up board class 9th hindi | लघु उत्तरीय प्रश्न

By | May 2, 2021

up board class 9th hindi | लघु उत्तरीय प्रश्न

 
प्रश्न 1 हिन्दी गद्य के इतिहास में भारतेन्दु युग के योगदान का वर्णन कीजिए।
या       हिन्दी गद्य के विकास में भारतेन्दु युग का महत्त्व बताइए।
उत्तर― भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य का कोई निश्चित स्वरूप नहीं था। लेखकों की रचनाओं में या तो
उर्दू-फारसी के शब्दों की प्रचुरता थी या फिर संस्कृत के तत्सम शब्दों की। भारतेन्दु ने अपने गद्य में न तो
अधिक संस्कृतनिष्ठ शब्दों का प्रयोग किया और न ही अधिक अरबी-फारसी के शब्दों का वरन उन्होंने
अपनी रचनाओं में सामान्य बोलचाल के शब्दों एवं मुहावरों-लोकोक्तियों को स्थान देकर हिन्दी गद्य को
जीवन्त बनाया। इन्होंने तत्कालीन लेखकों का नेतृत्व करके उन्हें भाषा सम्बन्धी निर्देशन प्रदान किया एवं
विविध विषयों की रचना करने को प्रेरित किया।
 
प्रश्न 2. हिन्दी-उपन्यास के क्रमिक विकास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर―हिन्दी गद्य की उपन्यास विधा के विकास को निम्नलिखित तीन चरणों में विभाजित किया गया
है―
(1) पूर्व प्रेमचन्द युग―उपन्यास-लेखन का प्रारम्भ भी भारतेन्दु युग में हो चुका था। घटनामयता
और गम्भीरता की कमी इस युग के उपन्यासों की विशेषता थी। बालकृष्ण भट्ट का ‘नूतन ब्रह्मचारी’,
देवकीनन्दन खत्री का चन्द्रकान्ता’ और ‘चन्द्रकान्ता सन्तति’, गोपालदास गहमरी का ‘नये बाबू’ इस
समय के प्रसिद्ध उपन्यास हैं।
(2) प्रेमचन्द युग―इस युग में सामाजिक जीवन का चित्रण तथा मानव चरित्र का मनोवैज्ञानिक
विश्लेषण हुआ है। उपन्यास-सम्राट् प्रेमचन्द के ‘गोदान’, ‘सेवासदन’, ‘गबन’ आदि के अलावा प्रसाद
जी का ‘कंकाल’, आचार्य चतुरसेन शास्त्री का ‘वैशाली की नगरवधू’, भगवतीचरण वर्मा का
‘चित्रलेखा‘ व वृन्दावनलाल वर्मा का ‘मृगनयनी’ उपन्यास विशेष प्रसिद्ध हैं।
(3) प्रेमचन्दोत्तर युग―स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् उपन्यास-साहित्य अनेक नयी दिशाओं में
विकसित हुआ। यशपाल (झूठ-सच, दादा कामरेड), धर्मवीर भारती (गुनाहों का देवता), जैनेन्द्र कुमार
(परख, त्यागपत्र), इलाचन्द्र जोशी, अमृतलाल नागर, भगवतीचरण वर्मा आदि इस युग के प्रमुख
उपन्यासकार हैं।
 
प्रश्न 3 नाटक का अर्थ बताइए और यह भी स्पष्ट कीजिए कि नाटक को रूपक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर― नाटक के पात्रों एवं घटनाओं का चित्रण किसी अन्य पात्र की अनुकृति के रूप में किया जाता है
अर्थात् नाटक के पात्रों एवं घटनाओं पर किन्हीं अन्य व्यक्तियों एवं घटनाओं को आरोपित किया जाता है।
‘रूप’ के इस आरोप के कारण इसे ‘रूपक’ कहा जाता है।
 
प्रश्न 4 ‘आलोचना’ किसे कहते हैं ? इसका अर्थ बताते हुए इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर― ‘आलोचना’ का शाब्दिक अर्थ है―’किसी वस्तु को भली प्रकार देखना’। किसी वस्तु को
अच्छी तरह से देखने पर उसके गुण-दोष प्रकट हो जाते हैं, इसलिए किसी कृति का अध्ययन करके जब
उसके गुण-दोषों को प्रकट किया जाता है, तो उसे ‘आलोचना’ कहते हैं। इसके लिए ‘समीक्षा’ शब्द का
प्रयोग भी किया जाता है।
 
