UP Board Class 9 Social Science Civics | लोकतान्त्रिक अधिकार

By | April 14, 2021

UP Board Class 9 Social Science Civics | लोकतान्त्रिक अधिकार

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 6 लोकतांत्रिक अधिकार

अध्याय 5.                     लोकतान्त्रिक अधिकार
                                               अभ्यास
NCERT प्रश्न
प्रश्न 1. इनमें से कौन-सा मौलिक अधिकारों के उपयोग का उदाहरण नहीं है?
(क) बिहार के मजदूरों का पंजाब के खेतों में काम करने जाना।
(ख) ईसाई मिशनों द्वारा मिशनरी स्कूलों की श्रृंखला चलाना।
(ग) सरकारी नौकरी में औरत और मर्द को समान वेतन मिलना।
(घ) बच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पाना।
                   उत्तर―(घ) बच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पाना।
 
प्रश्न 2. इनमें से कौन-सी स्वतन्त्रता भारतीय नागरिकों को नहीं है?
(क) सरकार की आलोचना की स्वतन्त्रता
(ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतन्त्रता
(ग) सरकार बदलने के लिए आन्दोलन शुरू करने की स्वतन्त्रता
(घ) संविधान के केन्द्रीय मूल्यों का विरोध करने की स्वतन्त्रता
                उत्तर― (ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतन्त्रता।
 
प्रश्न 3. भारतीय संविधान इनमें से कौन-सा अधिकार देता है?
(क) काम का अधिकार
(ख) पर्याप्त जीविका का अधिकार
(ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार
(घ) निजता का अधिकार
                           उत्तर― (ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार।
 
प्रश्न 4.उस मौलिक अधिकार का नाम बताएँ जिसके तहत निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ
आती हैं―
(क) अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतन्त्रता
(ख) जीवन का अधिकार
(ग) छुआछूत की समाप्ति
(घ) बेगार पर प्रतिबन्ध
                             उत्तर― (क) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार।
                                        (ख) स्वतन्त्रता का अधिकार।
                                         (ग) समानता का अधिकार।
                                         (घ) शोषण के विरुद्ध अधिकार।
 
प्रश्न 5.लोकतन्त्र और अधिकारों के बीच सम्बन्धों के बारे में इनमें से कौन-सा बयान
ज्यादा उचित है? अपनी पसन्द के पक्ष में कारण बताएँ।
(क) हर लोकतान्त्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है।
(ख) अपने नागरिकों को अधिकार देने वाला हर देश लोकतान्त्रिक है।
(ग) अधिकार देना अच्छा है, पर यह लोकतन्त्र के लिए जरूरी नहीं है।
उत्तर― प्रश्न में उल्लिखित बयानों में, बयान (क) ज्यादा उचित है कि हर लोकतान्त्रिक देश अपने
नागरिकों को अधिकार देता है।
(i) यह लोकतन्त्र ही है जो सब नागरिकों के लिए समान रूप से अधिकार सुनिश्चित करता है।
 
(ii) लोकतन्त्र में एक स्वतन्त्र न्यायपालिका की व्यवस्था होती है। यदि कोई सरकार नागरिकों के
अधिकारों को छीनने का प्रयत्न करती है तो वह सीधा ही न्यायपालिका के पास जा सकता है
और अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकता है।
 
(iii) एक लोकतन्त्र में ही लोगों को वे सारी स्वतन्त्रताएँ प्राप्त होती हैं जिनसे उनका सर्वांगीण
विकास हो सकता है।
 
(iv) यह लोकतन्त्र में ही सम्भव है कि सब के साथ बिना किसी भेदभाव के बराबरी का व्यवहार
किया जाए अन्यथा व्यक्ति अधूरा रह जाता है।
 
(v) एक राजतन्त्र या तानाशाही में अधिकारों के विषय में आदमी सोच भी नहीं सकता। वहाँ
अधिकार माँगने का अर्थ होता है, मुसीबतें मोल लेना जो अपना विकट रूप कैद, जुर्माना
और इससे आगे बढ़कर मृत्यु तक भी हो सकता है।
 
प्रश्न 6.स्वतन्त्रता के अधिकार पर ये पाबन्दियाँ क्या उचित है? अपने जवाब के पक्ष में
कारण बताएँ।
(क) भारतीय नागरिकों को सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए
अनुमति लेनी पड़ती है।
(ख) स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को सम्पत्ति
खरीदने की अनुमति नहीं है।
(ग) शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुंचा सकने वाली किताब पर सरकार
प्रतिबन्ध लगाती है।
उत्तर―(क) यह ठीक है कि स्वतन्त्रता के अधिकार में यह प्रावधान है कि कोई भी नागरिक 
देश के किसी भी भाग में बिना किसी रुकावट के जा सकता है। परन्तु यदि भारतीय नागरिकों
को सुरक्षा के कारण से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है
तो इसमें कोई अनुचित बात नहीं। सुरक्षा के कारण से स्वतन्त्र घूमने के अधिकार पर
अंकुश लगाया जा सकता है।
 
