UP Board Class 9 Social Science Economics | निर्धनता : एक चुनौती
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती
अध्याय 3. निर्धनता : एक चुनौती
अभ्यास
NCERT प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर― निर्धनता (गरीबी) रेखा वह रेखा है जिससे यह मालूम हो जाता है कि ग्रामीण और शहरी
क्षेत्रों में कौन-सा परिवार निर्धनता (गरीबी) रेखा से ऊपर है और कौन-सा परिवार गरीबी रेखा से
नीचे है। 1999-2000 में यह अनुमान लगाया गया कि ग्रामीण क्षेत्र में यदि किसी परिवार के एक
व्यक्ति की आय ₹ 328 प्रति मास से कम है तो वह परिवार निर्धनता (गरीबी) रेखा से नीचे माना
जायेगा।
मान लें एक गाँव में एक विशेष परिवार के चार सदस्य हैं और उस परिवार की आय ₹ 328×4 =
1312 प्रति मास से अधिक है तो वह परिवार गरीबी रेखा से ऊपर माना जायेगा और यदि उस परिवार
की आय ₹ 1312 से नीचे है तो वह परिवार निर्धनता (गरीबी) रेखा से नीचे का माना जायेगा।
शहरी क्षेत्रों में एक परिवार की प्रति व्यक्ति आय ₹454 प्रति मास से अधिक हो तो वह परिवार
निर्धनता (गरीबी) रेखा से ऊपर और यदि ₹ 454 प्रति व्यक्ति प्रति मास से कम हो तो वह परिवार
निर्धनता (गरीबी) रेखा से नीचे माना जायेगा।
प्रश्न 2. क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
उत्तर― बहुत-से विद्वान यह मानते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही नहीं है, क्योंकि
यह केवल एक स्तर से अर्थात् आर्थिक स्तर से ही निर्धनता का आकलन करता है।
परन्तु निर्धनता के अनेक पहलू हैं। इसे केवल एक स्तर अर्थात् आर्थिक स्तर से नहीं, आका जा सकता।
समय के साथ-साथ निर्धनता की परिभाषा में भी अन्तर आता जाता है। अब इसको मानव निर्धनता
(Human Poverty) की सोच से जोड़ा जाता है। कुछ लोग अपना पेट भरने में सक्षम हो सकते हैं
परन्तु यदि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं, फिर छिपाने के लिए उनके पास कोई डेरा नहीं है, उनके पास स्वास्थ्य
ठीक रखने की कोई व्यवस्था नहीं, उनके पास काम की कोई सुरक्षा नहीं, सुरक्षित पेयजल की कमी हो,
सामाजिक समानता का अभाव हो तो ऐसे व्यक्तियों को भी निर्धन माना जाता है।
अब यदि निर्धनता को दूर करना हो और लोगों को निर्धनता की रेखा से ऊपर उठाना हो तो हमें अवश्य
लोगों की आय को बढ़ाना होगा परन्तु हमें यह भी देखना होगा कि क्या हम लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा
का प्रबन्ध कर रहे हैं या नहीं, उनकी शिक्षा, सुरक्षा, आहार और सम्मान के लिए उचित वातावरण है या
नहीं।
इस समय हमारे शहरी क्षेत्रों में यदि कोई ₹ 454 प्रति मास कमा रहा है तो हम उसे गरीबी रेखा से
ऊपर मानते हैं। इसी प्रकार यदि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई व्यक्ति र 328 प्रति मास से ऊपर कमा लेता है तो
हम उसे गरीबी रेखा से ऊपर मान लेते हैं। यदि किसी शहरी क्षेत्र में 5 सदस्यों वाले परिवार की आय
₹(454 × 5 = 2270) प्रति मास से अधिक हो तो हम उस परिवार को गरीबी रेखा से ऊपर मान लेते
हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पाँच सदस्यों की मासिक आय यदि ₹ (328 × 5 = 1640) से ऊपर हो
तो ऐसे परिवार को गरीबी रेखा से ऊपर मान लेते हैं।
परन्तु हमें आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ उसकी सामाजिक स्थिति को भी सुधारना होगा। उनके
स्वास्थ्य, शिक्षा की ओर ध्यान देना होगा और यह ध्यान रखना होगा कि समाज में उसका पूरा आदर
और सम्मान बना रहे। अन्यथा ऐसा व्यक्ति शारीरिक रूप से तो निर्धन नहीं माना जायेगा परन्तु मानसिक
रूप से वह अवश्य निर्धन माना जायेगा। अब निर्धनता का अर्थ मानव निर्धनता से है जो मानव का
सर्वांगीण विकास करके ही दूर की जा सकती है।
प्रश्न 3. भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर― जैसा कि निम्नलिखित तालिका से पता चलता है कि भारत के निर्धनता अनुपात में निरन्तर
गरावट, 1973–74 और 1993–94 के मध्य देखने को मिलती है। 1973–74 में गरीबी अनुपात जहाँ
54.9 (55%) था वहीं 1993–94 में घटकर 36% रह गया और यदि हम आगे बढ़े तो 1999–2000