प्रश्न 5 हिन्दी गद्य के विकास में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की प्रमुख देनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर― हिन्दी गद्य के विकास में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की प्रमुख देन निम्नलिखित हैं―
(1) द्विवेदी जी ने भाषा में व्याकरण-सम्बन्धी अशुद्धियों, पद-विन्यास एवं वाक्य-विन्यास की
अनियमितता को दूर किया।
(2) उन्होंने नये-नये लेखकों और कवियों को व्याकरणनिष्ठ और संयमित खड़ी बोली में लिखने के
लिए प्रोत्साहित किया।
(3) भाषा के शब्द-भण्डार में वृद्धि करने के साथ-साथ विविध प्रकार की भाषा-शैलियों का विकास
किया, जिसके परिणामस्वरूप गद्य के विविध रूपों का विकास हुआ।
 
प्रश्न 6 ‘जीवनी’ किसे कहते हैं ? जीवनी-साहित्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए इसके
आरम्भ का समय बताइए।
उत्तर― जब कोई लेखक किसी व्यक्ति के जन्म से लेकर उसके मृत्यु तक की घटनाओं को क्रमबद्ध
रूप से इस प्रकार चित्रित करता है कि उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व स्पष्ट हो उठे तो उसे ‘जीवनी’ कहते हैं।
विशेषताएँ एवं आरम्भ का समय―‘जीवनी-साहित्य’ में लेखक की तटस्थता, यथार्थ चित्रण,
घटनाक्रमों की क्रमबद्धता तथा उसके नायक के जीवन की प्रमुख घटनाओं का प्रस्तुतीकरण आवश्यक होता
है। हिन्दी में जीवनी-साहित्य का प्रादुर्भाव भारतेन्दु युग से माना जाता है।
 
प्रश्न 7 ‘कहानी किसे कहते हैं ? हिन्दी कहानी के विकास की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर―‘कहानी’ गद्य-साहित्य की वह विधा है, जिसमें जीवन के किसी एक मामिक तथ्य या घटना को
पात्रों, संवाद एवं घटनाक्रम के माध्यम से नाटकीय रूप में अभिव्यक्ति दी जाती है।
‘कहानी हमारे देश में प्राचीनकाल से ही कही सुनी जाती रही है। पुराणों में भी कहानी के दर्शन होते
हैं। मूलत: आख्यात्मक शैली में होने के कारण इन्हें आख्यायिका’ कहा जाता था। बृहत्कथा, बेताल पचीसी
सिंहासन बत्तीसी व कादम्बरी इसी कोटि की रचनाएँ हैं। इसका आरम्भ ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन से
अर्थात् सन् 1900 ई० से माना जाता है। किशोरीलाल गोस्वामी की कहानी ‘इन्दुमती’ हिन्दी की पहली
मौलिक कहानी मानी जाती है। प्रेमचन्द के समय में कहानियों का पूर्ण विकास हुआ।
 
प्रश्न 8 ‘संस्मरण’ किसे कहते हैं ? संस्मरण एवं आत्मकथा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―जब लेखक अपने निकट सम्पर्क में आने वाली विशिष्ट, विचित्र, प्रिय और आकर्षक घटनाओं,
दृश्यों या व्यक्तियों को स्मृति के सहारे पुन: अपनी कल्पना में मूर्त करके उनका शाब्दिक चित्रण करता है,
तो उसे ‘संस्मरण’ कहते हैं।
आत्मकथा एवं संस्मरण में अन्तर―‘आत्मकथा’ में लेखक स्वयं के जीवन को चित्रित करता है,
जबकि ‘संस्मरण’ मै वह दूसरे व्यक्ति या किसी वस्तु, घटना, दृश्य आदि का चित्रण करता है। आत्मकथा में
आपबीती होती है, जब कि संस्मरण में अन्य की विशेषताओं की अनुभूति।

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