(ख) यह ठीक है कि भारतीय नागरिक देश के किसी भी हिस्से में सम्पत्ति खरीद सकते हैं परन्तु
स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को सम्पत्ति खरीदने
की अनुमति न होने से भी कोई अनुचित बात नहीं और न ही इसमें कोई स्वतन्त्रता के
अधिकार का हनन होता है। कुछ स्थानीय लोगों के हितों का ध्यान रखना भी आवश्यक है
ताकि बाहरी अमीर लोग उनका शोषण न कर सकें।
 
(ग) शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुँचा सकने वाली किताब पर सरकार का
प्रतिबन्ध लगाना सरासर गलत है। सरकार का यह कार्य स्वतन्त्रता के अधिकार के विरुद्ध
विशेषकर भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के विरुद्ध जाता है।
 
प्रश्न 7.मनोज एक सरकारी दफ्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन देने गया। वहाँ के
किरानी ने उसका आवेदन लेने से मना कर दिया और कहा, “झाड़ लगाने वाले का
बेटा होकर तुम मैनेजर बनना चाहते हो। तुम्हारी जाति का कोई कभी इस पद पर
आया है? नगरपालिका के दफ्तर जाओ और सफाई कर्मचारी के लिए अर्जी दो।”
इस मामले में मनोज के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है? मनोज
की तरफ से जिला अधिकारी के नाम लिखे एक पत्र में इसका उल्लेख करो।
उत्तर― प्रश्न में उल्लिखित कथन में मनोज के समानता और स्वतन्त्रता के अधिकारों का उल्लंघन
हो रहा है। ये दोनों अधिकार किसी भी भारतीय नागरिक के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इनका 
उल्लंघन होना बड़ी चिन्ता का विषय है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 में, जो समानता के अधिकार से सम्बन्धित है, में स्पष्ट कहा गया है,
“राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूल वंश, लिंग, जन्म-स्थान या इनमें से किसी भी
पर कोई विभेद नहीं करेगा।”
इस प्रकार भारतीय संविधान के अनुसार अनुच्छेद 19 में जो स्वतन्त्रता के अधिकार से सम्बन्धित है,
स्पष्ट यह लिखा है, “सभी नागरिकों को कोई भी व्यवस्था, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का
अधिकार होगा।”
क्लर्क के ये शब्द कि ‘झाडू लगाने वाले का बेटा’ सरासर समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
इसी प्रकार ये शब्द कहना–’झाडू लगाने वाले का बेटा होकर मैनेजर बनना चाहते हो’ सरासर कोई
भी व्यवसाय अपनाने के स्वतन्त्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
अब विद्यार्थी इस उपरोक्त विवरण का लाभ उठाते हुए मनोज की तरफ से जिला अधिकारी के नाम
एक पत्र में इसका उल्लेख करें।
 
प्रश्न 8. जब मधुरिमा सम्पत्ति के पंजीकरण वाले दफ्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, “आप
अपना नाम मधुरिमा बनर्जी, बेटी ए०के० बनर्जी नहीं लिख सकतीं। आप
शादीशुदा हैं और आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फिर आपके पति का .
उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव हो जाना
चाहिए।” मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, “अगर शादी के बाद
मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने
नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती?”
आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों?
उत्तर― इस विवाद में मधुरिमा ठीक है। समानता का अधिकार जैसा कि नीचे दिया जा रहा है, साफ
यह कहता है कि कोई भी स्त्री या पुरुष अपने साथ माँ का नाम या पिता का नाम लिख सकता है।
समानता के अधिकार में जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 15 में यह स्पष्ट कहा गया है, “धर्म, मूल
वंश, जाति, लिंग या जन्म-स्थान या इनमें से किसी के आधार पर राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध कोई
विभेद नहीं करेगा।”
 