में यह गरीबी अनुपात आगे घटकर 26% रह गया।
ऊपर की तालिका से पता चलता है कि निर्धनों की संख्या पहले दो दशकों में तो संतुलित रही (32.0
करोड़)। परन्तु अथक प्रयत्नों से वह 1999–2000 में घटकर 26.0 करोड़ रह गई।
प्रश्न 4. भारत में निर्धनता में अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर― छात्र प्रश्न 6 का उत्तर देखें।
प्रश्न 5. उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के
समक्ष निरुपाय हैं।
उत्तर― (क) सामाजिक समूह जो निर्धनता के विरुद्ध निरुपाय हैं―
(i) अनुसूचित जातियाँ
(ii) अनुसूचित जनजातियाँ
(ख) आर्थिक समूह जो निर्धनता के विरुद्ध निरुपाय हैं―
(i) ग्रामीण कृषि कार्यों में लगे मजदूर
(ii) नगरीय इलाकों में अनियमित मजदूरी करने वाले लोग
प्रश्न 6. भारत में अंतर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
उत्तर― जैसा कि निम्नलिखित तालिका से पता चलता है कि लोग भारत के विभाजित राज्यों की
निर्धनता आँकड़ों में बड़ा अन्तर पाया जाता है।
तालिका : भारत के कुछ चुनिन्दा राज्यों में निर्धनता अनुपात
ओडिशा, बिहार और मध्य प्रदेश आदि भारत के तीन राज्य सबसे निर्धन राज्य हैं जहाँ गरीबी रेखा
क्रमशः 47.2, 42.6 और 37.4 प्रतिशत है।
जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि भारत के तीन सबसे सम्पन्न राज्य हैं जहाँ गरीबी रेखा
3.5, 6.2 और 7.6% के लगभग है, जो लगभग नहीं के बराबर है।
प्रश्न 7. वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर― वैश्विक निर्धनता में सब देशों को मिलाकर निर्धनता का अनुपात कम हुआ है परन्तु फिर भी
विभिन्न देशों में निर्धनता अनुपात में बड़ा अन्तर पाया जाता है―
(i) चीन और दक्षिणी-पूर्वी एशिया के देशों में (जैसे―भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल,
बांग्लादेश, भूटान आदि में) तीव्र आर्थिक प्रगति और मानव संसाधन विकास में काफी
अच्छे निवेश के कारण गरीबी में काफी कमी आई है।
(ii) दक्षिणी अमेरिका के देशों में निर्धनता का अनुपात लगभग वही बना रहा।
(iii) सब-सहारा अफ्रीका में निर्धनता का अनुपात बढ़ा है, जो 1981 में 41% था वह बढ़कर
2001 में 46% हो गया।
(iv) रूस जैसे पूर्व समाजवादी देशों में जहाँ पहले कोई विशेष रूप में निर्धनता बिलकुल नहीं थी,
वहाँ अब निर्धनता पुन: व्याप्त हो गई है।
प्रश्न 8. निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।
उत्तर― भारत सरकार द्वारा गरीबी दूर करने के लिए चलाए गए विभिन्न उपाय इस प्रकार हैं―
(i) स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वराज्य योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को
वित्तीय सहायता दी जाने लगी।
(ii) जवाहर ग्राम समृद्धि योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र के उन स्त्री-पुरुषों के लिए रोजगार
के अवसर प्रदान किए जाने लगे जिन्हें वर्ष के अधिकतर भाग में पर्याप्त, कार्य नहीं मिलता
था। इस योजना से भी उन परिवारों को सहायता दी जाती है जो गरीबी रेखा से नीचे हैं।
(iii) प्रधानमंत्री रोजगार योजना और स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना द्वारा शहरी क्षेत्रों
के शिक्षित बेरोजगारों की सहायता की जाती है। इसमें 18 से 35 वर्ष की आयु के शिक्षित
जिगारों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं। यहाँ भी गरीब लोगों को इसमें
प्राथमिकता दी जाती है।
(iv) ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक अन्य कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं; जैसे―रोजगार बीमा योजना
और प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना आदि। ऐसे कार्यक्रमों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के गरीबी रेखा से
नीचे के परिवारों के लिए वेतन आधारित रोजगार उपलब्ध कराए जाते हैं ताकि वे
जीवन-स्तर को ऊपर उठा सकें।
प्रश्न 9. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दें―
(क) मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं?
