UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 20 रोगी का कमरा एवं उसकी व्यवस्था

By | May 23, 2022

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 20 रोगी का कमरा एवं उसकी व्यवस्था

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 20 रोगी का कमरा एवं उसकी व्यवस्था

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
रोगी के कमरे का चुनाव करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
या
रोगी के कमरे का चुनाव करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?रोगी के कमरे के आवश्यक सामानों की सूची बनाइए।
उत्तर:
रोगी के कमरे का चयन

रोगग्रस्त व्यक्ति को अधिकांश समय विश्राम करना अनिवार्य होता है; अतः उसके लिए अलग से कमरे की व्यवस्था की जानी चाहिए। रोगी का कमरे का वातावरण शान्त होना चाहिए तथा उसमें किसी प्रकार की गन्दगी नहीं होनी चाहिए। रोगी के कमरे में सूर्य के प्रकाश तथा वायु के पारगमन की  समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। रोगी के लिए कमरे का चुनाव करते समय मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

  1.  रोगी का कमरा पर्याप्त बड़ा होना चाहिए। सामान्यतः रोगी का कमरा 450-500 घन मीटर स्थान वाला होना आवश्यक है। इस आकार के कमरे में रोगी को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सकती है।
  2.  रोगी का कमरा मुख्य द्वार तथा सड़क से दूर मकान के पीछे की ओर होना चाहिए। इस प्रकार को कमरा शान्त एवं आरामदायक रहता है तथा सड़क से उठने वाली धूल से सुरक्षित रहता है।
  3.  रोगी के कमरे में खिड़कियाँ, रोशनदान व दरवाजे आदि इस प्रकार होने चाहिए कि वायु का संवातन भली-भाँति बना रहे।
  4. खिड़कियों तथा रोशनदान से सूर्य का प्रकाश आते रहना चाहिए जिससे कि रोगाणुओं के पनपने की आशंका न रहे। स्वच्छ वायु एवं सूर्य का प्रकाश रोगी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ में सहायता करते हैं। दार किवाड़ होना अति आवश्यक है। इनसे मक्खियाँ, मच्छर व वायु में उड़ने वाले अन्य कीड़े कमरे में प्रवेश नहीं कर पाते।
  5.  रोगी का कमरा रसोईघर व अन्य शयन-कक्षों से दूर होना चाहिए।
  6. रोगी का कमरा स्नानगृह तथा शौचालय के पास होना चाहिए ताकि रोगी को स्नान करने व शौच जाने के लिए अधिक दूर न जाना पड़े।
  7.  रोगी के कमरे के बाहर बरामदा होने पर वह इसका उपयोग टहलने तथा खुली वायु में बैठने के लिए कर सकता है। वैसे भी बरामदा होने पर कमरे के अन्दर का वातावरण अधिक उपयुक्त रह संकता है तथा धूल इत्यादि भी कमरे में प्रवेश नहीं करेगी।
  8.  रोगी के कमरे में अन्धकार, दुर्गन्ध, सीलन तथा नमी आदि नहीं रहनी चाहिए, क्योंकि इनकी उपस्थिति में रोगाणु आसानी से पनपते हैं।
  9.  रोगी के कमरे का फर्श पक्का व साफ-सुथरा होना चाहिए। पक्के फर्श को सहज ही कीटाणुनाशक घोल द्वारा धोया जा सकता है। कमरे में पानी के  निकास के लिए नालियों का होना भी आवश्यक है।
  10.  रोगी के कमरे का चयन करते समय मौसम का ध्यान रखना भी आवश्यक है। ग्रीष्म ऋतु में रोगी का कमरा ऐसा होना चाहिए कि यह अधिक गर्म न होता हो, जबकि शरद् ऋतु में गर्म रहने वाला कमरा उपयुक्त रहता है।
  11.  रोगी के कमरे से संलग्न एक छोटे कमरे का होना अच्छा रहता है। इस कमरे को परिचारिका प्रयोग में ला सकती है तथा सहज ही रोगी की परिचर्या कर सकती है। इसके अतिरिक्त इस कमरे में रोगी के उपयोग में आने वाली वस्तुओं को रखा जा सकता है।
  12. रोगी के कमरे की दीवारें स्वच्छ एवं चूने से पुती होनी चाहिए। दीवारों पर रोगी की रुचि के अनुसार चित्र व अन्य सज्जा-सामग्री की व्यवस्था होनी चाहिए।