प्रश्न 9. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में
रहने वाले लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्य जीव अभयारण्य और पंचमढ़ी
वन्य जीव अभयारण्य से अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए जमा
हुए। उनका कहना था कि यह विस्थापन उनकी जीविका और उनके विश्वासों पर
हमला है। सरकार का दावा है कि इलाके के विकास और वन्य जीवों के संरक्षण के
लिए उनका विस्थापन जरूरी है। जंगल पर आधारित जीवन जीने वाले की तरफ
से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र, इस मसले पर सरकार द्वारा दिया जा
सकने वाला सम्भावित जवाब और इस मामले पर मानवाधिकार आयोग की
रिपोर्ट तैयार करो।
उत्तर― जंगल पर आधारित जीवन जीने वालों की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र―
(i) हम मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में पिपरिया में रहने वाले आदिवासी और जंगल में रहने
वाले लोग हैं। हमें सरकार सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्य जीव अभयारण्य और पंचमढ़ी
वन्य जीव अभयारण्य से विस्थापित करके अन्य स्थानों पर भेज रही है। हम सरकार की इस
योजना का बिलकुल विरोध करते हैं।
हमारे तर्क का मुख्य आधार इस प्रकार है―
(a) हम इन क्षेत्रों में हजारों वर्षों से रह रहे हैं। हमारे पुरखे और बुजुर्ग भी यहाँ के मूल
निवासी थे।
(b) हमारा यह प्रस्तावित विस्थापन हमारी जीविका पर सीधा हमला है। हम और हमारे
पशुओं के लिए ये जंगल परमावश्यक हैं। हम इनके बिना बर्बाद हो जाएँगे। हमें केवल
अपने लिए ही नहीं वरन् हमारे पशुओं का चारा भी इन्हीं वनों से मिलता है। हम इन
वनों के फल आदि खाकर इनसे जलाने के लिए लकड़ी आदि प्राप्त करके अपना
निर्वाह करते हैं। यदि हमें इन स्थानों से विस्थापित किया जाएगा तो हमें न केवल अपने
घरों से हाथ धोना पड़ेगा वरन् हमारी जीविका का साधन जाता रहेगा।
(c) हमारे रहने के ढंग और विश्वास अलग हैं। यदि हमें अपने पुरखों की जगह से हटाया
जाएगा तो यह हमारे विश्वास रीति-रिवाजों और रहने के ढंग पर सीधा हमला होगा।
हमारा विस्थापन हमारे स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार का सरासर उल्लंघन होगा जो हमें
इस बात की स्वतन्त्रता देता है कि हम भारत के किसी भी भाग में स्वतन्त्रता से रह सकते हैं।
      धन्यवाद!
                                                    भवदीय
                                          मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के हजारों
                                          आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग।
(ii) सरकार द्वारा दिया जाने वाला सम्भावित जवाब
हमें मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के आदिवासियों द्वारा आपको (राष्ट्रीय मानवाधिकार
आयोग को) सम्बोधित किया गया निवेदन पत्र मिला। इस विषय में हमारा यह कहना कि
(a) इलाके के विकास और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए इन आदिवासियों के विस्थापन
की अति आवश्यकता है।
(b) यदि इन लोगों को सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्य जीव अभयारण्य और पंचमढ़ी
वन्य जीव अभयारण्य में रहने दिया जाता है तो वन्य जीवों का संरक्षण करना अति
कठिन हो जाएगा।
(c) यदि हमें विभिन्न पेड़-पौधों तथा जीव-जन्तुओं को अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित
रखना है तो हमें इन आदिवासियों को वन्य-प्रदेशों से हटाना ही होगा।
(d) हम आपको पूर्ण विश्वास दिलाते हैं कि इन विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए हम
हर सम्भव प्रयत्न करेंगे।
(e) इन आदिवासियों को राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए हमें अपना सहयोग देना चाहिए।
                                                                                भवदीय
                                                                                वन विभाग
                                                                                मध्य प्रदेश सरकार
(iii) राष्ट्रीय मानवाधिकार की रिपोर्ट
यदि मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित वन्य जीव अभयारण्यों से आदिवासियों का
विस्थापन अति आवश्यक है तो मध्य प्रदेश की सरकार, विशेषकर इसके वन-विभाग को
निम्नलिखित बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा―
(a) जिन नए स्थानों पर इन आदिवासियों को दोबारा बसाना है वहाँ पर उनके लिए पहले
से ही उचित निवासस्थानों का निर्माण होना चाहिए और हर एक को उसके
निवासस्थान की पर्ची मिल जानी चाहिए।
(b) वहाँ उनके रोजगार के मसले को भी हल करने का प्रयत्न करना चाहिए। कुछ को नए
कारोबार स्थापित करने के लिए ऋण दिए जाने चाहिए और कुछ को वहाँ नए उद्योग
स्थापित करके नौकरी के अवसर प्रदान करने चाहिए। कुछ को नए मकान बनाने
सड़कें आदि बनाने के कामों में लगा देना चाहिए।
(c) वहाँ हर प्रकार की सुविधाओं; जैसे―जल, बिजली, शिक्षा, नए शौचालयों और
दुकानों का भी प्रबन्ध करना होगा ताकि नए स्थानों पर जाकर लोगों को किसी कठिनाई
का सामना न करना पड़े।
                                                                   सेक्रेटरी/चेयरमैन
                                                                    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
                                                                    नई दिल्ली
 