(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन हैं?
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर― (क) छात्र प्रस्तुत प्रश्न 2 का उत्तर देखें।
(ख) महिलाएँ, शिशु (विशेषकर बच्चियाँ) और वृद्ध निर्धनों में भी अधिक निर्धन होते हैं।
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की मुख्य विशेषताएँ―
यह अधिनियम सितम्बर 2005, ई० को पास किया गया ताकि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में
भारत में निर्धनता को कम किया जा सके। इस अधिनियम की कुछ मुख्य विशेषताएँ
निम्नलिखित हैं―
(i) इस अधिनियम ने यह सुनिश्चित किया कि देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण
परिवार को 100 दिन तक का रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा।
(ii) बाद में इस योजना का विस्तार देश के 600 जिलों में करने का निश्चय किया गया।
(iii) एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए सुरक्षित रखे गये।
परन्तु याद रहे कि शुभ इच्छाओं और अच्छी नियत के बावजूद, अन्य योजनाओं की भाँति
इस योजना का लाभ निर्धनों को पूरी तरह से मिल नहीं पाया। इसलिए इन निर्धनता उन्मूलन
कार्यक्रमों के परिवीक्षण की काफी जरूरत है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. Nsso का पूरा नाम क्या है?
(क) नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाईजेशन
(ख) नेचुरल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाईजेशन
(ग) नेशनल सैम्पल सस्टेन ऑर्गनाईजेशन
(घ) न्यूट्रल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाईजेशन
उत्तर―(क) नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाईजेशन
प्रश्न 2. भारत में कितने लोग निर्धन हैं?
(क) 260 करोड़
(ख) 200 करोड़
(ग) 150 करोड़
(घ) 100 करोड़
उत्तर―(क) 260 करोड़
प्रश्न 3. स्वतंत्रता के बाद भारत की सबसे कठिन चुनौती क्या है?
(क) कुपोषण
(ख) बाल मजदूरी
(ग) बेरोजगारी
(घ) निर्धनता
उत्तर―(घ) निर्धनता
प्रश्न 4. भारत में सबसे अधिक असुरक्षित सामाजिक और आर्थिक
समूह
कौन-से हैं?
(क) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति
(ख) नवयुवक
(ग) कुछ उच्च वर्ग के लोग
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर―(क) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति
प्रश्न 5. निर्धनों से भी निर्धन कौन हैं?
(क) औरतें
(ख) बूढ़े लोग
(ग) बच्चियाँ
(घ) ये सभी
उत्तर―(ग) बच्चियाँ
प्रश्न 6. भारत में सबसे अधिक गरीब राज्य कौन-से हैं?
(क) ओडिशा और बिहार
(ख) हरियाणा और पंजाब
(ग) महाराष्ट्र और पंजाब
(घ) बिहार और उत्तर प्रदेश
उत्तर―(क) ओडिशा और बिहार
प्रश्न 7. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम को कब लागू किया गया?
(क) 2000 में
(ख) 2002 में
(ग) 2004 में
(घ) 2006 में
उत्तर―(घ) 2006 में
प्रश्न 8. भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वीकृत कैलोरी की आवश्यकता प्रति व्यक्ति प्रतिदिन
कितनी है?
(क) 2400 कैलोरी
(ख) 2100 कैलोरी
(ग) 2200 कैलोरी
(घ) 2500 कैलोरी
उत्तर―(क) 2400 कैलोरी
प्रश्न 9. उच्च कृषि विकास दर के कारण किन राज्यों में परम्परागत रूप में निर्धनता में
उल्लेखनीय गिरावट आई है?
