UP Board Class 10 Social Science Geography | खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

By | April 23, 2021

UP Board Class 10 Social Science Geography | खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

अध्याय 5.                       खनिज तथा ऊर्जा संसाधन
 
                               अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
 
(क) एन०सी०ई० आर०टी० पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
                            बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.(i) निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता
हुआ चट्टानों के अपघटन से बनता है?
(क) कोयला
(ख) बॉक्साइट
(ग) सोना
(घ) जस्ता
              उत्तर―(ख) बॉक्साइट
 
(ii) झारखंड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित में से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?
(क) बॉक्साइट
(ख) अभ्रक
(ग) लौह-अयस्क
(घ) ताँबा
              उत्तर―(ख) अभ्रक
 
(iii) निम्नलिखित चट्टानों में से किस चट्टान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन
होता है?
(क) तलछटी चट्टानें
(ख) आग्नेय चट्टाने
(ग) कायांतरित चट्टानें
(घ) इनमें से कोई नहीं
                             उत्तर―(क) तलछटी चट्टानें
 
(iv) मोनाजाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज पाया जाता है?
(क) खनिज तेल
(ख) यूरेनियम
(ग) थोरियम
(घ) कोयला
                 उत्तर―(ग) थोरियम
 
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए―
(i) निम्नलिखित में अन्तर 30 शब्दों से अधिक न दें―
(क) लौह और अलौह खनिज
उत्तर―लौह-खनिज―वे खनिज; जिनमें लोहे का अधिक अंश होता है ‘लौह-खनिज’
कहलाते हैं; जैसे-लौह-अयस्क, मैंगनीज, निकल व कोबाल्ट आदि।
अलौह खनिज―इसके विपरीत जिन खनिजों में लोहे का अंश नहीं होता या बहुत कम होता
है, उन्हें अलौह खनिज कहा जाता है; जैसे-सोना, चाँदी, प्लेटिनम इत्यादि।
 
(ख) परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा साधन
उत्तर―ऊर्जा के परम्परागत संसाधन―ऊर्जा के परम्परागत संसाधनों में कोयला, तेल
और प्राकृतिक गैस से उत्पन्न की गयी ताप-विद्युत, जल-विद्युत और परमाणु-शक्ति आदि
को सम्मिलित किया जाता है। इन संसाधनों का नवीकरण नहीं किया जा सकता है। इस
प्रकार के संसाधन सीमित हैं तथा समाप्त होने की कगार पर हैं।
ऊर्जा के गैर-परम्परागत संसाधन―सूर्य, वायु, ज्वार-भाटे, जयो-थर्मिल, बायो-गैस
खेतों व पशुओं का कूड़ा-करकट और मनुष्य के मल-मूत्र आदि को ऊर्जा
गैर-परम्परागत संसाधनों में सम्मिलित किया जाता है। इन संसाधनों का नवीकरण किया जा
सकता है। साथ ही इनका बार-बार प्रयोग भी किया जा सकता है।
 
(ii) खनिज क्या हैं?
उत्तर―खनिज; उन प्राकृतिक संसाधनों को कहा जाता है, जो शैलों से प्राप्त होते है।
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज प्राकृतिक रूप से विद्यमान एक समरूप तत्त्व है। इसकी
एक निश्चित संरचना होती है। ये प्रकृति में अनेक रूपों में पाए जाते हैं। कोयला, पेट्रोलियम,
संगमरमर, लौह-अयस्क तथा कठोर, ठोस व नरम चूना आदि खनिजों के उदाहरण हैं।
 
(iii) आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिज का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर―आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिज; दरारों, जोड़ों, भ्रंशों व विवरों में प्राप्त
होते हैं। ये छोटे जमाव शिराओं के रूप में तथा वृहत् जमाव परत के रूप में पाए जाते हैं।
इनका निर्माण भी अधिकांशत: उस समय होता है, जब ये तरल या गैसीय अवस्था में दरारों
के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं। कुछ प्रमुख धात्विक खनिज; जैसे-ताँबा, जस्ता,
जिंक और सीसा इत्यादि इसी प्रकार शिराओं और जमावों के रूप में प्राप्त होते हैं।
 