प्रश्न 10.इस अध्याय में पढ़े विभिन्न अधिकारों को आपस में जोड़ने वाला एक मकड़जाल
बनाएँ। जैसे आने-जाने की स्वतन्त्रता का अधिकार तथा पेशा चुनने की
स्वतन्त्रता का अधिकार आपस में एक-दूसरे से जुड़े हैं। इसका एक कारण है कि
आने-जाने की स्वतन्त्रता के चलते व्यक्ति अपने गाँव या शहर के अन्दर ही नहीं,
दूसरे गाँव, दूसरे शहर और दूसरे राज्य तक जाकर काम कर सकता है। इसी
प्रकार इस अधिकार को तीर्थाटन से जोड़ा जा सकता है जो किसी व्यक्ति द्वारा
अपने धर्म का अनुसरण करने की आजादी से जुड़ा है। आप इस मकड़जाल को
बनाएँ और तीर के निशानों से बताएं कि कौन-से अधिकार आपस में जुड़े हैं। हर
तीर के साथ सम्बन्ध बताने वाला एक उदाहरण भी दें।
उत्तर― वास्तव में सभी मौलिक अधिकार; जैसे―समानता का अधिकार, स्वतन्त्रता का अधिकार,
शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार, आर्थिक स्वतन्त्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार,
संवैधानिक उपचारों का अधिकार एक-दूसरे से मिले-जुले हैं। यदि संवैधानिक उपचारों का अधिकार
न हो तो बाकी अन्य अधिकारों का कोई महत्त्व नहीं रह जाता।
                                 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
 
                                   बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. न्यूयॉर्क में आतंकवादी हमला कब हुआ?
(क) 10 सितम्बर, 2001
(ख) 11 सितम्बर, 2001
(ग) 12 सितम्बर, 2001
(घ) 13 सितम्बर 2001
                               उत्तर―(ख) 11 सितम्बर, 2001
 
प्रश्न 2. अमेरिका ने हमले के बाद चुपचाप दुनिया भर से कितने लोगों को पकड़ लिया?
(क)400 
(ख) 500 
(ग) 600 
(घ)700
            उत्तर―(ग) 600
 
प्रश्न 3. सऊदी अरब के विषय में क्या सही है?
(क) शाह हो विधायिका और कार्यपालिका के लोगों का चुनाव करते हैं।
(ख) कोई धार्मिक आजादी नहीं है।
(ग) औरतों को वैधानिक रूप से मर्दो से कमतर दर्जा मिला है।
(घ) उपर्युक्त सभी।
                       उत्तर―(घ) उपर्युक्त सभी।
 
प्रश्न 4. कोसोवो पुराने किस देश का प्रांत था?
(क) यूगोस्लाविया
(ख) ईरान
(ग) पुर्तगाल
(घ) स्पेन
            उत्तर―(क) यूगोस्लाविया
 
प्रश्न 5.किसने 1999 में दलितों के खिलाफ अभी तक बरकरार छुआछूत के व्यवहार पर
हिन्दू अखबार में एक लेखमाला लिखी?
(क) ए० साईनाथ
(ख) पी० साईनाथ
(ग) जी० साईनाथ
(घ) टी० साईनाथ
                      उत्तर―(ख) पी० साईनाथ
 
प्रश्न 6.गिरफ्तार या हिरासत में लिए गये व्यक्ति को सबसे निकट के मजिस्ट्रेट के सामने
गिरफ्तारी के कितने घण्टों के अन्दर प्रस्तुत करना पड़ता है?
(क)21 घण्टे
(ख)22 घण्टे
(ग) 23 घण्टे
(घ) 24 घण्टे
                उत्तर―(घ) 24 घण्टे
 
प्रश्न 7.संवैधानिक उपचारों का सिद्धान्त किस अनुच्छेद में दिया गया है?
(क) अनुच्छेद 31
(ख) अनुच्छेद 32
(ग) अनुच्छेद 33
(घ) अनुच्छेद 34
                      उत्तर―(क) अनुच्छेद 31
 
प्रश्न 8. शोषण के विरुद्ध अधिकार किन अनुच्छेदों में वर्णित हैं?
(क)अनुच्छेद 21-22
(ख) अनुच्छेद 22-23
(घ) अनुच्छेद 25-27
(ग) अनुच्छेद 23 व 24
                             उत्तर―(ग) अनुच्छेद 23 व 24
 
प्रश्न 9.किन अनुच्छेदों में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है?
(क) अनुच्छेद 22-23
(ख) अनुच्छेद 25-26
(ग) अनुच्छेद 25-28
(घ) अनुच्छेद 29-30
                           उत्तर―(ग) अनुच्छेद 25-28
 
प्रश्न 10. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना कब हुई?
(क) 1991 
(ख) 1992 
(ग) 1993
(घ) 1994
              उत्तर―(ग) 1993
 
                      अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.गुआंतानामो बे जेल कहाँ है?
उत्तर―अमेरिका में।
 