(क) केरल और पश्चिम बंगाल में
(ख) पंजाब और तमिलनाडु में
(ग) पंजाब और हरियाणा में
(घ) आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में
उत्तर―(ग) पंजाब और हरियाणा में
प्रश्न 10. पश्चिम बंगाल में निर्धनता में आई उल्लेखनीय गिरावट का क्या कारण है?
(क) मानव संसाधनों का विकास
(ख) अनाज का सार्वजनिक वितरण
(ग) जनसंख्या नियंत्रण
(घ) भूमि सुधार उपाय
उत्तर―(घ) भूमि सुधार उपाय
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सामाजिक अपवर्जन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर― यह एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह को सुविधाओं, लाभ और अवसरों से
वंचित कर दिया जाता है जो अन्य अमीर लोग के द्वारा लिये जा रहे होते हैं।
प्रश्न 2. असुरक्षा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर― असुरक्षा एक मापन है जो आने वाले वर्षों में किसी समुदाय या व्यक्ति के निर्धन बनने या
बने रहने की संभावना को बताता है।
प्रश्न 3. भारत में निर्धनता के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर― भारत में निर्धनता के दो कारण इस प्रकार हैं―
(i) भारत की दीर्घकालिक बेरोजगारी में वृद्धि होना।
(ii) स्वतंत्रता के पश्चात् भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण।
प्रश्न 4. भारत में निर्धनता संबंधी किन्हीं चार चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर― भारत में निर्धनता से संबंधित चार चुनौतियाँ इस प्रकार हैं―
(i) लैंगिक समता तथा निर्धनों में सम्मान।
(ii) शिक्षा व रोजगार सुरक्षा उपलब्ध कराना।
(iii) न्यूनतम आवश्यक आय की उपलब्धता।
(iv) सभी को स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।
प्रश्न 5. सरकार द्वारा चलाया गया निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम ज्यादा कारगर साबित क्यों
नहीं हो रहा है?
उत्तर― निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम के कम प्रभावी होने का एक मुख्य कारण उचित कार्यान्वयन और
सही लक्ष्य निश्चित करने का अभाव है।
प्रश्न 6. उन पाँच राज्यों के नाम बताइए जहाँ निर्धनता सबसे कम और सबसे अधिक है।
उत्तर― भारत के पाँच सबसे कम निर्धन राज्य-जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा,
केरला भारत के पाँच सबसे अधिक निर्धन राज्य-उड़ीसा (ओडिशा), बिहार, झारखंड,
मध्य प्रदेश, असम।
प्रश्न 7. भारत और चीन की निर्धनता में कमी के आँकड़ों के बारे में बताइए।
उत्तर― भारत में निर्धनता का अनुपात 1990 के 28 प्रतिशत से गिरकर 2011 में 21.9 प्रतिशत हो
गया है। चीन में निर्धनों की संख्या 1981 के 88.3 प्रतिशत से घटकर 2013 में 1.9 प्रतिशत रह गई है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निर्धनता-निरोधी रणनीतियों के कम प्रभावशाली होने के क्या कारण हैं?
उत्तर― निर्धनता-निरोधी रणनीतियों के कम प्रभावशाली होने के कारण इस प्रकार हैं-
(i) उचित कार्यान्वयन और सही लक्ष्य की कमी।
(ii) योजनाओं में अति व्यापकता है। उचित इरादे होने के बाद भी इन योजनाओं का पूरा लाभ
निर्धनों तक नहीं पहुंँच पाता।
(iii) निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों की अनुचित निगरानी।
प्रश्न 2. “आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ संबंध है।” विवरण
दीजिए।
उत्तर― विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980
के दशक से भारत की आर्थिक संवृद्धि-दर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि-दर 1970 के दशक
के करीब 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच
गई। यह आँकड़ा समयानुसार निरन्तर सुधर रहा है। अधिक संवृद्धि-दर निर्धनता उन्मूलन को कम
करने में सहायक होती है। इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन
के बीच एक घनिष्ट संबंध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में
निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है। यह शिक्षा में निवेश से अधिक आर्थिक प्रतिफल
पाने की आशा में लोगों को अपने बच्चों को लड़कियों सहित स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करती है।
प्रश्न 3. सामाजिक बुद्धिजीवियों के द्वारा निर्धनता के विभिन्न संकेतक कौन-कौन से
बताए गए हैं?