(iv) हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है?
उत्तर―हमें खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता निम्नलिखित दृष्टियों से है―
1. खनिजों के निर्माण की प्रक्रियाएँ बहुत अधिक धीमी हैं। उनके वर्तमान उपभोग की दर
की तुलना में उनके पुनर्भरण की दर अपरिमित रूप से कम है।
2. खनिज संसाधन सीमित हैं तथा इनका नवीकरण भी नहीं किया जा सकता है।
3. समृद्ध खनिज-निक्षेप हमारे देश की मूल्यवान सम्पत्ति हैं, परन्तु ये अल्पजीवी हैं।
4. खनिजों के निरन्तर खनन से उत्खनन किए जाने वाले स्थान की गहराई बढ़ने के साथ
ही उनकी गुणवत्ता में भी कमी आती रहती है।
 
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए―
(i) भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर―मानव के विकास की दृष्टि से कोयले का बहुत अधिक महत्व है। कोयला चार
प्रकार का होता है―
पीट―इस प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा कम होती है। साथ ही नमी की मात्रा अधिक
तथा निम्न-ताप क्षमता होती है।
लिग्नाइट―यह निम्न स्तर का तथा भूरे रंग का कोयला होता है। यह मुलायम व अधिक
नमीयुक्त कोयला होता है।
बिटुमिनस―यह कोयला गहराई में दबा होता है तथा अधिक तापमान से प्रभावित होता है।
एन्थ्रेसाइट―इस कोयले को सबसे उत्तम प्रकार का कोयला कहा जाता है। इस कोयले में
कार्बन की मात्रा 80 प्रतिशत से अधिक होती है। यह ठोस, काले रंग का और कठोर कोयला
होता है।
भारत में कोयले के विस्तृत भंडार उपलब्ध होते हैं। यह दो प्रमुख भूगर्भिक युगों के
शैल-क्रम में पाया जाता है। इनमें एक गोंडवाना है, जिसकी आयु दो लाख वर्ष से कुछ
अधिक है। दूसरा टरशियरी-निक्षेप है, जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने हैं। इनमें
पहला–गोंडवाना कोयला; जो धातु-शोधन कोयला है, इसके प्रमुख संसाधन; पश्चिमी
बंगाल स्थित दामोदर घाटी, झरिया, रानीगंज, बोकारो में स्थित हैं। इन्हें भारत के महत्त्वपूर्ण
कोयला-क्षेत्रों में माना जाता है। गोदावरी, महानदी, सोन और वर्धा नदी घाटियों में भी
कोयले के जमाव पाए जाते हैं। टरशियरी कोयला-क्षेत्र; उत्तर-पूर्वी राज्यों-असम, मेघालय,
अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में पाया जाता है। सन् 2015-16 में भारत में 639.23
मिलियन मिट्रिक टन कोयले का उत्पादन हुआ, जबकि सन् 1951 में इसका केवल 3.23
करोड़ टन उत्पादन हुआ था। भारत में उत्पादित होने वाले कोयले का दो-तिहाई से भी
अधिक भाग विद्युत का उत्पादन करने के काम आता है।
 
(ii) भारत में सौर-ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। क्यों?
उत्तर― भारत में सौर-ऊर्जा का भविष्य बहुत अधिक उज्ज्वल है। इसके प्रमुख कारण
निम्नलिखित हैं―
1. भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है। यहाँ सौर-ऊर्जा के दोहन की अपार सम्भावनाएँ
विद्यमान हैं। एक अनुमान के अनुसार यह लगभग 20 मेगावाट प्रति वर्ग किलोमीटर
प्रतिवर्ष है।
2. हमारे देश में फोटोवोल्टाइक तकनीक के माध्यम से धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित
किया जाता है।
3. भारत का सबसे बड़ा सौर-ऊर्जा संयत्र; भुज के निकट माधोपुर में स्थित है। यहाँ
सौर-ऊर्जा से दूध के बड़े-बड़े बर्तनों को कीटाणुमुक्त किया जाता है।
4. सूर्य का प्रकाश; प्रकृति का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख उपहार है। यही कारण है कि
कम आय वाले लोग भी सौर ऊर्जा का सुगमता से लाभ उठा सकते हैं।
5. कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस इत्यादि ऊर्जा के ऐसे स्रोत हैं जो एक बार प्रयोग के
उपरान्त पुनः प्रयोग में नहीं लाए जा सकते हैं। इसके विपरीत सौर-ऊर्जा नवीकरणीय
संसाधन हैं। इन्हें बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है।
6. यह सम्भावना है कि सौर-ऊर्जा के प्रयोग से घरों में उपलों और लकड़ी पर निर्भरता
को कम किया जा सकेगा। इसका परिणाम यह होगा कि यह पर्यावरण के संरक्षण में
अपना योगदान देगा और साथ ही कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति हो सकेगी।
7. सौर-ऊर्जा का प्रयोग हम अनेक प्रकार से कर सकते हैं; जैसे-खाना पकाने, पंप द्वारा
जल निकालने, पानी को गरम करने, दूध को कीटाणुरहित करने और सड़कों पर
रोशनी करने आदि के लिए।
 