प्रश्न 2. सऊदी अरब में कितने राजनीतिक दल हैं?
उत्तर― एक भी नहीं।
 
प्रश्न 3. कोसोवो में किस सर्व नेता ने अल्बानिया मूल के लोगों की हत्याएँ करायीं?
उत्तर― 1999 में।
 
प्रश्न 4. 2002 में कहाँ दंगे हुए थे?
उत्तर― गुजरात में।
 
प्रश्न 5.मौलिक अधिकार कितने है?
उत्तर― छह।
 
प्रश्न 6. दक्षिण अफ्रीका के संविधान में कौन-से अधिकार दिये गये हैं?
उत्तर― रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार की गारंटी के अधिकार।
 
प्रश्न 7. दलितों के साथ कौन-सा कार्य छुआछूत से सम्बद्ध किया जाता था?
उत्तर― सार्वजनिक कुओं का इस्तोमल तथा मंदिरों में प्रवेश।
 
प्रश्न 8.भारत में कितने प्रकार की स्वतंत्रताएँ दी गई है?
उत्तर― छह प्रकार की।
 
प्रश्न 9.बेगार क्या होती है?
उत्तर― किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति से मुफ्त में या नाममात्र पैसों में जबरन 
काम कराना बेगार कहलाता है। इसे ‘बँधुआ मजदूरी’ भी कहते हैं।
 
प्रश्न 10.मौलिक अधिकारों का संरक्षक कौन है?
उत्तर― न्यायपालिका।
 
                             लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.शोषण के विरुद्ध अधिकारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर― शोषण के विरुद्ध अधिकारों के तहत किये गये प्रमुख प्रावधान निम्नवत् हैं―
(i) मनुष्यों तथा बेगार श्रमिकों के अवैध व्यापार पर रोक―मनुष्यों के खरीदने और बेचने
तथा ‘बेगार’ अथवा किसी अन्य प्रकार के बेगार श्रम की मनाही है। इसका अर्थ है कि
महिलाओं, पुरुषों तथा बच्चों को खरीदना और बेचना तथा बिना वेतन दिए किसी व्यक्ति
की मर्जी के विरुद्ध कार्य करवाना।
(ii) फैक्ट्रियों में बच्चों के काम करने पर प्रतिबंध―14 वर्ष से कम आयु वाला कोई भी बच्चा
फैक्टरी, खान में तथा कोई खतरनाक काम नहीं करेगा। इस प्रकार बाल श्रम पर प्रतिबंध है,
क्योंकि इसे शोषण माना जाता है तथा इस प्रकार यह अवैध है।
 
प्रश्न 2. सऊदी अरब में नागरिक अधिकारों की स्थिति क्या है?
उत्तर― सऊदी अरब में नागरिक अधिकारों की स्थिति का वर्णन निम्नवत् है―
(i) देश में एक वंश का शासन चलता है एवं राजा या शाह को चुनने या बदलने में लोगों की
कोई भूमिका नहीं होती।
(ii) शाह ही विधायिका और कार्यपालिका के लोगों का चुनाव करता है। जजों की नियुक्ति भी
शाह ही करते हैं और वे उनके फैसलों का पलट भी सकते हैं। आशय ये हैं कि शाह ही
सर्वेसर्वा है।
(iii) लोग कोई राजनैतिक दल या संगठन नहीं बना सकते और मीडिया भी शाह की मर्जी के विरुद्ध
कोई खबर नहीं दे सकती।
(iv) वहाँ कोई धार्मिक आजादी नहीं है केवल मुसलमान ही देश के नागरिक हो सकते हैं। यही
कारण है कि भारत, पाक, बांग्लादेश के बहुत से मुस्लिम नागरिक वहाँ काम करने जाते हैं।
यहाँ रहने वाले दूसरे धर्मों के लोग घर के अंदर ही अपने धर्म के अनुसार पूजा-पाठ कर
सकते हैं। इस प्रकार उनके सार्वजनिक/धार्मिक अनुष्ठानों पर पाबंदी है।
(v) औरतों को वैधानिक रूप से मर्दो से कमतर दर्जा प्राप्त था एवं उन पर कई तरह की
सार्वजनिक पाबंदियाँ लगी थीं, लेकिन वर्ष 2015 से औरतों को भी मताधिकार मिल गया है।
 
प्रश्न 3.गुआंतानामो वे जेल में नागरिक अधिकारों की क्या स्थिति थी?
उत्तर― अमेरिका सेना ने न्यूयॉर्क में हुए आतंकवादी हमले के सन्दर्भ में खुफिया तरीके से विश्व के
विभिन्न स्थानों से सैकड़ों लोगों को पकड़कर गुआंतानामो बे जेल में बंद कर दिया। यहाँ पर नागरिक
अधिकारों की स्थिति बहुत दयनीय थी। कैदियों के परिवार वालों, मीडिया के लोगों और यहाँ तक कि
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को भी उनसे मिलने की मंजूरी नहीं थी। ये कैदी अपने देश की अदालतों में
अपनी स्वतन्त्रता के लिए अपील भी नहीं कर सके।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ के अनुसार, अधिकारिक रूप से निर्दोष करार
दिये गये कैदियों को भी रिहा नहीं किया।
 
