UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 21 बस की यात्रा (मंजरी)
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 21 बस की यात्रा (मंजरी)
पाठ का सार (सारांश)
पाठ का सारांश- हरिशंकर परसाई उच्चकोटि के व्यंग्यकार हैं। इस यात्रा वर्णन पाठ में उन्होंने बताया है कि किस प्रकार वाहनों के मालिक धन के लालच मेंपुराने घिसे हुए और जर्जर अवस्था के वाहन सड़कों पर चलवाते हैं। लेखक व उनके मित्र कंपनी के काम से सतना गए थे। वापसी पर उन्होंने पन्ना के लिए जो बस पकड़ी, वह काफी पुरानी और जर्जर अवस्था में थी। लोग उस बस में यात्रा करने से हिचक रहे थे। लेखक ने भी जब बस को देखा तो वे स्वयं से पूछ बैठे कि क्या ये बस चलती भी है। बस कंपनी का एक हिस्सेदार उन्हें विश्वास दिलाने लगा कि डरने की कोई बात नहीं है। यह बस अनुभवी है, पुरानी है।
लेखक को जो लोग विदा करने आए थे, वे लोग उनकी तरफ इस तरह देख रहे थे मानो उन्हें अंतिम विदा दे रहे हों। बस जब चली तो ऐसे आवाज़ कर रही थी जैसे इंजन यात्रियों के सीट के नीचे ही लगा हो। बस का प्रत्येक हिस्सा अलग-अलग हिल रहा था। लेखक लिखते हैं कि उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा था कि वे सीट पर बैठे हैं या सीट उन पर बैठी है। एकाएक बस रुक गई तो पता चला कि पेट्रोल की टंकी में ही छेद हो गया है। काफी देर बाद बस फिर चली परंतु लेखक को अब उस पर भरोसा नहीं रहा था। सड़क के दोनों तरफ लगे हरे-भरे पेड़ लेखक को दुश्मन नज़र आ रहे थे, क्योंकि बस के कभी भी उन पेड़ों से टकरा जाने की आशंका सता रही थी। झील दिखाई देता तो सबको डर लगता कि कहीं बस झील में न गिर जाए। एकाएक बस फिर रुक गई।
ड्राइवर उसे चलाने के लिए तरह-तरह की तरकीबें अपनाने लगा लेकिन वह नहीं चली, मानो उसने सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ दिया हो। बस एक बुढ़िया की भाँति थककर बैठ गई थी। हिस्सेदार साहब ने इंजन खोला और कुछ सुधार कार्य किए तो बस आगे चली लेकिन उसकी चाल और भी धीमी हो गई। चाँदनी रात में रास्ता टटोलती वह रेंग रही थी। आगे या पीछे से कोई गाड़ी आती तो वह किनारे लगकर उसे रास्तो दे देती। आगे चलकर बस एक पुलिया पर पहुँची ही थी कि एक टायर फट गया। बस नाले में गिरते-गिरते बची। लेखक व्यंग्य करते हैं कि कंपनी के हिस्सेदार में उत्सर्ग की दुर्लभ भावना थी। टायरों की हालत जानते हुए भी वे जान हथेली पर लेकर उसी बस में सफर कर रहे थे। उस महान व्यक्ति ने यात्रियों सहित अपनी जान खतरे में डालकर टायरों पर होने वाला व्यय बचा लिया। दूसरा घिसा टायर लगाकर बस फिर चली लेकिन लेखक ने अब पन्ना तो क्या कहीं भी पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को
प्रश्न 1.