रोगी के कमरे के सामान की सूची

रोगी की आवश्यकताओं एवं सुविधाओं की पूर्ति के लिए निम्नलिखित सामग्री होनी आवश्यक है

  1.  कसी हुई चारपाई अथवा स्प्रिंगदार पलंग।
  2.  दो छोटी मेज व दो कुर्सियाँ।
  3. दो स्टूल।
  4. भोज्य पदार्थों व औषधियों आदि को रखने के लिए एक जालीदार छोटी अलमारी।
  5.  वस्त्र, तौलिए आदि रखने के लिए एक अन्य अलमारी।
  6. विशेष उपयोग के पात्र; जैसे—मल-मूत्र विसर्जन पात्र, बाल्टी व कूड़ेदान आदि।
  7. मनोरंजन के लिए पत्रिकाए, ट्रांजिस्टर व टी० बी० आदि।
  8.  थर्मामीटर व ताप तथा नाड़ी के लिए चार्ट।
  9.  गिलास, प्याला, चम्मच, चाकू व प्लेट आदि।
  10.  दीवारों के लिए सुन्दर व आकर्षक चित्र एवं मेज के लिए फूलदान।
  11.  साबुन, पेस्ट, डिटॉल, फिनाइल व फिनिट आदि।
  12. थूकने, वमन करने, पेस्ट करने व हाथ धुलाने के लिए चिलमची।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
रोगी व्यक्ति के लिए अलग कमरे की व्यवस्था क्यों की जाती है?
उत्तर:
स्वास्थ्य विज्ञान की सैद्धान्तिक मान्यता है कि रोगी व्यक्ति को सामान्य रूप से अलग कमरे में ही रखा जाना चाहिए। विभिन्न कारणों से रोगी के लिए अलग कमरे की व्यवस्था को आवश्यक माना। जाता है। वास्तव में इस व्यवस्था से जहाँ एक ओर रोगी को लाभ होता है, वहीं दूसरी ओर परिवार के अन्य सदस्यों के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी इसे आवश्यक माना जाता है। रोगी व्यक्ति प्रायः काफी दुर्बल हो जाता है तथा उसे अतिरिक्त विश्राम की आवश्यकता होती है। उसके सोने-जागने का समय भी अनिश्चित हो जाता है।  इस स्थिति में उसे शान्त एवं एकान्त वातावरण की आवश्यकता होती है। इस उद्देश्य से रोगी को अलग कमरे में रखना ही उचित माना जाता है। रोगी के लिए यदि अलग कमरे की व्यवस्था हो जाती है तो उसकी आवश्यकता की समस्त वस्तुओं को वहीं रखा जा सकता है। रोगी के लिए अलग कमरे की व्यवस्था होने की स्थिति में परिवार के अन्य सदस्य भी लाभान्वित होते हैं। इस स्थिति में परिवार के अन्य सदस्य रोग के संक्रमण से कुछ हद तक बच सकते हैं।

प्रश्न 2:
रोगी के कमरे में सफाई की व्यवस्था आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
उत्तम स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य लाभ के लिए स्वच्छ वातावरण का होना अति आवश्यक है। गन्दगी सदैव रोगाणुओं को पनपने का अवसर प्रदान करती है; अतः रोगी के कमरे की नियमित सफाई अति आवश्यक है। यह निम्नलिखित प्रकार से की जानी चाहिए

  1.  फर्श की सफाई प्रतिदिन फिनाइल के घोल से की जानी चाहिए। फिनाइल का घोल कीटाणुओं को नष्ट कर देता है।
  2. कमरे की दीवारों से मकड़ी के जाले साफ करें तथा दिन में एक बार कीटनाशक (फ्लिट, बेगौन स्प्रे आदि) का प्रयोग करना चाहिए ताकि रोगी के कमरे में मक्खियाँ व मच्छर न रहें।
  3. रोगी के कमरे के परदे, बैड कवर व अन्य सूती वस्त्रों को खौलते पानी से धोने से वे साफ व कीटाणुरहित हो जाते हैं। कृत्रिम धागों से बने वस्त्रों तथा ऊनी वस्त्रों की शुष्क धुलाई कराएँ।
  4. रोगी के बर्तन, चिलमची वे पीकदान आदि की सफाई के लिए नि:संक्रामकं घोल का प्रयोग करें।
  5. फूलदान आदि में ताजे पुष्प लगाएँ और यदि सम्भव हो, तो दीवारों पर लगे चित्रों को भी बदल दें। स्वच्छ एवं सुसज्जित कमरा रोगी को मानसिक सुख एवं सन्तोष प्रदान करता है।