प्रश्न 4.कोसोवो की घटना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर―                              कोसोवो में जातीय नरसंहार
कोसोवो पुराने यूगोस्लाविया का एक प्रांत था, जो अब टूटकर अलग हो गया है। इस प्रदेश में
अल्बानियाई लोगों की संख्या अधिक थी, लेकिन पूरे देश की जनसंख्या के आधार पर सर्व लोग
बहुसंख्यक थे। उग्र सर्व राष्ट्रवाद के भक्त मिलोशेविक ने यहाँ के चुनावों में जीत प्राप्त की। उनकी
सरकार ने कोसोवो के अल्बानियाई लोगों के प्रति बहुत ही कठोर व्यवहार किया। अनेक सर्व नेताओं
का मानना था कि अल्बानियाई अल्पसंख्यक या तो देश छोड़कर चले जाएँ या सर्वो का प्रभुत्व स्वीकार
कर लें। कोसोवों में जनसंहार के अनेक मामले सामने आये। नरकंकाल भारी संख्या में मिलने से यह
अन्तर्राष्ट्रीय चर्चा में रहा।
कोसोवो के एक शहर में अप्रैल, 1999 में एक अल्बानियाई परिवार के साथ कुछ ऐसी घटना हुई कि
74 वर्षीया बतीशा होक्सा अपनी रसोई में अपने 77 वर्षीय पति इजेत के साथ बैठी आग ताप रही थी।
उन्होंने विस्फोटों की आवाज सुनी, लेकिन उनको यह एहसास भी नहीं हुआ कि सर्बिया की सेना शहर
में घुस आई है। तभी उनका दरवाजा खोलकर पाँच-छह सैनिक दनदनाते हुए अंदर आए और पूछा,
“बच्चे कहाँ है?”
बतीशा याद करती है, “उन्होंने इजेत की छाती में तीन गोलियाँ दाग दीं।” उसके सामने ही उसके पति
की मौत हो गयी और सैनिकों ने उसकी अंगुली से शादी की अंगूठी उतार ली और उसे भाग जाने की
कहा, “मैं अभी दरवाजे से बाहर भी नहीं निकली थी कि उन्होंने घर में आग लगा दी।” वह बरसात में
बेघर होकर सड़क पर खड़ी थी―उसके पास न मकान था, न पति और न शरीर पर पहने वस्त्रों के
अतिरिक्त कोई अन्य सामान। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसे ऐसा लगा कि उसके
पैरों तले जमीन खिसक गई। समाचारों में आई यह कथा उन हजारों अल्बानियाई लोगों के साथ हुए
बर्ताव में से एक की सच्चाई बयाँ करती है। यह नरसंहार उस देश की अपनी ही सेना, एक ऐसे नेता के
निर्देश पर कर रही थी, जो लोकतान्त्रिक चुनाव में जीतकर सत्ता में आया था। यह जातीय पूर्वाग्रहों के
चलते सबसे भयंकर नरसंहार था, अंत में अनेक देशों के दखल से यह क्रम रुका एवं मिलोशेविक की
सत्ता गयी। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में उन पर मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा भी
चलाया गया।
 
प्रश्न 5. वास्तविक अधिकार में कौन-से अधिकार रखेंगे?
उत्तर― वास्तविक अधिकार में संविधान द्वारा प्रदत्त छह मौलिक अधिकारों को रखा जाएगा। ये
मौलिक अधिकार निम्नवत् हैं―
(i) समता या समानता का अधिकार―यह अधिकार बड़ा महत्त्वपूर्ण है। भारत में जाति,
लिंग, जन्म-स्थान तथा वर्ग आदि का भेदभाव किए बिना सबको समानता का अधिकार
दिया गया है। हमारे जैसे विषमताओं वाले देश में अधिकार का बड़ा महत्त्व है।
(ii) स्वतन्त्रता का अधिकार―यह अधिकार भी अपना विशेष महत्त्व रखता है। भारत में
नागरिकों को भाषण देने की, समुदाय बनाने की, आवागमन की, निवास करने आदि की
पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त है।
(iii) शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार―भारत में प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषा एवं संस्कृति
का विकास करने की पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त है।
(iv) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार―भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है अत: हर नागरिक को
किसी भी धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है।
(v) शोषण के विरुद्ध अधिकार―भारतीय संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे
का शोषण नहीं कर सकता। यहाँ बेगार लेने, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखाने में
रखने, स्त्रियों और बच्चों को खरीदने-बेचने आदि की मनाही है।
(vi) संवैधानिक उपचारों का अधिकार―भारत में कोई भी नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा
के लिए किसी भी न्यायालय की शरण ले सकता है।
 
