UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 सच्ची वीरता (मंजरी)

By | May 24, 2022

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 सच्ची वीरता (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 सच्ची वीरता (मंजरी)

 

महत्वपूर्ण गद्याश की व्याख्या

सत्य की सदा जीत …………………………………………….विजय होती है।
संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘सरदार पूर्ण सिंह’ द्वारा लिखित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ नामक पाठ से लिया गया है।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने सच्चे वीर के गुणों का वर्णन किया है।
व्याख्या-सच्चे वीर की संत्य के कारण सदा जीत होती है। पवित्रता और सबके लिए प्रेम रखने के कारण उसकी विजय निश्चित होती है। सच्चे वीर यह अच्छी प्रकार जानते हैं कि इस संसार का  आधार धर्म और आध्यात्मिक नियम ही हैं। इन्हें अपनाकर आगे बढ़ने वाले वीर लोग हमेशा विजय प्राप्त करते आए हैं। जब हम कभी ………………………………………………….. रंग खिलेंगे। संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-लेखक ने वीरता के प्रभाव के विषय में बताया है। हम जब किसी वीर पुरुष की वीरता का वर्णन सुनते हैं तो शरीर में लहरें उठती हैं और तन रोमांचित हो उठता है। लेकिन दिखावे के कारण यह प्रभाव देर तक नहीं रह पाता क्योंकि हमें सचमुच वीर नहीं बनना चाहते। टीन के बर्तन का स्वभाव छोड़कर हमें सच्चाई के रास्ते पर दृढ़ हो जाना चाहिए। हमें जीवन की गहराई में घुसकर नए रंग खिलाने चाहिए।

पाठ का सार (सारांश)

पाठ का सार (सारांश) सच्चे वीर पुरुष धीर, गम्भीर और स्वतन्त्र होते हैं। वीरता की अभिव्यक्ति कई प्रकार की होती है। कुछ वीर युद्ध में वीरता दिखाते हैं तो कुछ गूढ़तत्व और सत्य की खोज में बुद्ध की तरह विरक्त होकर वीर हो जाते हैं। वीरता एक प्रकार की अन्त:प्रेरणा है। उसके दर्शन करके लोग अचम्भित हो जाते हैं। वीर पुरुष सबके साथ एकीकृत हृदय  वाला और सबका होता है। यह देवदार के वृक्ष की भाँति स्वयं पैदा होकर, दूसरों को सहारा देने के लिए खड़ा हो जाता है। इसके प्रतिकूल बुजदिल (कायर लोग) जीवन को सब कुछ समझकर पीछे हटते रहते हैं।
वे गरजने वाले बादल हैं जो कभी बरसते नहीं। वीर पुरुष बरसने वाले बादल होते हैं जो मूसलाधार वर्षा करके चले जाते हैं। | वीर पुरुष का शरीर शक्ति का भंडार होता है। वीरों की नीति बल एकत्र करके उसकी वृद्धि में लगी होती है। वह वीर नहीं जो टीन के बर्तन की तरह झट से गर्म और ठण्डा हो जाए।
सत्य की सदा जीत होती है। यह वीरता का चिह्न है। जहाँ पवित्रता, प्रेम, धर्म और अटल आध्यात्मिक नियम हैं, वहीं जीत है। वीरता का प्रभाव पड़ता है परन्तु दिखावे के कारण लोग वीर नहीं बन पाते। टीन के बर्तन का स्वभाव छोड़कर हमें सच्चाई के रास्ते पर दृढ़ हो जाना चाहिए। हमें जीवन की गहराई में घुसकर नए रंग खिलाने चाहिए।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को-
प्रश्न-
किसी भी साहसपूर्ण कार्य को बहादुरी से करना वीरता कहलाती है। सोचिए और लिखिए कि आपके आस-पास घटने वाली वे कौन-कौन सी स्थितियाँ हो सकती हैं जिनमें आप बहादुरी का परिचय दे सकते हैं।
उत्तर-
भयंकर आग लगने पर साथियों के साथ बाल्टियों में पानी लेकर आग बुझाने की कोशिश करेंगे, जले हुए लोगों को प्राथमिक चिकित्सा दिलाएँगे। बाढ़ की स्थिति में तैरकर लोगों की जीवन रक्षा करने की कोशिश करेंगे।

