास थोड़े समय के बीच लिखकर लाखों का ऋण अपने सिर से उतार दिया।

प्रश्न 4.
समूह ‘ख’ का कौन-सा शब्द वाक्यांश समूह ‘क’ में दिए गए किन से सम्बन्धित है? छाँटकर समूह ‘क’ के सम्मुख लिखिए।
उत्तर :

भाषा की अत
प्रश्न 1.
आत्मसंस्कार’ शब्द से ‘संस्कार’ के पूर्व ‘आत्म’ शब्द जुड़ा हुआ है। दिये गये शब्दों के पूर्व ‘आत्म’ लगाकर नए शब्दों की रचना कीजिए
उत्तर :

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर इनका वाक्य में प्रयोग कीजिए
उत्तर :
मुँह ताकना
 = (दूसरों का सहारा हूँढना।) आलसी आदमी दूसरों का मुँह ताकते हैं।
अपने पैरों के बल खड़ा होना = (अपने सहारे रहना।) अपने पैरों के बल खड़ा होना स्वाभिमानी मनुष्य के लिए आवश्यक है।
दृष्टि नीची होना = (मान हानि होना।) अपराध के लिए पकड़े जाने पर उसकी दृष्टि नीची हो गई।
सिर ऊपर होना = (गर्व अनुभव होना।) महाराणा प्रताप के रणकौशल से राजपूतों का सिर ऊँचा हो गया।
अपने हाथ में अपना भाग्य होना = (स्वयं अपना भाग्य बनाना।) इतिहास साक्षी है कि मनुष्य अपना भाग्य स्वयं ही बनाता है।
कठपुतली बनना = (आश्रय पर रहना।) वह उसके हाथ की कठपुतली बना हुआ है।
हृदय पर हाथ रखना = (हिम्मत दिखाना।) सुरक्षाकर्मी ने हृदय पर हाथ रखकर आतंकी से लोहा लिया।

प्रश्न 3.
जीवननिर्वाह’ समास पद का विग्रह है-‘जीवन का निर्वाह’। सामासिक शब्द बनाने पर का’ कारक-चिह्न का लोप हो जाता है। का’ सम्बन्ध कारक का चिह्न है। अतः यह सम्बन्ध कारक तत्पुरुष समास है। नीचे लिखे समास पदों का विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए
उत्तर :

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से प्रधान उपवाक्य तथा आश्रित उपवाक्य को अलग-अलग लिखिए-विद्वानों का यह कथन ठीक है कि नग्नता ही स्वतन्त्रता की धा’ या माता है।
सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में अपनी राह आप निकाल… है।
उत्तर :

प्रश्न 5.
“स्वतन्त्रता’ का विपरीतार्थक है
(क) आजादी
(ख) परतन्त्रता
(ग) स्वावलम्बन
(घ) स्वराज्य
उत्तर :
(ख)
 परतन्त्रता

प्रश्न 6.
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 7.
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

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