प्रश्न 3:
रोगी के कमरे में सूर्य का प्रकाश आना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
रोगी के कमरे में दिन में कुछ समय के लिए धूप का आना अत्यावश्यक है, क्योंकि

  1.  सूर्य का प्रकाश कमरे के अन्धकार वे नमी को दूर करता है; अत: रोगाणुओं के पनपने की आशंका कम हो जाती है।
  2. सूर्य का प्रकाश कीटाणुनाशक की तरह कार्य करता है तथा अनेक प्रकार के रोगाणुओं को नष्ट । कर देता है।
  3.  सूर्य के प्रकाश से हमारे शरीर में विटामिन ‘डी’ का निर्माण होता है; अतः धूप की उपस्थिति रोगी के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लाभदायक रहती है। यद्यपि सूर्य के प्रकाश में रोगी को उपर्युक्त लाभ होते हैं, परन्तु तीव्र व चकाचौंध करने वाला प्रकाश रोगी की बेचैनी बढ़ा सकता है  तथा उसके आराम में व्यवधान उत्पन्न कर सकता है। अतः आवश्यक एवं व्यवस्थित प्रकाश के लिए रोगी के कमरे में परदों का प्रयोग किया जाना चाहिए। परदों द्वारा सूर्य के प्रकाश एवं धूप को अपनी इच्छा एवं आवश्यकता के अनुसार नियन्त्रित किया जा सकता है।

प्रश्न 4:
रोगी के कमरे में प्रकाश-व्यवस्था कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
रोगी के कमरे में रात के समय तीव्र या चकाचौंध करने वाला प्रकाश नहीं होना चाहिए। यदि घर में बिजली हो तो सामान्य रूप से हल्के दूधिया रंग का बल्ब ही इस्तेमाल करना चाहिए। यदि बिजली न हो तो तेल से जलने वाला दीपक या लालटेन जलाई जा सकती है। ध्यान रहे,  इनकी लौ कम : रखनी चाहिए ताकि इनका कच्चा धुआँ न बनने पाए। दीपक या लालटेन को रोगी के पलंग से काफी दूर ही रखना चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
आपके विचार से रोगी को कमरा कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
हमारे विचार से रोगी का कमरा साफ-सुथरा, हवादार तथा प्रकाशयुक्त होना चाहिए।

प्रश्न 2:
रोगी के कमरे की सफाई को अधिक महत्त्व क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
नियमित सफाई से रोग के जीवाणुओं को बढ़ने से रोका जा सकता है, इससे रोगी के शीघ्र स्वस्थ होने में योगदान प्राप्त होता है। इसी कारण से रोगी के कमरे की सफाई को अधिक महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 3:
रोगी के कमरे में पोछा लगाने के लिए पानी में क्या मिलाया जाता है?
उत्तर:
रोगी के कमरे में पोछा लगाने के लिए पानी में फिनाइल आदि निसंक्रामक घोल मिलाया जाता है।

प्रश्न 4:
रोगी के कमरे में धूप का उचित प्रबन्ध क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सूर्य की किरणें अनेक रोगाणुओं को नष्ट करती हैं तथा रोगी को स्वास्थ्य लाभ करने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 5:
रोगी के कमरे में वायु के संवातन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायु की उपयुक्त संवातन व्यवस्था से रोगी को शुद्ध वायु प्राप्त होती है तथा कमरे की अशुद्ध वायु बाहर निकल जाती है। इस स्थिति में रोग के जीवाणु भी अधिक नहीं पनप पाते।

प्रश्न 6:
रोगी के कमरे का तापक्रम क्या रहना चाहिए?
उत्तर:
रोगी के कमरे का तापक्रम सामान्यतः 98° फॉरेनहाइट (लगभग 37° सेन्टीग्रेड) रहना। चाहिए।

प्रश्न 7:
रोगी के कमरे का तापक्रम किस प्रकार नियन्त्रित किया जा सकता है?
उत्तर:
रोगी के कमरे के तापक्रम को नियन्त्रित करने के लिए ग्रीष्म ऋतु में कूलर व वातानुकूलन यन्त्र तथा शरद् ऋतु में रूम-हीटर प्रयोग में लाए जाते हैं।