विचार और कल्पना
प्रश्न 1.
वीर पुरुष की तुलना बरसने वाले बादलों से और कायर पुरुष की तुलना गरजने वाले बादल से क्यों की गई है? |
उत्तर-
क्योंकि वीर पुरुष बरसने वाले बादल होते हैं जो मूसलाधार वर्षा करते हैं अर्थात सभी का कल्याण करते हैं और कायर पुरुष करते कुछ नहीं सिर्फ भाषण देते हैं अर्थात गरजते हैं।

प्रश्न 2.
‘सच्चा वीर’ बनने के लिए आप अपने भीतर किन गुणों को विकसित करेंगे?
उत्तर-
‘सच्चा वीर’ बनने के लिए धैर्य, गम्भीरता, स्वतन्त्रता, उच्च मनोबल, पवित्रता और सबके प्रति प्रेम-भावना आदि गुणों को विकसित करेंगे।

प्रश्न 3.
‘वीरों को बनाने के कारखाने कायम नहीं हो सकते’-आप इस बात से सहमत हैं या असहमत कारण सहित स्पष्ट करें। . उत्तर-वीरों को बनाने के कारखाने कायम नहीं हो सकते-मैं इस बात से पूर्ण सहमत हूँ। क्योंकि वीरता एक स्वाभाविक गुण है, यह मनुष्य में अपने-आप होती है। किसी को प्रशिक्षण देकर वीर नहीं बनाया जा सकता, वीरता के गुण किसी में भरे नहीं जा सकते, वे उनमें मौजूद होते हैं।

निबन्ध से-
प्रश्न 1.
किसने क्या कहा? कोष्ठक में दिये गये नामों से चुनकर वाक्य के सामने लिखिए (लिखकर)-
(महाराजा रणजीत सिंह, मंसूर, नेपोलियन, बादशाह)
उत्तर-
(क) “अनलहक’ (अहं ब्रह्मास्मि)।                 –      मंसूर
(ख) मैं तुमको अभी जान से मार डालूंगा।    –     बादशाह
(ग) अटक के पार जाओ।                              –      महाराजा रणजीत सिंह
(घ) “आल्प्स है ही नहीं।                                –      नेपोलियन

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार दुनिया किस पर खड़ी है
(क) धन और दौलत पर।
(ख) ज्ञान और पांडित्य पर।
(ग) हिंसा और अत्याचार पर।
(घ) धर्म और अटल आध्यात्मिक नियमों पर।
उत्तर-
(घ) धर्म और अटल आध्यात्मिक नियमों पर।

प्रश्न 3.
अपने अन्दर की वीरता को जगाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? उपयुक्त कथन पर सही (✓) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर):
उत्तर-
(क) 
हथियारों को एकत्र करना चाहिए।
(ख) वाद-विवाद करना चाहिए। ।
(ग) सच्चाई की चट्टान पर दृढ़ता से खड़ा होना चाहिए। (✓)
(घ) झूठी बातें करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
सच्चे वीर पुरुष में कौन-कौन से गुण होते हैं?
उत्तर-
सच्चे वीर पुरुष में धैर्य, गम्भीरता, स्वाभिमान, साहस आदि गुण होते हैं। उनमें उच्च मनोबल, पवित्रता और सबके प्रति प्रेम की भावना होती है।

प्रश्न 5.
बादशाह द्वारा जान से मारने की धमकी देने पर गुलाम ने क्यों कहा?
उत्तर-
गुलाम ने फाँसी पर चढ़ जाने और बादशाह का तिरस्कार करने की बात कही।