उत्तर― निर्धनता को विभिन्न संकेतकों के द्वारा जाना जा सकता है; जैसे-अनपढ़ता का स्तर,
कुपोषण के कारण सामान्य प्रतिरोधक क्षमता में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं तक कम पहुँच, नौकरी के कम
अवसर, पीने के पानी में कमी, सफाई व्यवस्था आदि। सामाजिक अपवर्जन और असुरक्षा के आधार पर
निर्धनता का विश्लेषण अब सामान्य है।
● सामाजिक अपवर्जन―यह एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह को सुविधाओं, लाभ
और अवसरों से वंचित कर दिया जाता है जो अन्य अमीर लोगों के द्वारा लिये जा रहे होते हैं।
● असुरक्षा―असुरक्षा एक मापन है जो आने वाले वर्षों में किसी समुदाय या व्यक्ति के निर्धन बनने
या बने रहने की संभावना को बताता है।
प्रश्न 4. सरकार की वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीतियाँ किन दो कारकों पर आधारित
उत्तर― निर्धनता उन्मूलन भारत की विकास रणनीति का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है। सरकार की
वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीति मोटे तौर पर दो कारकों पर आधारित है―
(i) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन―विकास की उच्च दर से निर्धनता को कम करने में एक
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980 के दशक से भारत की आर्थिक संवृद्धि-दर विश्व में
सबसे अधिक रही। संवृद्धि-दर 1970 के दशक के करीब 3.5 प्रतिशत के औसत से
बढ़कर 1980 और 1990 के दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई। इसलिए यह स्पष्ट
होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ संबंध है।
आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए
आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है।
(ii) लक्षित निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम―सरकार ने निर्धनता को समाप्त करने के लिए कई
निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम चलाए; जैसे―राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005
(एन०आर०ई०जी०ए), प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पी०एम०आर०वाई०), ग्रामीण रोजगार
सृजन, स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एस०जी०एस०वाई०), प्रधानमंत्री ग्रामोदय
योजना (पी०एम०जी०वाई०), अंत्योदय अन्न योजना (ए०ए०वाई०), राष्ट्रीय काम के
बदले अनाज।
प्रश्न 5. सरकार की वर्तमान निम्नलिखित निर्धनता-निरोधी रणनीतियों के कोई दो
उद्देश्य बताइए―
(क) राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम (एन०एफ०डब्ल्यू०पी०)
(ख) प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पी०एम०आर०वाई०)
(ग) ग्रामीण रोजगार सृजन
(घ) स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एम०जी०एस०वाई०)
(ङ) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (पी०एम०जी०वाई०)
उत्तर― (क) राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम (एन०एफ० डब्लयू०पी०)―
● यह कार्यक्रम 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था।
● यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मजदूरी पर रोजगार की
आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
● इसके लिए राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
(ख) प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पी०एम० आर०वाई०)―
● इस योजना को 1993 में आरंभ किया गया।
● इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के
लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
● इस कार्यक्रम में लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने में उनको सहायता दी जाती है।
(ग) ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (आर०ई०जी०पी०)―
● इस कार्यक्रम का आरंभ 1995 में किया गया।
● इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
● दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोजगार के अवसर
सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।
(घ) स्वर्ण जंयती ग्राम स्वरोजगार योजना (एस०जी०एस०वाई०)―
● इस कार्यक्रम का आरंभ 1999 में किया गया।
● इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों में संगठित
कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
(ङ) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (पी०एम०जी०वाई०)―
● यह योजना 2000 में आरंभ की गई।
● इसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण
जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
प्रश्न 6. निम्नांकित आरेख का अध्ययन कीजिए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर
दीजिए―
(क) उन तीन राज्यों को पहचानिए जहाँ निर्धनता का अनुपात सर्वाधिक है।
(ख) उन तीन राज्यों को पहचानिए जहाँ निर्धनता का अनुपात निम्नतम है।
उत्तर― (क) बिहार, ओडिशा व असम।
(ख) केरल, हिमाचल प्रदेश और पंजाब।