परियोजना-कार्य
नीचे दी गयी वर्ग-पहेली में उपयुक्त खनिजों के नाम भरें―
नोट―पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
 
क्षैतिज                                               ऊर्ध्वाधर
1. एक लौह खनिज (9)                     1. प्लेसर निक्षेपों से प्राप्त होता है।
2. सीमेंट उद्योग में प्रयक्त कच्चा           2. बेलाडिला में खनन किया जाने         
माल (9)                                             वाला लौह-अयस्क (8)
3. चुम्बकीय गुणों वाला सर्वश्रेष्ठ           3. विद्युत-उद्योग में अपरिहार्य (4)
लोहा (10)
4. उत्कृष्ट कोटि का कठोर कोयला        4. उत्तरी-पूर्वी भारत में मिलने वाले
 (10)                                                    कोयले की भूगर्भिक आयु (8)
5. इस अयस्क से एल्युमीनियम प्राप्त    5. शिराओं तथा शिरोनिक्षेपों में              
किया जाता है। (7)                             निर्मित (3)
6. इस खनिज के लिए खेतरी
खादाने प्रसिद्ध हैं। (6)
7. वाष्पीकरण से निर्मित (6)
 
उत्तर―क्षैतिज―1. मैंगनीज, 2. लाइमस्टोन, 3. मैग्नीटाइट, 4. एन्थ्रासाइट, 5. बॉक्साइट,
6. ताँबा, 7. जिप्सम।
उत्तर―ऊर्ध्वाधर―1. चट्टान, 2. हेमेटाइट, 3. कोयला, 4. टरशियरी, 5. टिन।
नोट―उपर्युक्त उत्तरों को विद्यार्थी पहेली में स्वयं भरें।
 
(ख) अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
                                  बहुविकल्पीय प्रश्न
1. बॉक्साइट किस धातु का खनिज है?
(क) लोहा
(ख) एल्युमीनियम 
(ग) जस्ता 
(घ) ताँबा
            उत्तर―(ख) एल्युमीनियम
 
2. ‘मैंगनीज ग्रंथिकाएँ किस क्षेत्र से प्राप्त की जाती हैं?
(क) महासागरीय
(ख) मरुस्थलीय
(ग) पर्वतीय
(घ) वनीय
              उत्तर―(क) महासागरीय
 
3. अंकलेश्वर किसके उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है?
(क) पेट्रोलियम
(ख) ताँबा
(ग) जस्ता 
(घ) यूरेनियम
                  उत्तर―(क) पेट्रोलियम
 
4. हेमेटाइट किस खनिज का अयस्क है?
(क) लौह 
(ख) जस्ता
(ग) मैंगनीज
(घ) कोयला
               उत्तर―(क) लौह
 
5. गोंडवाना तथा टर्शियरी का सम्बन्ध किस खनिज के शैलों से हैं?
(क) कोयला
(ख) लोहा
(ग) जस्ता
(घ) ताँबा
             उत्तर―(क) कोयला
 
6. ज्वारीय तरंगों से ऊर्जा को किस स्थान पर प्राप्त नहीं किया जाता?
(क) खम्भात की खाड़ी
(ख) कच्छ की खाड़ी
(ग) सुन्दरबन
(घ) अमरकंटक
                      उत्तर―(घ) अमरकंटक
 
                       अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. ‘वर्तमान शताब्दी का ईंधन’ किसे कहते हैं?
उत्तर―’वर्तमान शताब्दी का ईंधन’ प्राकृतिक गैस को कहा जाता है।
 
प्रश्न 2. भारत में विद्यमान टर्शियरी कोयला-क्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर―भारत में विद्यमान टर्शियरी कोयला-क्षेत्रों के नाम हैं-मेघालय, असम, अरुचाल प्रदेश और
नागालैंड।
 