प्रश्न 6.
शरीर पर जरा जोर से हाथ लगाने पर लोग डर के मारे अधमरे क्यों हो जाते हैं?
उत्तर-
लोग शरीर को जीवन का केन्द्र समझते हैं। इस कारण शरीर-रक्षा के निमित्त लोग डर के मारे अधमरे हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
लेखक ने वीरों को देवदार के वृक्षों के समान क्यों कहा है?
उत्तर-
वीर पुरुष देवदार की तरह स्वयं पैदा होते हैं और अपने सहारे मजबूत बनकर दूसरों के काम । आते हैं। अर्थात वीर पुरुष भी देवदार की तरह बहुत उपयोगी होते हैं।

भाषा की बात-

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखते हुए इनका वाक्य में प्रयोग कीजिए डर से अधमरा होना, छाती ठोंककर आगे बढ़ना, रास्ता साफ होना, रंग चढ़ना, . दिल को बाँध देना।
उत्तर-
डर से अधमरा होना-(अधिक डर जाना) साँप को सामने देखकर सीमा डर के मारे अधमरी हो गई। छाती ठोंककर आगे बढ़ना-(हिम्मत दिखाना) आतंकवादी को भागता देखकर सुरक्षाकर्मी छाती ठोंककर आगे बढ़ा।

रास्ता साफ होना-(रुकावट न होना।) रास्ता साफ हो जाने पर रेलगाड़ियाँ लम्बा चक्कर छोड़कर अपने नियत पथ पर चलने लगीं। | रंग चढ़ना-(असर होना।) वीर पुरुष को देखकर वीरता का रंग चढ़ना स्वाभाविक है।
दिल को बाँध देना-(दिल काबू कर लेना।) गांधी जी ने अपने सर्व धर्म समभाव से लोगों के दिलों को बाँध लिया था।.

प्रश्न 2.
आजाद, गुलाम, बादशाह, कैदी, फौज, दरिया और कुदरत उर्दू के शब्द हैं। हिन्दी में इनके समानार्थी शब्द लिखिए।
उत्तर–
स्वतन्त्र, सेवक, राजा, बन्दी, सेना, नदी और प्रकृति।

प्रश्न 3.
‘सत्त्व’ शब्द में ‘त्व’ प्रत्यय जुड़कर सत् + त्व = सत्त्व बन गया है। नीचे लिखे शब्दों में ‘त्व’ जोड़कर नए शब्द बनाइए। . : उत्तर- महत्-महत्त्व, प्रभु-प्रभुत्व, तत्-तत्त्व, वीर-वीरत्व।

प्रश्न 4.
विलोम या निषेध के अर्थ में कुछ शब्दों के पूर्व ‘अ’ या ‘अन्’ जुड़ जाता है, जैसे- ‘सम्भव’ से ‘असम्भव’ और ‘आवश्यक’ से ‘अनावश्यक’ शब्द बनता है। ‘अन्’ का प्रयोग उस समय होता है, जब शब्द के आरम्भ में कोई स्वर हो। अ, अन् की सहायता से नीचे लिखे शब्दों का विलोम शब्द बनाइए- उपस्थित, स्थायी, साधारण, समान, उदार।
उत्तर-
उपस्थित-अनुपस्थित                स्थायी-अस्थायी            साधारण-असाधारण
समान–असमान                       उदार-अनुदार

प्रश्न 5.
आल्प्स’ शब्द आ + ल् + प् + सु + अ से बना है। इसमें लु, पू, स् क़म से तीन व्यंजन आए हैं, इन्हें व्यंजनगुच्छ कहा जाता है। पाठ से इस प्रकार के व्यंजनगुच्छ वाले शब्द चुनकर लिखिए।
उत्तर-
ब्रह्मास्मि, अभिव्यक्ति, आध्यात्मिक।

 

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