अधिक धुआँ फेंकने वाले, जर्जर और बहुत पुराने वाहन वायु प्रदूषण और अन्य खतरों को बढ़ावा देते हैं। वायु प्रदूषण के अन्य घटक कौन से हैं? इसका उल्लेख करते हुए वायु प्रदूषण पर एक लेख तैयार कीजिए।
उत्तर :
आजकल, वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। वायु प्रदूषण के निरंतर बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। सबसे अधिक वायु प्रदूषण ऑटोमोबाइल, परिवहन के साधन, औद्योगीकरण, बढ़ते शहरों आदि के कारण हो रहा है। इस तरह के स्रोतों से कई हानिकारक गैसों या खतरनाक तत्वों का रिसाव पूरे वायुमंडल को प्रदूषित कर रहा है। वायु प्रदूषण के कारण ओजोन परत भी बहुत अधिक प्रभावित हो रही है। मनुष्य की बढ़ती जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वृधि हो रही है जो प्रदूषण का मुख्य कारण है। मनुष्य की दैनिक गतिविधियाँ भी वातावरण को गंदा करने का कारण होती हैं, जो जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन के लिये मजबूर करती है।
औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में कई हानिकारक गैसों, कणों, पेंट और बैट्रियों का आक्रामक संचालन, सिगरेट, आदि कार्बन मोनो ऑक्साइड, परिवहन के साधन कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य जहरीले पदार्थों को वातावरण में छोड़ते हैं। सभी तरह के प्रदूषण पर्यावरण से जुड़े हुए हैं, जो आजोन परत को हानि पहुँचाकर सूर्य की हानिकारण किरणों पर पृथ्वी पर आमंत्रित करते हैं। वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये हमें दैनिक क्रिया-कलापों में बड़े स्तर पर परिवर्तन लाने होंगे। हमें वायु प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिये पेड़ों को नहीं काटना चाहिये और उन गतिविधियों को करना चाहिए जो वातारण को प्रदूषित करने वाले तत्वों को रोकने में सहायक हों।
प्रश्न 2.
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
विचार और कल्पना
‘प्रश्न 1.
लेखक ने बस को सजीव रूप में देखा है। अनुमान लगाइए कि अगर लेखक बस से बातचीत करते तो उनके और बस के बीच में कहाँ-कहाँ और क्या-क्या बातें होती?
उत्तर :
लेखक और बस अगर आपस में बातचीत करते तो निम्न जगहों पर उनके बीच इस तरह की बातें होती; जैसे
- सबसे पहले लेखक और बस की बातचीत वहाँ हुई होगी जहाँ लेखक ने पहली बार बस को देखा।
लेखक – बस माता जी आपको नमस्कार! धन्य हैं आप जो इतनी वयोवृद्धा होने पर भी यात्रियों की सेवा में तत्पर हैं। क्या आप इस उम्र में थकान महसूस नहीं करतीं?
बस – क्या करूँ बेटा? गुलाम हूँ, अपनी मर्जी से कहाँ जी सकती मैं अपनी जिंदगी। बस कंपनी के मालिकों को मुझ बुढ़िया पर तरसे ही नहीं आता, रिटायरमेंट की उम्र में भी मुझसे काम करवाए जा रहे हैं।
- लेखक की बस से दूसरी बातचीत वहाँ हुई होगी जहाँ बस एकाएक रुक जाती है।
लेखक – बस मैया, रुक क्यों जाती हो बार-बार? लगता है कुछ ज्यादा ही थक गई हो?
बस – तुम चिंता न करो तुम सबको तुम्हारे गंतव्य तक अवश्य पहुँचा देंगी देर-सवेर। थोड़ा मुझे आराम कर लेने दो।
- लेखक और बस की तीसरी बार बातचीत तब हुई होगी जब बस नाले में गिरते-गिरते बचती है।
बस – मुझे माफ करना बेटा, मेरी वजह से अभी तुम लोगों की यात्रा अंतिम यात्रा हो जाती। क्या करू, आँखों की रोशनी भी कम हो गई है रास्ता भी सूझ नहीं रहा और इस पर इतना कमजोर शरीर, अब चला नहीं जा रहा मुझसे। लेखक – कोई बात नहीं, बस मैया हम तुम्हारी मजबूरी समझ रहे हैं, लेकिन हमें अफसोस है कि हम आपके लिए कुछ नहीं कर सकते।
प्रश्न 2.
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।।
व्यंग से
प्रश्न 1.
लोगों ने शाम वाली बस से सफ़र नहीं करने की सलाह क्यों दी थी?
उत्तर :
बस बहुत ही पुरानी और जर्जर अवस्था में थी। रास्ते में कहीं भी खराब या दुर्घटना का शिकार हो सकती थी। इसलिए लोगों ने शाम वाली बस से सफर नहीं करने की सलाह दी थी।
प्रश्न 2.
लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा का भाव क्यों उमड़ पड़ा?
उत्तर :
लेखक ने यह कथन व्यंग्य स्वरूप लिखा है। हम भारतीयों को यह संस्कार है कि हम बूढे-बुजुर्ग पुरुष या महिलाओं को अत्यंत सम्मान और श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं। बस भी अत्यंत पुरानी और जर्जर अवस्था में थी। इसलिए लेखक ने बस का मानवीकरण करते हुए लिखा है कि वयोवृद्ध बस को देखकर मन में श्रद्धा को. भाव उमड़ पड़ा।
प्रश्न 3.