प्रश्न 3. गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर―गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के नाम हैं-सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, ज्वारीय-ऊर्जा, जैविक-ऊर्जा
आदि।
 
प्रश्न 4. चूना-पत्थर किस उद्योग का आधारभूत कच्चा माल है।
उत्तर―चूना-पत्थर सीमेण्ट उद्योग का आधारभूत कच्चा माल है।
 
प्रश्न 5. भारत में बॉक्साइट का मुख्य निक्षेप कहाँ स्थित है?
उत्तर―भारत में बॉक्साइट का मुख्य निक्षेप ओडिशा के कोरापुट जिले के पंचपतमाली में स्थित है।
 
                             लघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. मैंगनीज के औद्योगिक अनुप्रयोगों का विवरण दीजिए।
उत्तर―भारत में मैंगनीज के औद्योगिक अनुप्रयोगों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित बिन्दुओं के
अन्तर्गत प्रस्तुत किया गया है―
मैंगनीज के उपयोग―मैंगनीज के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं―
1. मैंगनीज मुख्य रूप से इस्पात के विनिर्माण हेतु प्रयुक्त किया जाता है।
2. इसके द्वारा ब्लीचिंग पाउडर तैयार किया जाता है।
3. अनेक प्रकार की कीटनाशक दवाओं को तैयार करने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
4. रंग-रोगन व पेंट को बनाने के लिए भी मैंगनीज का प्रयोग किया जाता है।
 
प्रश्न 2. भारत में ताँबा-उत्पादक क्षेत्रों की चर्चा कीजिए।
उत्तर―भारत के ताँबा-उत्पादक क्षेत्रों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है―
1. मध्य प्रदेश―ताँबे के उत्पादन में हमारे देश का मध्य प्रदेश राज्य अग्रणी है। इस राज्य की
बालाघाट खानों से देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त बेतल जिले के
खेरली बाजार व बरगाँव में भी ताँबे के काफी भंडार हैं।
2. राजस्थान― राजस्थान प्रदेश के अधिकांश ताँबा भंडार अरावली पर्वत शृंखलाओं के निकट पाए
जाते हैं। झुनझुनु जिले की खेतड़ी-सिंघाना पेटी ताँबा उत्पादक क्षेत्रों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
इसके अतिरिक्त दिलवाड़ा-किरोवली भी अन्य महत्त्वपूर्ण ताँबा उत्पादक क्षेत्र हैं।
3. झारखंड―इस प्रदेश के सिंहभूम, हजारीबाग और चैबासा जिले प्रमुख ताँबा उत्पादक क्षेत्रों में से
हैं।
 
प्रश्न 3. “परम्परागत ऊर्जा स्रोत’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर―ऊर्जा के स्रोतों को परम्परागत एवं गैर-परम्परागत स्रोतों में वर्गीकृत किया गया है। इनमें
कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और विद्युत को परम्परागत ऊर्जा-स्रोतों में सम्मिलित किया गया है। इन
ऊर्जा-स्रोतों में से अधिकांश स्रोत प्राकृतिक रूप में ही प्राप्त होते हैं। साथ ही इनका काफी समय पूर्व से
सभी देशों में व्यापक रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसके विपरीत, ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोत;
जैसे-सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस आदि का प्रयोग कुछ समय पूर्व से ही किया जाना
शुरू हुआ है।
 
प्रश्न 4. कोयले की विभिन्न कोटियों के बारे में बताइए।
उत्तर― मानव के विकास की दृष्टि से कोयले का बहुत अधिक महत्त्व है। कोयला चार प्रकार का होता है―
1. पीट―इस प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा कम होती है। साथ ही नमी की मात्रा अधिक तथा
निम्न-ताप क्षमता होती है।
2. लिग्नाइट―यह निम्न स्तर का तथा भूरे रंग का कोयला होता है। यह मुलायम व अधिक नमीयुक्त
कोयला होता है।
3. बिटुमिनस―यह कोयला गहराई में दबा होता है तथा अधिक तापमान से प्रभावित होता है।
4. एंथेसाइट―इस कोयले को सबसे उत्तम प्रकार का कोयला कहा जाता है। इस कोयले में कार्बन की
मात्रा 80 प्रतिशत से अधिक होती है। यह ठोस, काले रंग का और कठोर कोयला होता है।
 