                                      दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.समानता के अधिकार पर प्रकाश डालिए।
उत्तर― समता या समानता का अधिकार बड़ा महत्त्वपूर्ण है। यह लोकतंत्र की आधारशिला है।
इसका वर्णन संविधान के 14वें से लेकर 18वें अनुच्छेद तक में किया गया है। समानता के इस
अधिकार के अन्तर्गत निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं―
(i) कानून के सम्मुख समानता―भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14वें में यह कहा गया है,
“भारतीय राज्य-क्षेत्र में राज्य किसी व्यक्ति को कानून के सम्मुख समानता अथवा कानूनों
के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।” दूसरे शब्दों में, कानून के सामने हर व्यक्ति समान
समझा जायेगा।
 
(ii) सामाजिक समानता―संविधान के अनुच्छेद 15वें में यह घोषित किया गया है, “राज्य
किसी नागरिक के विरुद्ध दल, धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान अथवा इनमें से किसी
एक के अधार पर भेदभाव नहीं करेगा।” इन आधारों पर किसी भी नागरिक को दुकानों,
सार्वजनिक होटलों, मनोरंजन के स्थानों, तालाबों, कुओं का प्रयोग करने से वंचित नहीं
किया जायेगा।
 
(iii) आर्थिक समानता―संविधान के अनुच्छेद 16वें के अनुसार, “सभी नागरिकों के लिए
नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे।” अर्थात् धर्म, जाति,
वंश, रंग अथवा लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ सरकारी नौकरी के मामले में
कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
 
(iv) अस्पृश्यता का अन्त―संविधान के अनुच्छेद 17वें में यह स्पष्ट कहा गया है,
“अस्पृश्यता का अन्त कर दिया गया है और किसी भी रूप में इसका आचरण निषिद्व किया
जाता है।” 1955 ई० के अस्पृश्यता अपराध के अधिनियम के अनुसार, छुआछूत बरतने
वालों के लिए कैद और जुर्माने की व्यवस्था को और भी कठोर बना दिया गया है।
 
(v) उपाधियों की समाप्ति―संविधान के अनुच्छेद 18वें के अनुसार, “सेना अथवा विद्या
सम्बन्धी उपाधियों को छोड़कर राज्य नागरिकों को कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा तथा
भारतीय नागरिक भी किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेंगे।” सम्भवतः
इसी विचार से ब्रिटिश काल में दी जाने वाली ‘सर’, ‘राय साहब’, ‘राय बहादुर’, ‘खाँ
बहादुर’ आदि उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है।
 
प्रश्न 2.स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर― संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता और धार्मिक सम्बन्धी अधिकार निम्नवत् हैं―
स्वतंत्रता का अधिकार―यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 के अन्तर्गत वर्णित है।
स्वतंत्रता का अर्थ है, सभी बाधाओं से मुक्ति। किन्तु कोई भी व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता को ऐसे रूप में
प्रयोग नहीं कर सकता जिससे दूसरे व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती हो। समाज के हितों को ध्यान में
रखते हुए सरकार हमारी स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगा सकी है। 
भारतीय संविधान के अनुसार सभी नागरिकों को―
(i) शांतिपूर्ण तरीके से धरना देने की स्वतंत्रता।
(ii) संगठन अथवा संघ बनाने का अधिकार।
(iii) देश के किसी भी भाग में रहने या घूमने-फिरने का अधिकार।
(iv) कोई भी व्यवसाय करने, नौकरी करने अथवा व्यापार करने का अधिकार।
(v) व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार―भारत एक पंथ-निरपेक्ष (Secular) राज्य है। संविधान में अनुच्छेद
25 से 28 के अन्तर्गत धर्म के मामले में नागरिकों को विशेष अधिकार दे रखे हैं, जो इस प्रकार हैं―
(i) वे किसी भी धर्म को मान सकते हैं।
(ii) वे अपने-अपने ढंग से अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अपने धर्म का पालन कर सकते हैं।
(iii) वे अपने धर्म का प्रचार भी कर सकते हैं, परन्तु इस अधिकार पर यह अंकुश है कि उपरोक्त
अपने अधिकारों का प्रयोग करते समय कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेगा जिससे किसी अन्य
धर्म की निन्दा हो या लोगों में कोई धार्मिक विरोध उठ खड़ा हो।
यद्यपि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होता। उसके लिए सभी धर्म बराबर होते हैं। विभिन्न धर्मावलम्बी
अपनी शिक्षण संस्थाएँ खोल सकते हैं जिनमें उन्हें शिक्षा देने की कई स्वतन्त्रताएँ भी प्राप्त होती हैं,
परन्तु उन्हें सरकार द्वारा निश्चित किए गए नियमों के अनुसार चलना आवश्यक होता है ताकि
सार्वजनिक कानून व्यवस्था और आपसी भाईचारा बना रहे।
 