प्रश्न 8:
रोगी के कमरे से रात्रि में साज-सज्जा वाले पौधे अथवा फूलदान क्यों हटा देने चाहिए?
उत्तर:
रात्रि में पौधों में श्वसन क्रिया अधिक होती है, जिसके फलस्वरूप हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड अधिक निष्कासित होती है; अतः रोगी के कमरे से रात्रि में फूलदान इत्यादि को हटाना उचित रहता है।

प्रश्न 9:
रोगी के कपड़े यथासम्भव सूती होने चाहिए, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि सूती वस्त्रों को खौलते पानी में धोकर सहज ही नि:संक्रमित किया जा सकता है।

प्रश्न 10:
रोगी के कमरे में मनोरंजन की व्यवस्था आप कैसे करेंगी?
उत्तर:
रोगी के मनोरंजन के लिए उसके कमरे में पत्रिकाएँ, ट्रांजिस्टर व टी० बी० इत्यादि रखे जा सकते हैं।

प्रश्न 11:
रोगी के पलंग की विशेषता बताइए।
उत्तर:
रोगी का पलंग ऊँचा, स्प्रिंग वाला तथा लोहे का बना ठीक रहता है।

प्रश्न 12:
मेल-पात्र की आवश्यकता किस दशा में होती है?
उत्तर:
मल-पात्र की आवश्यकता रोगी के उठने-बैठने में असमर्थ होने की दशा में होती है।

वसतुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न-प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) संक्रामक रोगग्रस्त व्यक्ति को आप किस प्रकार रखेंगी?
(क) अलग कमरे में,
(ख) बच्चों के कमरे में,
(ग) किसी के भी कमरे में,
(घ) बरामदे में।

(2) रोगी का कमरा होना चाहिए
(क) रसोईघर के पास,
(ख) पशुशाला के पास,
(ग) शौचालय एवं स्नान घर के पास,
(घ) बैठक में कमरे के पास।

(3) रोगी के कमरे की दीवारें पुती होनी चाहिए
(क) पेन्ट्स से,
(ख) चूने से,
(ग) डिस्टेम्पर से,
(घ) किसी से भी।

(4) रोगी के मनोरंजन के लिए कमरे में होनी चाहिए
(क) पत्रिकाएँ,
(ख) ट्रांजिस्टर,
(ग) टी० बी०,
(घ) ये सभी।

(5) रोगी के लिए उपयुक्त वस्त्र होते हैं
(क) नायलॉन के,
(ख) सूती,
(ग) टेरीकॉट,
(घ) जरीदार।

(6) रोगी के कमरे के फर्श को प्रतिदिन धोना चाहिए
(क) डिटॉल से,
(ख) फिनिट से,
(ग) फिनाइल से,
(घ) लाल दवा से।

(7) रोगी के कमरे का तापक्रम रहना चाहिए
(क) 90° फॉरेनहाइट,
(ख) 100° फॉरेनहाइट,
(ग) 40° सेन्टीग्रेड,
(घ) 37° सेन्टीग्रेड।

(8) रोगी के कमरे में प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए
(क) लाल या हरे रंग की,
(ख) तेज एवं चमकदार,
(ग) हल्की तथा दूधिया रंग की,
(घ) किसी भी प्रकार की।

(9) रोगी के इस्तेमाल के लिए उपयोगी पलंग होना चाहिए
(क) तख्त के रूप में,
(ख) सामान्य फोल्डिग चारपाई,
(ग) सिंप्रग द्वारा कसा हुआ पलंग,
(घ) इनमें से कोई भी।

(10) रोगी के बिस्तर पर बिछाई जाने वाली चादर होनी चाहिए
(क) काले या पीले रंग की,
(ख) हरे या नीले रंग की,
(ग) सफेद रंग की,
(घ) किसी भी गहरे रंग की।

उत्तर:
(1) (क) अलग कमरे में,
(2) (ग) शौचालय एवं स्नान घर के पास,
(3) (ख) चूने से,
(4) (घ) ये सभी,
(5) (ख) सूती,
(6) (ग) फिनाइल से,
(7) (घ) 37° सेन्टीग्रेड,
(8) (ग) हल्की तथा दूधिया रंग की,
(9) (ग) सिंप्रग द्वारा कसा हुआ पलंग,
(10) (ग) सफेद रंग की।

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