प्रश्न 5. भारत में सौर-ऊर्जा की क्या स्थिति है?
उत्तर―भारत में सौर-ऊर्जा का भविष्य अनेक कारणों से अत्यधिक उज्ज्वल है। भारत एक उष्ण
कटिबंधीय देश है। यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की अपार सम्भावनाएँ विद्यमान हैं। एक अनुमान के अनुसार
यह लगभग 20 मेगावाट प्रति वर्ग किलोमीटर प्रतिवर्ष है। इसके अतिरिक्त हमारे देश में फोटोवोल्टाइक
तकनीक के माध्यम से धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत का सबसे बड़ा सौर-ऊर्जा
संयंत्र; भुज के निकट माधोपुर में स्थित है। यहाँ सौर-ऊर्जा से दूध के बड़े-बड़े बर्तनों को कीटाणुमुक्त किया
जाता है। सूर्य का प्रकाश; प्रकृति का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख उपहार है। यही कारण है कि कम आय
वाले लोग भी सौर-ऊर्जा का सुगमता से लाभ उठा सकते हैं। कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस इत्यादि
ऊर्जा के ऐसे स्रोत हैं, जो एक बार प्रयोग के उपरान्त पुनः प्रयोग में नहीं लाए जा सकते हैं। इसके विपरीत,
सौर-ऊर्जा नवीकरणीय संसाधन हैं। इन्हें बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है। यह सम्भावना है कि
सौर-ऊर्जा के प्रयोग से घरों में उपलों और लकड़ी पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा। इसका परिणाम
यह होगा कि यह पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान देगा और साथ ही कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त
आपूर्ति हो सकेगी। सौर-ऊर्जा का प्रयोग हम अनेक प्रकार से कर सकते हैं; जैसे-खाना पकाने, पंप द्वारा
जल निकालने, पानी को गरम करने, दूध को कीटाणुरहित करने और सड़कों पर रोशनी करने आदि के
लिए।
                                दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों में अन्तर
IMG_20210422_154331~2.jpg
प्रश्न 2. ऊर्जा संरक्षण क्यों जरूरी है? संरक्षण के उपायों की चर्चा कीजिए।
उत्तर― आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवश्यकता है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक
सेक्टर―कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य व घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा के निवेश की
आवश्यकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् क्रियान्वित आर्थिक विकास की योजनाओं को चालू रखने के
लिए ऊर्जा की बड़ी मात्रा की आवश्यकता थी। फलस्वरूप पूरे देश में ऊर्जा के सभी प्रकारों का उपभोग
धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
ऊर्जा संरक्षण के उपाय
हमें अपने सीमित ऊर्जा संसाधनों के प्रति सावधानीपूर्वक एवं न्यायपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। एक
जागरूक नागरिक होने के नाते हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए―
1. निजी गाड़ी के स्थान पर सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
2. उपयोग में नहीं होने पर बिजली के उपकरण बंद कर दें।
3. बिजली बचत उपकरणों का उपयोग करें; जैसे—इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में स्टार दिखाई देते हैं।
4. संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) को ईंधन के रूप में प्रयोग करें जो पर्यावरण अनुकूल है।
5. नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ाएँ।
6. ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपभोग के लिए बायोगैस का प्रयोग करें।
 
प्रश्न 3. धात्विक और अधात्विक खनिजों में अन्तर को चिहित कीजिए।
उत्तर― धात्विक खनिज और अधात्विक खनिजों में अन्तर निम्नलिखित हैं―
घात्विक खनिजों से हमें धातुएँ प्राप्त होती हैं। इन खनिजों के उदाहरण हैं―लौह-अयस्क, सोना, चाँदी,
ताँबा, सीसा, एलुमिनियम टिन इत्यादि। धात्विक खनिजों को भी निम्नलिखित तीन प्रकारों में वर्गीकृत
किया गया है―लौह-खनिज, अलौह खनिज और बहुमूल्य धातुएँ।
अधात्विक खनिज वे खनिज हैं, जिनमें धातुएँ नहीं होती हैं। कोयला, पेट्रोलियम, अभ्रक, मैंगनीज आदि
इसी प्रकार के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। कोयला व खनिज तेल; अधात्विक खनिज हैं और इन्हें
‘ऊर्जा-खनिज’ भी कहा जाता है।

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