प्रश्न 3. सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकारों का अल्पसंख्यकों के हितों पर क्या प्रभाव
पड़ा है?
उत्तर― लोकतंत्र की कार्यपद्धति स्वयं में ही बहुसंख्यकों को अधिक शक्ति प्रदान करती है।
अल्पसंख्यकों को ही भाषा, संस्कृति एवं धर्म के विशेष संरक्षण की आवश्यकता होती है, अन्यथा वे
बहुसंख्यकों की भाषा, धर्म और संस्कृति के प्रभाव में पिछड़ते चले जाएंगे। इसी क्रम में संविधान में
अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार निम्न प्रकार से स्पष्ट किए गए हैं―
(i) नागरिकों में विशिष्ट भाषा या संस्कृति वाले किसी भी समूह को अपनी भाषा, लिपि एवं संस्कृति
को बचाने का अधिकार है।
(ii) किसी भी सरकारी या सरकारी अनुदान पाने वाले शैक्षिक संस्थान में किसी नागरिक को
धर्म, जाति, मूल वंश या भाषा के आधार पर प्रवेश लेने से नहीं रोका जा सकता।
(iii) सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद का शैक्षिक संस्थान स्थापित करने एवं चलाने का
अधिकार है। इसमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की गई है। वे अपने धर्म के लोगों
के लिए इसमें 50% तक सीटें आरक्षित कर सकते हैं।
यहाँ अल्पसंख्यक का अर्थ राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक अल्पसंख्यक मात्र नहीं है। यदि किसी स्थान पर
एक विशेष भाषा को बोलने वालों का बहुमत होगा तो वहाँ अलग भाषा बोलने वाले अल्पसंख्यक भी
होंगे; जैसे―आंध्र प्रदेश में तेलुगू बोलने वालों का बहुमत है, लेकिन कर्नाटक में वे अल्पसंख्यक हैं।
इसी प्रकार पंजाब में सिख समुदाय बहुसंख्यक है, जबकि राजस्थान, हरियाणा एवं दिल्ली में यह
समुदाय अल्पसंख्यक है।
 
प्रश्न 4.राष्ट्रीय मानवाधिकार के विषय में आप क्या जानते हो?
उत्तर― राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वतंत्र आयोग है जिसकी स्थापना 1993 में कानून द्वारा
की गई। आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा इसमें सेवानिवृत्त जज, अधिकारीगण तथा
प्रमुख नागरिक शामिल होते हैं। किन्तु इस पर अदालती मामलों में निर्णय देने का दायित्व नहीं है। यह
पीड़ितों को संविधान में वर्णित सभी मौलिक अधिकारों सहित सारे मानव अधिकार दिलाने पर ध्यान
देता है। इनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा कराई गई वे संधियाँ भी शामिल हैं जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग स्वयं किसी को सजा नहीं दे सकता। यह मानव अधिकार हनन के किसी
भी मामले की जाँच करता है तथा देश में मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए अन्य सामान्य कदम
उठाता है। यह गवाहों को इसके समक्ष पेश होने के आदेश दे सकता है, किसी सरकारी कर्मचारी से
पूछताछ कर सकता है, किसी आधिकारिक दस्तावेज की मांग कर सकता है, किसी जेल का निरीक्षण
करने के लिए उसका दौरा कर सकता है तथा किसी स्थान पर जाँच करने के लिए अपना दल भेज
सकता है।
 
प्रश्न 5. अधिकार कैसे मानव के सर्वांगीण विकास हेतु जरूरी हैं?
उत्तर― मौलिक अधिकारों का अपना विशेष महत्त्व है, विशेषकर भारत जैसे देश के नागरिकों के
लिये, जो लम्बे समय तक विदेशी साम्राज्यवादियों के शोषण का शिकार बने रहे और जिन्हें उनके हाथों
अनेक जुल्मों को सहना पड़ा―
(i) मौलिक अधिकार मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिये अति आवश्यक होते हैं। इनके बिना
कोई भी नागरिक आगे बढ़ने की सोच भी नहीं सकता।
(ii) इनके द्वारा व्यक्तियों को वे सभी स्वतन्त्रताएँ उपलब्ध की जाती हैं जिनके द्वारा उनका जीवन
अधिक सुखी और सम्पन्न बन जाता है।
(iii) इनके अधिकारों के कारण हर नागरिक को आगे बढ़ने के समान अवसर उपलब्ध हो जाते
जो अन्यथा सम्भव नहीं था।
(iv) इनके द्वारा हर छोटा या बड़ा व्यक्ति किसी भी ओर से होने वाले अन्याय और शोषण से
बच जाता है, चाहे ऐसा अन्याय राज्य की ओर से हो या किसी और शक्तिशाली व्यक्ति से।

TENSE

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