प्रश्न 7.निम्नांकित आरेख का अध्ययन कीजिए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर
दीजिए―
(क) उन क्षेत्रों को पहचानिए जहाँ निर्धनता का अनुपात घटा है।
(ख) उन क्षेत्रों को पहचानिए जहाँ सबसे अधिक निर्धन हैं।
उत्तर― (क) चीन और दक्षिण एशिया के देश।
(ख) सब-सहारा अफ्रीका।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सरकार द्वारा चलाई गई निर्धनता-निरोधी रणनीतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर― सरकार ने निर्धनता को समाप्त करने के लिए कई निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम चलाए;
जैसे―राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (एन०आर०ई०जी०ए०), प्रधानमंत्री रोजगार
योजना (पी०एम०आर०वाई०), ग्रामीण रोजगार सृजन, स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना
(एस०जी०एस०वाई०), प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (पी०एम०जी०वाई०), अंत्योदय अन्न योजना
(ए०ए०वाई०), राष्ट्रीय काम के बदले अनाज।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (एन० आर०ई०जी०ए०)―
● राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (एन०आर०ई०जी०ए०) को सितंबर 2005 में
पारित किया गया।
● प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार का प्रावधान करता है।
● प्रारंभ में यह विधेयक प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में और बाद में इस योजना का विस्तार 600
जिलों में किया गया।
● प्रस्तावित रोजगारों का एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है।
● केंद्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष भी स्थापित करेगी। इस तरह राज्य सरकारें भी योजना के
कार्यान्वयन के लिए राज्य रोजगार गारंटी कोष की स्थापना करेंगी। कार्यक्रमों के अंतर्गत अगर
आवेदक को 15 दिन के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोजगार भत्ते का
हकदार होगा।
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम (एन०एफ० डब्ल्यू०पी०)―
● यह कार्यक्रम 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन
सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मजदूरी पर रोजगार की आवश्यकता है और जो अकुशल
शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
● इसके लिए राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पी०एम० आर०वाई०)―
● इस योजना को 1993 में आरंभ किया गया।
● इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए
स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
● इस कार्यक्रम में लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने में उनकी सहायता दी जाती है।
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (आर०ई०जी०पी०)―
● इस कार्यक्रम को 1995 में आरंभ किया गया।
● इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
● दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोजगार के अवसर सृजित करने
का लक्ष्य रखा गया है।
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एस०जी०एस०वाई०)―
● इस कार्यक्रम का आरंभ 1999 में किया गया।
● इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों में संगठित कर
बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (पी०एम०जी०वाई०)―
● यह योजना 2000 में आरंभ की गई।
● इसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण
विद्युतीकरण जैसी मूल सूविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती
है।
प्रश्न 2. विश्व में प्रत्येक के लिए भोजन है, परंतु फिर भी लोग भूख के कारण क्यों मरते हैं?
उत्तर― निर्धनता का अर्थ है-भूख और रहने के लिए घर का न होना। यह एक अवस्था है जहाँ
व्यक्ति की मूलभूत सुविधाएँ; जैसे—चिकित्सा सुविधा, शैक्षिक सुविधा, आधारभूत नागरिक सुविधाएँ
प्राप्त नहीं कर पाता। यूनाइटेड नेशन के अनुसार लगभग 25000 लोग प्रतिदिन भूख या भूख-संबंधी
बीमारियों के कारण मर जाते हैं, जिनमें अधिकतर बच्चे होते हैं। हालाँकि विश्व में प्रत्येक के लिए
भोजन है परंतु उसे खरीदने के लिए पैसों की कमी के कारण लोग कुपोषित हैं, वे कमजोर और बीमार
रहते हैं। इस कारण वे कम काम कर पाते हैं जिससे वे और निर्धन तथा भूखे होते जाते हैं। यह कुचक्र
उनके और उनके परिवार वालों के लिए मृत्यु तक चलता रहता है। इस समस्या को सुलझाने के लिए
कई कार्यक्रम भी चलाए गए। ‘खाने के लिए काम’ कार्यक्रम-जिसमें वयस्कों को स्कूल बनाने, कुएँ
खोदने, सड़कें बनाने आदि के काम के लिए खाना दिया जाता है। इससे निर्धनों को पोषण मिलता है
और निर्धनता को समाप्त करने के लिए संरचना तैयार होती है। ‘खाने के लिए शिक्षा’
कार्यक्रम–जिसमें बच्चों को भोजन दिया जाता है जब वे स्कूल में उपस्थित हों। उनकी शिक्षा उन्हें
भूख और वैश्विक निर्धनता से बचा सकती है।
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