UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 भारतीय संस्कृति के अग्रदुत भारतीर (महान व्यक्तित्व)

By | May 25, 2022

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 भारतीय संस्कृति के अग्रदुत भारतीर (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 भारतीय संस्कृति के अग्रदुत भारतीर (महान व्यक्तित्व)

पाठ को सारांश

महर्षि अगस्त्य-इनको जन्म काशी में हुआ। ये काशी के विश्वनाथ मन्दिर में पूजा-पाठ करते थे। इन्होंने विंध्याचल पार कर सुदूर दक्षिण भारत में शैव मत का प्रचार किया। स्थानीय लोगों को शिष्य बनाकर विंध्याचल के घने जंगल कटवाए और यहाँ नगरों और आश्रमों की स्थापना की। यहाँ के लोगों को कला-कौशल सिखाया। पाण्ड्य देश के राजा इन्हें देवता की तरह पूजते थे। भारतीय संस्कृति और शैव धर्म के प्रचार के लिए ये भारत से बाहर कम्बोडिया, जावा, सुमात्रा, बोर्नियो आदि द्वीपों तक गए। कहा जाता है कि ये समुद्र पी गए थे। कम्बोडिया के एक शिलालेख के अनुसार इनमें अलौकिक शक्ति थी। ये कम्बोडिया में भुदेश्वर नामक शिवलिंग की पूजा-अर्चना बहुत समय तक करते रहे। यहीं पर इनका स्वर्गवास हुआ। भारत के बाहर सुदूर देशों तक जाकर भारतीय संस्कृति और शैव धर्म का प्रचार करने वाले महर्षि अगस्त्य प्रथम व्यक्ति थे।

महर्षि पतञ्जलि – महर्षि पतञ्जलि पाटलिपुत्र के राजा पुष्यमित्र शुंग के समकालीन थे। इनके दो कार्य प्रसिद्ध हैं- प्रथम तो व्याकरण की पुस्तक ‘महाभाष्य’ के लिए तथा दूसरे पाणिनि के ‘अष्टध्यायी’ की टीका लिखने के लिए। महाभाष्य व्याकरण ग्रन्थ है, इसमें साहित्य, धर्म, भूगोल, समाज तथा रहन-सहन के तथ्य भी मिलते हैं। पतञ्जलि के बाद यह पुस्तक लुप्त हो गई थी। इसे कश्मीर के राजा जयादित्य ने खोज करके पुनः लिखवाया। पतञ्जलि ने संस्कृत भाषा को वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान किया। प्राचीन काल में किसी भी देश में व्याकरण का ऐसा विद्वान नहीं हुआ।

ऋषि याज्ञवल्क्य – इस नाम के दो विद्वान हुए हैं-पहले राजा जनक के समय में और दूसरे युधिष्ठिर काल में। यहाँ दूसरे याज्ञवल्क्य का विवरण है। इन्होंने ‘याज्ञवल्क्य-स्मृति’ नामक धर्मशास्त्र की रचना की जिसे याज्ञवल्क्य-संहिता भी कहा जाता है। स्मृति प्राचीन काल में ऐसे धर्मशास्त्र को कहा जाता था जिसमें आचार-व्यवहार, नियम-कानून आदि की व्यवस्था दी जाती थी। याज्ञवल्क्य-स्मृति के एक हजार बारह श्लोक तीन अध्यायों में विभक्त हैं। इस ग्रन्थ पर अनेक टीकाएँ की गई हैं, जिनमें मिताक्षरा और दायभाग प्रसिद्ध हैं। हिन्दू कानून के लिए यह पुस्तक प्रामाणिक मानी जाती है। याज्ञवल्क्य ने शास्त्रार्थ में अनेक पण्डितों को हराया था। उन्होंने भारतीय संस्कृति को अमर बनाने की चेष्टा की।

अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
महर्षि अगस्त्य ने दक्षिण भारत में कौन से सामाजिक कार्य किए?
उत्तर :
महर्षि अगस्त्य ने विंध्याचल का जंगल कटवाया। यहाँ नगरों और आश्रमों की स्थापना की। लोगों को कला-कौशल सिखाया। आयुर्वेद का प्रचार किया। हिन्दू धर्म, कला, संस्कृति और भाषा का ज्ञान दिया।

प्रश्न 2.
महाभाष्य की रचना किसने और कहाँ की थी?
उत्तर :
महाभाष्य की रचना महर्षि पतञ्जलि ने काशी में की थी।

प्रश्न 3.
महर्षि पतंजलि के लुप्त महाभाष्य की खोज किसने करायी ?
उत्तर :
कश्मीर के राजा जयादित्य ने लुप्त महाभाष्य की खोज कराई।

प्रश्न 4.
ऋषि याज्ञवल्क्य ने किस ग्रन्थ की रचना की थी?
उत्तर :
ऋषि याज्ञवल्क्य ने याज्ञवल्क्य-स्मृति की रचना की थी।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- (पूर्ति करके)

  • पाण्ड्य देश के राजा अगस्त्य को देवता की तरह पूजते थे।
  • कम्बोडिया में अगस्त्य ने भुदेश्वर नामक शिवलिंग की बहुत काल तक पूजा की थी।
  • महर्षि पतंजलि पाटलिपुत्र के राजा पुष्यमित्र शुंग के समकालीन थे।
  • न्होंने पाणिनि के अष्टाध्यायी की टीका भी लिखी।।

प्रश्न 6.
पता कीजिए-
नोट – विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं पता करें।

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