बस तक लेखक और उनके मित्रों को छोड़ने आये हुए लोगों के मन में क्या-क्या भाव हो रहे थे?
उत्तर :
लेखक और उनके मित्रों को बस तक छोड़ने आए लोगों के मन में यह भाव आ रहे थे कि जैसे वे उन्हें अंतिम बार देख रहे हों और अंतिम विदा दे रहे हों। उनकी आँखें जैसे कह रही थीं- आना-जाना तो लगा ही रहता है। आया है, तो जाएगा-राजा, रंक फकीर। आदमी को कूच करने के लिए एक निमित्त चाहिए।
प्रश्न 4.
“बस सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौर से गुजर रही थी।” इस वाक्य से लेखक को क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
“सविनय अवज्ञा आंदोलन”–के दौरान भारत के लोगों ने गांधी जी के नेतृत्व में मिल-जुल कर अंग्रेजों का विरोध विनम्रतापूर्व किया था। उन्होंने अंग्रेजी कानूनों का उल्लंघन करने का आंदोलन भी शांतिपूर्वक चलाया था। बस का भी लगभग यही हाल था। बस का प्रत्येक भाग जर्जर था, कोई भी
भाग ठीक ढंग से कार्य नहीं कर रहा था और प्रत्येक भांग एक-दूसरे से असहयोग कर रहा था। इसलिए लेखक ने ऐसा लिखा है कि बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रहा था।
प्रश्न 5.
“उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है।” लेखक ने यह किसके लिए, क्यों और किस . संदर्भ में कहा?
उत्तर :
“उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है।” लेखक ने यह बात बस कंपनी के हिस्सेदार के लिए कही है। हिस्सेदार बस के टायरों की हालत जानता था फिर भी उसने टायर नहीं बदलवाया और धन कमाने के चक्कर में बस को चलाता रहा। उसे यह भी पता था कि इन टायरों की वजह से बस कभी भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है फिर भी वह यात्रियों के साथ-साथ अपनी जान की परवाह न करते हुए बस में सफर कर रहा था। धन के प्रति उसकी लोलुपता पर कटाक्ष करते हुए लेखक ने ऐसा लिखा है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
पाठ में कुछ शब्द जैसे-हाजिर, सफर उर्दू भाषा के शब्द हैं। ऐसे ही पाठ में आये अन्य भाषाओं के शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
संस्कृत भाषा- मित्र, श्रद्धा, वयोवृद्ध अंत्येष्टि, प्राणांत, वृद्धावस्था, उत्सर्ग, निमित्त। अंग्रेजी- इंजन, बस, कंपनी, ट्रेनिंग, बॉडी, सीट, फुल, ब्रेक, पेट्रोल, टायर।।
प्रश्न 2.
जिस वाक्य में प्रश्न पूछा जाता है, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं। प्रश्नवाचक वाक्य में क्या, कहाँ, क्यों, कैसे आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। परन्तु पाठ में कुछ ऐसे वाक्य हैं जिनके उत्तर में इन शब्दों का प्रयोग किया गया है जैसे-वह बोले चलती क्यों नहीं है जी! अभी चलेगी। हाँ जी, और कैसे चलेगी?
उत्तर :
प्रश्नवाचक वाक्य-
- क्या तुम हमारे साथ चलोगे?
- तुम कल कहाँ गायब थे?
- यह तो बताओ कि हमारी गलती क्या है?
- रमा बार-बार उधर क्यों देख रही है?
- पिताजी मुंबई से कब लौटेंगे?
प्रश्न 3.
जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। जैसेबस-यातायात के साधन के अर्थ में और पर्याप्त के अर्थ में प्रयुक्त होता है। नीचे दिये गये अनेकार्थी शब्दों के अर्थ लिखकर उनको वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
- कर (हाथ) – यह पत्र दादी जी के कर-कमलों से लिखा गया था।
- कर (टैक्स) – हमें अपना बिक्री कर समय पर जमा करना चाहिए।
- पत्र (चिठ्ठी) – बहुत दिन से अनुज का पत्र नहीं आया है।
- पत्र (पत्ता) – शिवजी को बेल-पत्र चढाया जाता है।
- सोना (स्वर्ण धातु) – सोना-दिन-ब-दिन महँगा होता जा रहा है।
- सोना (नींद) – बच्चा सोना चाहता है तो सोने दो।
- मन (हृदय) – मेरा मन इस बात को नहीं मान रहा है।
- मन (वजन) – किसान ने एक मन चावल बेचा।
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